19-06-2014 एकेएस यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नालाॅजी में प्रवेश प्रारंभ
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सतना। तीव्र गति से उभरते भारतीय बायोटेक उद्योग को देखते हुए एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के कोर्स बायोटेक्नालाॅजी ने विद्यार्थियों को ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वर्तमान समय पर जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसा नया और उदयीमान अध्ययन क्षेत्र है जिसमें भविष्य में विकास की असीम संभावनाएं हैं। बायोटेक्नालाॅजी ने काफी कम समय में दुनिया भर के मानव और आर्थिक जगत में वैज्ञानिकों को अधिकाधिक शोध व अन्वेषणों के लिये प्रोत्साहित किया है आज भारत को एशिया पेशेफिक में बायोटेक्नालाॅजी के क्षेत्र में पांच उभरती शक्तियों में गिना जा रहा है वर्तमान में बायोटेक इण्डस्ट्रीज चार बिलियन आंकड़े को पार कर गई है। आने वाले वर्ष में इसमें 30 प्रतिशत मिश्रित विकास दर की उम्मीद है।
एकेएस में बायोटेक्नालाॅजी कोर्स
एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में बायोटेक्नालाॅजी के चार कोर्सेस हैं जिसमें बी.टेक (बायोटेक) चार वर्षीय कोर्स के लिये हायर सेकण्डरी यानी 12वीं (बायो, बायोटेक, मैथ्स) में एवं बी.एस.सी. आॅनर्स तीन वर्षीय कोर्स के लिये 12वीं (बायो, मैथ्स), एम.एस.सी. बायोटेक एवं एम.एस.सी. माइक्रो बायोलाॅजी दो वर्षीय कोर्स के लिये (ग्रेजुएशन इन लाइफ साइंस) पास विद्यार्थी प्रवेश की पात्रता रखते हैं।
वर्तमान में बायोटेक्नालाॅजी की स्थिति
बायोटेक्नालाॅजी कोर्स में जाॅब की संभावनाओं पर बात करते हुए बायोटेक्नालाॅजी के हेड डाॅ. कमलेश चैरे ने बताया कि भारत की बात करें तो यहां बायोटेक्नालाॅजी में नौकरियां उपलब्ध कराने वाले दो क्षेत्र मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी, एग्रीकल्चर बायोटेक्नालाॅजी तेजी से बढ़ रहे हैं। आने वाले समय मे भारतीय बायोटेक उद्योग घरेलू और वैश्विक दोनों स्तर पर अपनी पहचान दर्ज कराकर युवाओं के लिये अनगिनत राह खोलेगा। प्रोफेशनल्स के लिये फूड, केमिकल, जनेटिक्स इंजीनियरिंग, हेल्थ केयर, इण्डस्ट्रीयल रिसर्च एण्ड डेवलपमेन्ट सहित अनेकों क्षेत्र में काम उपलब्ध है। इस क्षेत्र में युवा क्वालिटी कन्ट्रोल आॅफीसर, प्रोडक्शन इंचार्ज (खाद्य, रसायन तथा दवा उद्योग) अनुसंधान वैज्ञानिक के रूप में अपनी संभावनाएं तलाश सकते हैं। इसके अलावा विद्यार्थी कृषि उद्योग, जैव प्रसंस्करण उद्योग और सरकारी, गैर सरकारी अनुसंधान केन्द्रों में काम कर सकते हैं।
बायोटेक्नालाॅजी में जाॅब की असीम संभावनाएं
भारत में बायोटेक्नालाॅजी का विस्तार व्यापक है तथा आज भी विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान जारी है उनमें कृषि, पशुपालन विज्ञान, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग, ऊर्जा इत्यादि शामिल हैं। आज हैदराबाद जीनोम वैली कहलाने लगा है। यहां 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में करीब 100 बायोटेक कम्पनियां आकार ले रही हैं। मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी एवं एग्रीकल्चर बायोटेक्नालाॅजी सालाना 8000 करोड़ रुपये के राजस्व उत्पादित करने वाले इस क्षेत्र में 70 फीसदी राजस्व मेडिकल बायोटेक्नालाॅजी के जरिये आता है। बायोटेक के बढ़ते क्षेत्र में चलते सभी वर्षों में कम्पनियों की संख्या बढ़ रही है जहां कुशल शोधकर्ता एवं बायोलाॅजिस्ट की मांग है। बायोटेक्नालाॅजी के विद्यार्थी शैक्षणिक विभाग मे प्राध्यापक के तौर पर भी आवेदन कर सकते हैं जहां पर उनका वेतन 20000 से 30000 रुपये के बीच में शुरुआती तौर पर होता है। डिपार्टमेंट आॅफ बायोटेक्नालाॅजी भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करने वाली नोडल एजेंसी है जो कि भारत में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने, शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने, किसानों को अधिकाधिक तकनीकी रूप में सुदृढ़ बनाने, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्थापित होने वाली कम्पनियों को प्रोत्साहित करने का कार्य करती है। कोर्स के बारे में अधिक जानकारी एकेएस यूनिवर्सिटी सतना एवं राजीव गांधी कम्प्यूटर काॅलेज में कार्यालयीन समय पर ली जा सकती है।
एकेएस यूनिवर्सिटी में ‘‘विश्व शरणार्थी दिवस’’ पर होगा जागरूकता कार्यक्रम
सतना। ‘‘नेशनल एम.पी. टेक्निकल एज्यूकेशन एवं समिट-2014’’ एक्सीलेंट प्राइवेट वि.वि.का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्यार्थियों के सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा के साथ ही अध्यात्मिक एवं सर्वांगीण विकास हेतु कटिबद्ध रहते हुए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है। एकेएसयू के इन्वायरनमेंट सांइस विभाग द्वारा ‘‘विश्व शरणार्थी दिवस’’ पर ‘‘एक बेहतर दुनिया की ओर प्रवासी और शरणार्थी - 2014’’ थीम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस बात की जानकारी देते हुए इन्वायरनमेंट सांइस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम में समाज में शरणार्थियों की स्थिति, शरणार्थियों के नैतिक समर्थन, शरणार्थियों की वास्तविक कहानियां जैसे मुद्दो पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। जागरूकता कार्यक्रम में सभी संकायों के फैकल्टीज एवं विद्यार्थी भाग लेगे।