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‘‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हो रहा है लाइव आयोजन’’

सतना। सेमिनार के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए एकेएस प्रबंधन ने बताया कि इंडियन माइनिंग एण्ड इंजीनियरिंग द्वारा आयोजित यह सेमिनार ‘‘इंडियन ब्यूरो आॅफ माइन्स’’ के द्वारा प्रायोजित है। इस सेमिनार की थीम ‘‘जियोलाॅजी, मिनरल रिसोर्सेस, एग्रीकल्चर इनोवशन, न्यू टेक्नालाॅजी और एनर्जी कन्जर्वेशन’’ है। सेमिनार में माइनिंग क्षेत्र के मुद्दों और समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम स्थल इंडिया इंटरनेशलन सेंटर, मैक्समूलर रोड, नियर खान मार्केट , न्यू दिल्ली से कार्यक्रम का लाइव प्रसारण एकेएस की वेबसाइट पर प्रारंभ है। सेमिनार में इंडियन माइनिंग इंजीनियरिंग के पुरस्कार प्राप्तकर्ता विशेषज्ञ शिरकत कर रहे हैं। इस सेमिनाॅर मे माइनिंग क्षेत्र के 70 विशिष्ट पेपर भी प्रेजेन्ट किए जाऐंगें।

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एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के निरन्तर विकास के सोपानों पर बढ़ते-बढ़ते एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राएं विभिन्न संकायों में प्रवेश के लिये शासन द्वारा निर्धारित कियोस्क सेन्टर्स पर जाकर आॅनलाइन प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। इस बावत जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बताया कि आॅनलाइन और आॅफ लाइन विश्वविद्यालय की वेबसाइट से प्रवेश के अलावा अब कहीं से भी आॅन लाइन प्रवेश शासन के कियोस्क सेन्टर से भी होगा। जहां विद्यार्थी प्रोसेसिंग फीस के बाद आॅनलाइन फिल्ड फार्म लेकर विश्वविद्यालय परिसर से समस्त औपचारिकताएं पूरी करके प्रवेश पा सकेंगे जिसमें विद्यार्थियों के टेस्टीमोनियल्स शामिल होंगे।

 

एकेएस यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना तथा नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में समापन अवसर पर आटोमोबाइल विषय पर सुरक्षा से संबंधित जानकारियां दी गईं। इस कार्यक्रम में कटनी, रीवा, सिंगरौली, अनूपपुर, शहडोल, सागर, छतरपुर, पन्ना, विजयराघवगढ़, सतना, पुरई, ओरछा, मैहर, उचेहरा, न्यू रामनगर, मऊगंज, मनगवां, बेनीवारी, जैतहरी, कोतमा, बीना, दमोह, नोहटा, पटेहरा, टीकमगढ़, उमरिया, बहोरीबंद इत्यादि क्षेत्रों के विभिन्न आई.टी.आई. संस्थानों के शिक्षकों को प्रशिक्षित होने का अवसर मिला। यह कार्यक्रम 18 जून से 20 जून तक सुनिश्चित था। कार्यक्रम का समापन 20 जून को किया गया। विदित है कि यह पूरा कार्यक्रम मिनिस्ट्री आॅफ लेबर एण्ड एप्लायमेंट नई दिल्ली तथा डायरेक्टर आॅफ स्किल डेवलपमेंट म.प्र. के संयुक्त प्रायोजन से प्रस्तुत किया जा रहा है।

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सतना। तीव्र गति से उभरते भारतीय बायोटेक उद्योग को देखते हुए एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के कोर्स बायोटेक्नालाॅजी ने विद्यार्थियों को ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वर्तमान समय पर जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसा नया और उदयीमान अध्ययन क्षेत्र है जिसमें भविष्य में विकास की असीम संभावनाएं हैं। बायोटेक्नालाॅजी ने काफी कम समय में दुनिया भर के मानव और आर्थिक जगत में वैज्ञानिकों को अधिकाधिक शोध व अन्वेषणों के लिये प्रोत्साहित किया है आज भारत को एशिया पेशेफिक में बायोटेक्नालाॅजी के क्षेत्र में पांच उभरती शक्तियों में गिना जा रहा है वर्तमान में बायोटेक इण्डस्ट्रीज चार बिलियन आंकड़े को पार कर गई है। आने वाले वर्ष में इसमें 30 प्रतिशत मिश्रित विकास दर की उम्मीद है।
एकेएस में बायोटेक्नालाॅजी कोर्स
एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में बायोटेक्नालाॅजी के चार कोर्सेस हैं जिसमें बी.टेक (बायोटेक) चार वर्षीय कोर्स के लिये हायर सेकण्डरी यानी 12वीं (बायो, बायोटेक, मैथ्स) में एवं बी.एस.सी. आॅनर्स तीन वर्षीय कोर्स के लिये 12वीं (बायो, मैथ्स), एम.एस.सी. बायोटेक एवं एम.एस.सी. माइक्रो बायोलाॅजी दो वर्षीय कोर्स के लिये (ग्रेजुएशन इन लाइफ साइंस) पास विद्यार्थी प्रवेश की पात्रता रखते हैं।
वर्तमान में बायोटेक्नालाॅजी की स्थिति
बायोटेक्नालाॅजी कोर्स में जाॅब की संभावनाओं पर बात करते हुए बायोटेक्नालाॅजी के हेड डाॅ. कमलेश चैरे ने बताया कि भारत की बात करें तो यहां बायोटेक्नालाॅजी में नौकरियां उपलब्ध कराने वाले दो क्षेत्र मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी, एग्रीकल्चर बायोटेक्नालाॅजी तेजी से बढ़ रहे हैं। आने वाले समय मे भारतीय बायोटेक उद्योग घरेलू और वैश्विक दोनों स्तर पर अपनी पहचान दर्ज कराकर युवाओं के लिये अनगिनत राह खोलेगा। प्रोफेशनल्स के लिये फूड, केमिकल, जनेटिक्स इंजीनियरिंग, हेल्थ केयर, इण्डस्ट्रीयल रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट सहित अनेकों क्षेत्र में काम उपलब्ध है। इस क्षेत्र में युवा क्वालिटी कन्ट्रोल आॅफीसर, प्रोडक्शन इंचार्ज (खाद्य, रसायन तथा दवा उद्योग) अनुसंधान वैज्ञानिक के रूप में अपनी संभावनाएं तलाश सकते हैं। इसके अलावा विद्यार्थी कृषि उद्योग, जैव प्रसंस्करण उद्योग और सरकारी, गैर सरकारी अनुसंधान केन्द्रों में काम कर सकते हैं।
बायोटेक्नालाॅजी में जाॅब की असीम संभावनाएं
भारत में बायोटेक्नालाॅजी का विस्तार व्यापक है तथा आज भी विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान जारी है उनमें कृषि, पशुपालन विज्ञान, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग, ऊर्जा इत्यादि शामिल हैं। आज हैदराबाद जीनोम वैली कहलाने लगा है। यहां 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में करीब 100 बायोटेक कम्पनियां आकार ले रही हैं। मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी एवं एग्रीकल्चर बायोटेक्नालाॅजी सालाना 8000 करोड़ रुपये के राजस्व उत्पादित करने वाले इस क्षेत्र में 70 फीसदी राजस्व मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी के जरिये आता है। बायोटेक के बढ़ते क्षेत्र में चलते सभी वर्षों में कम्पनियों की संख्या बढ़ रही है जहां कुशल शोधकर्ता एवं बायोलाॅजिस्ट की मांग है। बायोटेक्नालाॅजी के विद्यार्थी शैक्षणिक विभाग मे प्राध्यापक के तौर पर भी आवेदन कर सकते हैं जहां पर उनका वेतन 20000 से 30000 रुपये के बीच में शुरुआती तौर पर होता है। डिपार्टमेंट आॅफ बायोटेक्नालाॅजी भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करने वाली नोडल एजेंसी है जो कि भारत में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने, शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने, किसानों को अधिकाधिक तकनीकी रूप में सुदृढ़ बनाने, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्थापित होने वाली कम्पनियों को प्रोत्साहित करने का कार्य करती है। कोर्स के बारे में अधिक जानकारी एकेएस यूनिवर्सिटी सतना एवं राजीव गांधी कम्प्यूटर काॅलेज में कार्यालयीन समय पर ली जा सकती है।


एकेएस यूनिवर्सिटी में ‘‘विश्व शरणार्थी दिवस’’ पर होगा जागरूकता कार्यक्रम

सतना। ‘‘नेशनल एम.पी. टेक्निकल एज्यूकेशन एवं समिट-2014’’ एक्सीलेंट प्राइवेट वि.वि.का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्यार्थियों के सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा के साथ ही अध्यात्मिक एवं सर्वांगीण विकास हेतु कटिबद्ध रहते हुए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है। एकेएसयू के इन्वायरनमेंट सांइस विभाग द्वारा ‘‘विश्व शरणार्थी दिवस’’ पर ‘‘एक बेहतर दुनिया की ओर प्रवासी और शरणार्थी - 2014’’ थीम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस बात की जानकारी देते हुए इन्वायरनमेंट सांइस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम में समाज में शरणार्थियों की स्थिति, शरणार्थियों के नैतिक समर्थन, शरणार्थियों की वास्तविक कहानियां जैसे मुद्दो पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। जागरूकता कार्यक्रम में सभी संकायों के फैकल्टीज एवं विद्यार्थी भाग लेगे।

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सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना तथा नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में आटोमोबाइल विषय पर डिस्टेंस लर्निंग कोर्स का शुभारंभ किया गया जिसमें आर.के. गोरडा, एफटीआई बैंगलोर ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में म.प्र. के चुनिंदा चार संस्थानों को चयनित किया गया था जिसमें एकेएस यूनिवर्सिटी सतना शामिल है। इस कार्यक्रम में कटनी, रीवा, सिंगरौली, अनूपपुर, शहडोल, सागर, छतरपुर, पन्ना, विजयराघवगढ़, सतना, पुरई, ओरछा, मैहर, उचेहरा, न्यू रामनगर, मऊगंज, मनगवां, बेनीवारी, जैतहरी, कोतमा, बीना, दमोह, नोहटा, पटेहरा, टीकमगढ़, उमरिया, बहोरीबंद इत्यादि क्षेत्रों के विभिन्न आई.टी.आई. संस्थानों के शिक्षकों को प्रशिक्षित होने का अवसर मिला। यह कार्यक्रम 18 जून से 20 जून तक सुनिश्चित है। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर एकेएस विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक कुमार आशीष ने विश्वविद्यालय प्रबंधन, तकनीकी विभाग तथा नाइटर भोपाल को इस कार्यक्रम में सहयोग के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया।वि.वि. प्रबंधन ने बताया कि यह पूरा कार्यक्रम मिनिस्ट्री आॅफ लेबर एण्ड एप्लायमेंट नई दिल्ली तथा डायरेक्टर आॅफ स्किल डेवलपमेंट म.प्र. के संयुक्त प्रायोजन से प्रस्तुत किया जा रहा है।

एकेएस यूनिवर्सिटी में ‘‘विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा दिवस‘‘ पर परिचर्चा का आयोजन

सतना। नेशनल एम.पी. एज्युकेशनल समिट 2014 में एक्सलेंट प्राइवेट वि.वि. का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी के एनवायर्नमेंट साइंस विभाग द्वारा ‘‘विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा दिवस’’ के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें एनवायर्नमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सन् 1994 में 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा दिवस, मरुस्थलीकरण से निपटने और सूखे के प्रभाव का मुकाबला करने के लिये घोषित किया गया। तब से लेकर प्रतिवर्ष विश्व के सभी देश जो इस समस्या से ग्रसित हैं इसके समाधान के लिये यह दिवस मनाते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन पर चर्चा

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सतना। भारत में फूड प्रोसेसिंग एवं टेक्नालाॅजी की विकासशील अवस्था एवं फूड टेक्नालाॅजिस्ट की विशेष मांग को देखते हुए एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के कोर्स फूड प्रोसेसिंग एवं टेक्नालाॅजी की तरफ विद्यार्थियों का रुझान तीव्र गति से बढ़ा है। फूड टेक्नालाॅजी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें फूड प्रोडक्ट के उत्पादन, भण्डारण, परीक्षण, पैकेजिंग तथा वितरण संबंधी कार्य किये जाते हैं। वर्तमान समय में भारत में लगभग 50 करोड़ उच्च एवं मध्यम वर्गीय उपभोक्ता हैं जिसके चलते फूड इण्डस्ट्रीज में प्रशिक्षित एवं पेशेवर व्यक्तियों की अधिक आवश्यकता है।

एकेएसयू में है फूड टेक्नालाॅजी

एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में फूड प्रोसेसिंग एवं टेक्नालाॅजी कोर्स चार वर्षीय डिग्री कोर्स है जिसमें प्रवेश के लिये विद्यार्थी को हायर सकण्डरी यानि 12वीं (फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स अथवा बायोलाॅजी) पास होना आवश्यक है, तभी छात्र बी.टेक में प्रवेश पा सकेगा। मास्टर एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये शैक्षणिक योग्यता स्नातक निर्धारित है यदि किसी विद्यार्थी ने होम साइंस, न्यूट्रीशियन, डायटीशियन एवं होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया है तो फूड टेक्नालाॅजी में मास्टर डिग्री प्राप्त कर सकता है।

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