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एकेएस विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग में पदस्थ फैकल्टी नीलेश राय अपने रिसर्च पेपर प्रेजेन्टेशन हेतु विश्व की टाप टेन यूनिवर्सिटीज में से एक नेशनल यूनिवर्सिटी आॅफ सिंगापुर में 22 जून से 28 जून तक चली 14वीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस आॅन साॅलिड स्टेट आॅयनिक्स में शामिल हुए । यहां राय ने 28 जून को नैनो इंजीनियरिंग फिजिक्स पर पेपर प्रेजेन्ट किया । उनके नैनो टेक्नोलाॅजी के पेपर प्रेजेन्टेशन पर उपस्थित विद्यवानों ने काफी सराहा विश्वविद्यालय परिवार ने उनकी इस उपलब्धि पर बधाइयां एवं शुभकामनाएं दी हैं।

एकेएसयू के बी.काॅम आॅनर्स सीएसपी के विद्यार्थियों की ट्रेनिंग प्रारंभ

सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना बी.काॅम आॅनर्स सीएसपी के छात्रों की नागपुर के चोटवानी एसोसिएट्स में बैंकिग आॅडिट ट्रेनिंग प्रारंभ हुई। ट्रेनिंग में पहले दिन सीए संदीप चोटवानी एवं अमन सुखेजा ने विद्यार्थियों को बैंक में होने वाले प्रारंभिक कार्यों की जानकारी दी जिससे विद्यार्थी आगे आने वाले बैंकिग कार्यों को आसानी से समझ सकेंगे। बी.काॅम आॅनर्स सीएसपी के प्रो. विपुल शर्मा ने बताया कि बैंक की आॅडिट ट्रेनिंग के बाद विद्यार्थियों को अपने कॅरियर में बेहतर प्रयास करने के अवसर मिलेंगे।

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इजिप्ट, इजरायल, स्पेन एवं साउथ अफ्रीका से अयातित प्लांट रिसर्च के लिए है मुफीद
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के हर्बल गार्डन में आॅलिव्स आॅयल प्लांट्स का प्लांटेशन विश्व की जानी मानी कंपनी एग्रोलाइनेज जारा गोसा स्पेन एवं एकेएस यूनिवर्सिटी के साथ पूर्व अनुबंधित एम.ओ.यू. के तहत कंपनी के शंकर क्रिस्पिन एवं यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,एग्री. डीन प्रो. के.आर. मौर्य, डाॅ. नीरज वर्मा, प्रो. सी.के. टेकचन्दानी एवं समस्त विभागों के फैकल्टीज की उपस्थिति में इजिप्ट, इजरायल, स्पेन एवं साउथ अफ्रीका से अयातित आॅलिव्य आॅयल एवं डेटपाॅम (खजूर) के पौधों का रोपण किया गया। भविष्य में एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना द्वारा पौधों पर एग्रीकल्चरल, हार्टीकल्चरल, बाॅयोटेक्नालाॅजिकल तथा फूड प्रोसेसिंग में रिसर्च करने योजना है। आॅलिव्य आॅयल मुख्यतः मनुष्य में होने वाले हृदय रोग से संबंधित बीमारियों को होने से रोकता है। वर्तमान में इस पौधे पर रिसर्च करने की भारत में महती आवश्यकता है।एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना ने इस क्षेत्र में एक अनूठा कदम रखने की पहल की है। इसी के साथ एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना में साउथ अफ्रीका से आए आयत किये गये डेटपाॅम के पौधों पर एकेएसयू के वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च भी की जाएगी। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना मध्यप्रदेश की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी होगी जिसनें इस तरह की रिसर्च करने की पहल की है।

एकेएसयू में मनाया गया डाॅक्टर्स डे

सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्यार्थियों के क्षैक्षणिक, मानसिक, सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा के साथ ही आध्यात्मिक सर्वांगीण विकास हेतु कटिबद्ध रहते हुए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है। एकेएसयू के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “डाक्टर्स डे” के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. दीपक मिश्रा ने बताया कि महान भारतीय चिकित्सक डाॅ. विधानचन्द्र राय का जन्मदिन हर साल एक जुलाई को मनाया जाता है। उनका जन्म 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था। कोलकाता में मेडिकल की शिक्षा पूरी करने के बाद डाॅ. राय ने एमआरसीएस लंदन से उपाधि प्राप्त की। 1911 में उन्हांेने भारत में मेडिकल प्रोफेशन की शुरुआत की। इसके बाद वे कोलकाता मेडिकल काॅलेज में व्याख्याता बने तथा वहां से वे कैंपबेल मे मेडिकल स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल काॅलेज गए। यही नहीं महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने से भी उनकी ख्याति बढ़ी। इसके बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने तथा पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री निर्वाचित किए गए। डाॅ. राय को भारत रत्र से भी सम्मानित किया गया। उनके जन्मदिन को पश्चिम सरकार ने डाॅक्टर्स -डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया, तभी से देश में एक जुलाई को डाॅक्टर्स-डे मनाया जाता है। कार्यक्रम में व्यक्तिगत जीवन समुदायों में डाक्टरों के योगदान पर विशेष चर्चा की गई जिसमें समस्त विभागों के फैकल्टीज एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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सतना। एकेएस विष्वविद्यालय, सतना के बाॅयोटेक्नालाॅजी, माइक्रोबाॅयोलाॅजी विभाग एवं ‘‘सेंटर फाॅर रिसर्च स्किल्स डेवलेपमेंट’’ के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय ‘‘राष्ट्रीय सिम्पोजियम एवं हैन्डस आॅन टेनिंग’’ का आयोजन 11 और 12 अगस्त को यूनिवर्सिटी प्रांगण में किया जाएगा। जिसकी थीम ‘‘वर्तमान में बाॅयोटेक्नालाॅजी रिसर्च’’ रखी गई है। इसमें विंध्य क्षेत्र के सतना, रीवा के साथ-साथ देष के सभी बाॅयोटेक्नालाॅजी एवं माइक्रोबाॅयोलाॅजी विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं प्राध्यापकों को आमंत्रित किया गया है। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में (मध्यप्रदेष प्राइवेट रेग्यूलेटरी कमीषन, भोपाल मध्यप्रदेष षासन के चेयरमैन) प्रो. डाॅ. अखिलेष पाण्डेय एवं (डिपार्टमेंट आॅफ बाॅयोटेक्नालाॅजी, भारत सरकार, नई दिल्ली के एडवाइजर) डाॅ. राजेश कपूर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत कर बाॅयोटेक क्षेत्र में हो रही उन्नति रिसर्च एवं डेवलेपमेंट में उपस्थित अवसरों की महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत करेंगे। अन्य आमंत्रित वक्ताओं में देष  के प्रतिष्ठित संस्थाओं  आई.आई.टी. नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स एवं वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है। जो बाॅयोटेक क्षेत्र में हो रही नवीनतम रिसर्च पर अपना मार्गदर्शन देगें। इस  अवसर पर प्रतिभागियों के लिए दो दिवसीय हैन्डस आॅन टेनिंग का आयोजन किया जाएगा। जो कि जिनोमिक्स, फरमेटेषन, प्लांट टिष्यू कल्चर पर होगी। यह टेनिंग बाॅयोटेक विभाग की आधुनिक प्रयोगषाला में कराई जाएगी। 

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2014 के एक्सीलेंस प्रायवेट यूनिवर्सिटी के दर्जे से नवाजी जा चुकी एकेएस यूनिवर्सिटी में संचालित बी.काॅम आनर्स कोर्स विद्यार्थियों को सीए और सीएस बनने में मदद करता है। इस कोर्स में विद्यार्थियों को डिग्री तो प्राप्त होती ही है इस वर्ष के सी ए के एक्जाम में 80 प्रतिशत विद्याथियों का चयन होना इस कोस्र की विशेषता खुद बयाॅ करता है और सेकेण्ड लेयर की संभावनाओं के द्वार भी खुलते हैं इसी के साथ-साथ चाटर्ड एकाउंटेन्ट और कार्पोरेट सेक्रेटियल प्रेक्टिसेस के लिये तो मार्ग प्रशस्त होता है। एकेएस यूनिवर्सिटी के बी.काॅम आनर्स सीएसपी (कार्पोरेट एकाउंटिंग प्रैक्टिसेस) तीन वर्षीय कोर्स में प्रवेश के लिये 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसी तरह बी.काॅम आनर्स सीएपी (कार्पोरेट सेकक्रेटियल प्रैक्टिसेस) तीन वर्षीय कोर्स में 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण विद्यार्थी प्रवेश की पात्रता रखते हैं।

बी.काॅम आनर्स सीएसपी व सीएपी में नौकरी की संभावनाएं

विद्यार्थी बी.काॅम आनर्स सीएसपी करने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं जैसे कि लाॅ फर्म, सेक्रेटियल फर्म, सर्विस फर्म, केपीओ, एलपीओ एण्ड एक्जीक्यूटिव इन कार्पोरेट सेक्टर इत्यादि इसके अलावा जो विद्यार्थी बी.काॅम आॅनर्स सीएसपी के साथ सीएस व सीएमए कर लेते हैं तो ये किसी भी संस्था की अहम कड़ी होते हैं। कार्पोरेट गर्वेनेस, कार्पोरेट सेक्रेटियल पेेेै्रेक्टिसेस, कार्पोरेट लाॅ, सलाहकार बोर्ड व कम्प्लाइंस आॅफीसर्स एवं चीफ फाइनेंसियल आॅफीसर के रूप में नियुक्त किये जा सकते हैं। इसी तरह विद्यार्थी पब्लिक सेटर, गवर्मेंट सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर, फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन, इंश्योरेंश सेक्टर, शैक्षणिक संस्थान, बैंकिंग सेक्टर, सर्विस सेक्टर, एलएलपी इत्यादि को अपने कॅरियर के रूप में चुन सकते हैं। स्टूडेंट्स आॅन लाइन एकेएस यूनिवर्सिटी सतना की वेबसाईट या आॅफ लाइन एकेएस कैम्पस, बस स्टैण्ड व माखन लाल बिल्डिंग से फार्म प्राप्त कर सकते हैं।

एकेएसयू में इंटरनेशनल डायबिटीज डे पर परिचर्चा का आयोजन

सतना। विंध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में ‘‘इंटरनेशनल डायबिटीज डे’’ के अवसर पर फार्मेसी विभाग द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा के दौरान फार्मेसी विभाग के प्राचार्य डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक वर्ष डायबिटीज डे का अलग लक्ष्य होता है, इस वर्ष डायबिटीज डे का लक्ष्य है डायबिटीज के विषय में लोगों को शिक्षत करना। इंटरनेशनल डायबिटीज डे को इंटरनेशनल डायबिटीज संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1991 में शुरू किया गया था। विदित हो कि वर्ष 2030 तक भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाने का अनुमान है। डायबिटीज एक जानलेवा बीमारी है और स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जुड़ी हुई है। डायबिटीज के मरीजों में अक्सर 65 साल की उम्र में पहुंचते पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है इससे बचने के लिये ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, कैलेस्ट्राल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक्स, लकवा, इन्फेक्शन और किडनी फेल होने का खतरा बना रहता है। डायबिटीज पेसेंट को आहार के साथ-साथ कुछ नियमित सावधानियां जरूरी हैं जैसे - नियमित शुगर स्तर की जांच, घावों को खुला न छोड़ें, फल खाएं, व्यायाम करें, वजन नियंत्रित करें, योग भी डायबिटीज के रोगियों के लिये अच्छा होता है। अभी तक डायबिटीज रोगियों के लिये कोई भी स्थाई उपचार नहीं है, आप इसके खतरों से बचने के लिये सावधानी रखने के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करें। देश में जागरूक लोगों के भी बहुत कम व्यक्ति समय से मधुमेह को लेकर चिकित्सा जांच करवाते हैं, उम्र के साथ होने वाले इस रोग से बचाव के लिये शुरू से चिकित्सा जांच जरूरी है। इस अवसर पर समस्त विभागों के फैकल्टीज एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी में संचालित फार्मेसी कोर्स एक महत्वपूर्ण विषय है जिसमें भविष्य की संभावनाएं असीमित हैं। फार्मेसी के बारे मे मैकेंजी की रिपोर्ट कहती है कि 2020 तक फार्मेसी उद्योग तीन गुना वृद्धि कर सकेगा। एकेएस में संचालित कोर्सेस में से डीण्फार्मा दो वर्षीय कोर्स में प्रवेश के लिये 12वीं ;बायो मैथ्सए बायोटेकद्ध संकाय से पास विद्यार्थी प्रवेश की पात्रता रखते हैं। इसी तरह बीण्फार्मा चार वर्षीय कोर्स में प्रवेश के लिये 12वीं ;बायो मैथ्सए बायोटेकद्ध में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। एमण्फार्मा दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिये बीण्फार्मा होना आवश्यक है।
फार्मेसी में नौकरी की संभावनाएं
भारत में इस समय 23 हजार से भी अधिक रजिस्टर्ड फार्मास्यूटिकल कम्पनियां हैं एक अनुमान के अनुसार इस इण्डस्ट्री में तकरीबन दो लाख लोगों को काम मिला हुआ है। फार्मा इण्डस्ट्री की वर्तमान प्रगति को देखते हुए अगले कुछ वर्षों में इस इण्डस्ट्री की दो से तीन गुना स्किल्ड लोगों की आवश्यकता होगी। नये.नये उत्पाद आने से यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसे तीन क्षेत्रों में बांटा गया है पहला उत्पादन संबंधी कार्यए दूसरा प्रशासनिक कार्य और तीसरा सेल्स व मार्केटिंग इसमें दक्ष युवा विभिन्न कम्पनियों में मार्केटिंग एक्सक्यूटिव प्रोडक्ट जैसे पदों पर नौकरी हासिल कर सकते हैं। साथ ही पब्लिक सेक्टरए मार्केटिंगए एकेडमिकए फार्मेसी इण्डस्ट्री में भी जाॅब की असीम संभावनाएं हैं। स्टूडेंट्स आॅन लाइन एकेएस यूनिवर्सिटी सतना की वेबसाईट या आॅफ लाइन एकेएस कैम्पसए बस स्टैण्ड व माखन लाल बिल्डिंग से फार्म प्राप्त कर सकते हैं।

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना का नया सत्र जुलाई 2014 से आरंभ होने जा रहा है। इस दिश में यूनिवर्सिटी ने वर्तमान समय के व्यवसायिक और पेशेवर दौर को ध्यान में रखते हुए नए सत्र की शुरूआत में चार नए कोर्सेस प्रारम्भ किए हैं जिनमें फूड टेक्नालाॅजी, एप्लाईड जियोलाॅजी, बीएसडब्ल्यू व एकेएस द लैंग्वेज इंस्टीट्यूट शामिल हैं।

फूड इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाॅजी के विस्तार के साथ फूड प्रोसेसिंग की मांग को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने यह नया कोर्स प्रारम्भ किया है। फूड इंजीनियरिंग एवं टेक्नालाॅजी के डिप्लोमा एवं बैचलर डिग्री कोर्स में छात्रों को लाइफ साइंसेस, थर्मोडायनेमिक्स, फूड प्रोसेसिंग, फूड इंजीनियरिंग, फूड साइंस, फूड टेक्नालाॅजी, फूड क्वालिटी एनालिसिस, माइक्रो बायोलाॅजी आदि विषयों के बारे में अध्ययन कराया जायेगा। कोर्स में 3 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में 10वीं पास विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे। जबकि डिग्री कोर्स में 4 वर्षीय बी.टेक कोर्स होगा।
एम.टेक एप्लाईड जियोलाॅजी कोर्स भारतीय सीमाओं और खाड़ी देशों में एम.टेक किये इंजीनियरों की विशेष मांग को देखते हुए प्रारम्भ किया गया है। इस कोर्स की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें विद्यार्थियों को देश-विदेश के विषय विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन एवं स्पेसिफिक प्रेक्टिकल्स करवाये जायेंगे। इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष है, जबकि इन्टीग्रेटेड कोर्स 5 साल का है। विज्ञान में 12वीं पास विद्यार्थी एम.टेक एप्लाईड जियोलाॅजी की पात्रता रखते हैं। इस कोर्स का उद्देश्य जियो इन्जीनियरिंग के लिये बेहतरीन इन्जीनियर्स तैयार करना है।
‘‘एकेएस द इंस्टीट्यूट आॅफ लैंग्वेज’’ में सर्टिफिकेट कोर्सेस प्रारम्भ किये जायेंगे। ‘‘एकेएस द इंस्टीट्यूट आॅफ लैंग्वेज’’ का संचालन एवं मार्गदर्शन एकेएस के विभिन्न विभागों में कार्यरत इण्डस्टीªयल एक्सपर्ट्स की निगरानी में होगा।
बीएसडब्ल्यू कोर्स में सोसल वर्क की पढ़ाई करने वाले छात्रों को एनजीओ, सरकार के विभिन्न विभागों जिनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था, मनोविज्ञान केन्द्र, परामर्श मंच, सुधार केन्द्र, मानव विज्ञान संबंधी अनुसंधान से जुड़े संगठनों में नियुक्त किया जाता है। यूनेस्को, डब्ल्यूएचओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भी इन पेशेवरों की नियुक्ति की जाती है। बीएसडब्ल्यू कोर्स किसी भी विषय के विद्यार्थी जिसने कक्षा 12वीं 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है, इस रोजगारोन्मुखी कोर्स में एडमीशन ले सकता है। इस बात की जानकारी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दी है।

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