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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के द्वारा शहडोल में परख परीक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें 250 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि निःशुल्क काउंसलिंग एवं विद्यार्थियों के सही कैरियर मार्गदर्शन के लिये एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप संपूर्ण मध्यप्रदेश में परख परीक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार कैरियर मार्गदर्शन प्रदान कर रहा हैं। जनवरी से प्रारंभ हुये परख 2014 के लिये अब तक एकेएस प्रोफेसर्स द्वारा विद्यार्थियों को उनकी प्रतिभा के अनुसार मार्गदर्शन दिया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने भी बढचढकर अपनी प्रतिभागिता दर्ज कराई। परख परीक्षा का आयोजन एकेएस यूनिवर्सिटी सतना शहडोल में कैम्पस पांडव नगर में रविवार 15जून2014 को सुबह 10.00 बजे से दोपहर 2.00बजे तक आयोजित किया गया ।
प्रतियोगिता में चयनित छात्र-छात्राओं को अंतिम चरण में प्रथम एवं द्वितीय पुरूस्कारों के लिये चयनित किया जायेगा। चयनित विद्यार्थियों को एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के सभागार में इनामी राशि से सम्मानित किया जायेगा।

एकेएस यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में प्रवेश प्रारंभ

सतना। इंजीनियरिंग की कई शाखाओं में एग्री इंजीनियरिंग अहम स्थान रखती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की 52 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है। यह विश्व की कुल उपलब्ध कृषि योग्य भूमि का 11 प्रतिशत है। इसलिये कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान एवं तकनीकी के संयोजन से कृषि ने उद्योग का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
एकेएस यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के बी.एस.सी. एग्रीकल्चर आॅनर्स चार वर्षीय कोर्स में 12वीं (बायो, मैथ्स, एग्रीकल्चर) के बाद प्रवेश ले सकते हैं। इसी तरह बी.टेक एग्रीकल्चर इंजीनियनियरिंग के लिये 12वीं (बायो, मैथ्स, एग्रीकल्चर) के साथ उत्तीर्ण होने पर चार वर्षीय कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। एम.एस.सी. एग्रीकल्चर दो वर्षीय कोर्स में प्रवेश के लिये बी.एस.सी. एग्रीकल्चर में ग्रेजुएट होना आवश्यक है।
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में नौकरी की संभावनाएं
कृषि क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर मौजूद हैं जो इस प्रकार हैं - पादप रोग विज्ञानी, ब्रीडर, कृषि मौसमी विज्ञानी, आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, अनुसंधान इंजीनियर, शस्य विज्ञानी, वैज्ञानिक, एसोसिएट प्रोफेसर इसके अलावा सहायक वैज्ञानिक, सहायक प्रोफेसर, जिला विस्तार विशेषज्ञ, सहायक पादप रोग विज्ञानी, सहायक जीवाणु वैज्ञानिक, सहायक वनस्पति विज्ञानी, सहायक मृदा रसानयज्ञ, सहायक मृदा विज्ञानी, सहायक आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, सहायक फल ब्रीडर, सहायक बीज अनुसंधान अधिकारी, कनिष्ट कीट विज्ञानी, सहायक ब्रीडर, कनष्ठि ब्रीडर शस्य विज्ञानी, बीज उत्पादन सहायक, सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक एवं पादप शरीर विज्ञानी आदि के साथ-साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य कृषि विभाग, बैंकिंग क्षेत्र, बीज कंपनियां, आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी., कृषि उद्योग, कृषि इंजीनियरिंग, कृषि प्रबंध, सेवा क्षेत्र, निगम इत्यादि में कॅरियर के अवसर मौजूद हैं। स्टूडेंट्स आॅन लाइन एकेएस यूनिवर्सिटी सतना की वेबसाईट या आॅफ लाइन एकेएस कैम्पस, बस स्टैण्ड व माखन लाल बिल्डिंग से फार्म प्राप्त कर सकते हैं।

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एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना ने बदलते दौर की जरूरत एवं विद्यार्थियों की रुचि एवं रूझान को ध्यान में रखते हुए जो नए कोर्सेस लांच किये हैं।उनमें एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी कोर्स महत्वपूर्ण है।

एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी कोर्स की अवधि 3 वर्ष है जबकि इंटीग्रेटेड कोर्स 5 वर्ष का है। सांइस में 12वीं पास विद्यार्थी एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी मंे प्रवेश प्राप्त कर सकते है। गौरतलब है कि भविष्य में माइनिंग एवं खनिज उद्योग विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेगे। भारत में खनिज एवं कोयला संसाधन प्रर्याप्त है। लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा न होने की वज़ह से भविष्य में एप्लायड जिओलाॅजी की उपयोगिता बढ़नी तय है। ये इंजीनियर्स खनिज कोयला और तैल उद्योग में कार्य कर सकेंगे। भारतीय सीमाओ ंके आलावा अफ्रीका और खाड़ी देशों में एम.टेक. किए इंजीनियर्स की विशेष मांग है। कोर्स में लेटरल इन्ट्री बी.एस.सी. भू-विज्ञान भी उपलब्ध है। इस कोर्स की मुख्य विशेषता होगी देश-विदेश के जाने-माने विषय विशेषज्ञों द्वारा अध्यापन एवं स्पेस्फिक प्रैक्टिकल्स।

इन कोर्सेस बारे में विस्तार से जानकारी एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना की वेबसाइट से ली जा सकती है या कार्यालयीन समय पर एकेएस विश्वविद्याल, शेरंगज एवं राजीव गांधी काॅलेज बस स्टैण्ड, माखनलाल चतुर्वेदी से सम्बद्ध राजीव गांधी कम्प्यूटर काॅलेज से प्राप्त की जा सकती है।

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सतना। केन्द्रीय सरकार के सीमेंटेड सड़क बनाने के आदेश के बाद एकेएस यूनिवर्सिटी के कोर्स बी.टेक सीमेंट टेक्नालाॅजी की तरफ विद्यार्थियों का रुझान तेजी से बढ़ा है और इसके पीछे मूल कारण वर्तमान भारत सरकार द्वारा विकास के पैमाने पर विश्व के क्षितिज पर भारत का नाम अग्रणी पंक्ति में अंकित करवाने की आकांक्षा है। वर्तमान में भारत का सीमेंट उद्योग 270 मिलियन सीमेंट का सालाना उत्पादन करके दूसरे स्थान पर है। भविष्य में भारत के सीमेंट उत्पादन में प्रथम स्थान पर आने की प्रबंल संभावना है क्योंकि औद्योगिकीकरण के साथ भवन, पुल, सड़क और उद्योगों के लिये बड़ी संरचनाओं के निर्माण में सीमेंट की आवश्यकता बड़े पैमाने पर है।

एकेएस में है बी.टेक सीमेंट टेक्नालाॅजी हाइली जाॅब ओरियंटेड कोर्स

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सतना। नेशनल एमपी एज्युकेशनल समिट 2014 में एक्सिलेंट प्राइवेट विश्वविद्यालय, का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी के एनवायरनमेंट साइंस विभाग द्वारा ‘‘बाल श्रम निषेध दिवस’’ पर ‘‘सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, लड़ाकू बाल श्रम-2014’’ थीम पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें एनवायरमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र तिवारी ने परिचर्चा के दौरान बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन भले ही जून 1999 से बाल श्रम को खत्म करने के लिये कमर कस चुका हो मगर अब भी करोड़ों बच्चे जीविका चलाने के लिये मजदूरी कर रहे हैं। दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक हैं

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना ने बदलते दौर की जरूरत एवं विद्यार्थियों की रुचि एवं रूझान को ध्यान में रखते हुए जो नए कोर्सेस लांच किये हैं।उनमें एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी और बी.एस.डब्ल्यू (बैंचलर आॅफ सोशल वर्क) कोर्स महत्वपूर्ण है।

एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी कोर्स की अवधि 2 वर्ष है जबकि इंटीग्रेटेड कोर्स 5 वर्ष का है। सांइस में 12वीं पास विद्यार्थी एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी मंे प्रवेश प्राप्त कर सकते है। गौरतलब है कि भविष्य में माइनिंग एवं खनिज उद्योग विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेगे। भारत में खनिज एवं कोयला संसाधन प्रर्याप्त है। लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा न होने की वज़ह से भविष्य में एप्लायड जिओलाॅजी की उपयोगिता बढ़नी तय है। ये इंजीनियर्स खनिज कोयला और तैल उद्योग में कार्य कर सकेंगे। भारतीय सीमाओ ंके आलावा अफ्रीका और खाड़ी देशों में एम.टेक. किए इंजीनियर्स की विशेष मां है। कोर्स में लेटरल इन्ट्री बी.एस.सी. भू-विज्ञान भी उपलब्ध है। इस कोर्स की मुख्य विशेषता होगी देश-विदेश के जाने-माने विषय विशेषज्ञों द्वारा अध्यापन एवं स्पेस्फिक प्रैक्टिकल्स।

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