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एकेएस वि.वि. सतना के फैकल्टी ने किए अनुभव शेयर
डाॅ.धीरेन्द्र ओझा ने इंडियन कंपनी लाॅ,अतीत से वर्तमान पर दिया लेक्चर
सतना। एकेएस वि.वि. सतना के डिपार्टमेंट आफ कामर्स में लंबे समय से कार्यरत फैकल्टी डाॅ.धीरेन्द्र ओझा ने इंडियन कंपनी लाॅ, ए जर्नी फ्राम 1956 टू 2015 और कोविड एरा पर अपना जानकारीपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कंपनी अधिनियम वह अति महत्वपूर्ण विधान है जो केन्द्र सरकार को कंपनी के गठन औा कार्यो को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है भारत की संसद द्वारा 1956 में इसे पारित कराया गया था। इसमें समय-समय पर परिवर्तन हुए हैं यह अधिनियम कंपनी के गठन को पंजीकृत करने तथा उनके निर्देशकों और सचिवों की जिम्मेदारी का निर्धारण करता है। उन्होंने आगे बताया कि कोविड काल के दौरान वर्चुअल कार्य होने और अन्य कारणों से कई परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं। जैसे मिनिस्ट्री आॅफ कार्पोरेट अफेयर्स के द्वारा कंपनियों को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग और अन्य दृष्य श्रव्य साधनों का प्रयोग करते हुए सभा आयोजित करने की स्वतंत्रता दी। उन्होंने अपना व्याख्यान गवर्नमेंट एस.के.काॅलेज,मउगंज,रीवा के विद्यार्थियो ने दिया। उन्होंने कंपनी लाॅ में हुए विभिन्न परिवर्तनों को समसामयिक दृश्टिकोण से समझाते हुए उपस्थित स्टूडेन्टस का मार्गदर्शन किया और बताया कि मिनिस्ट्री आॅफ कार्पोरेट अफेयर्स कोविड अवधि में ये स्पस्टीकरण जारी किया कि किसी कंपनी द्वारा कोविड 19 मद मे किया गया व्यय सीएसआरकार्यो के योग्य माना जा। उन्होंने और पहलुओं पर भी बात की और स्टूडेन्टस के सवालों के तर्कसम्मत उत्तर भी प्रदान किए। उन्हें विभाग के फैकल्टीज ने बधाई दी है।

 

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एकेएस वि.वि. सतना के माइनिंग छात्रों की इंडस्ट्रियल विजिट
माॅयल ,ए मिनिरत्न-श्रेणी 1 कंपनी में 23 स्टूडेन्ट ने जाना कार्य का प्रारुप
सतना। एकेएस वि.वि. सतना के इंजी.डीन प्रो.जी.के.प्रधान के मार्गदर्शन में 23 स्टूडेन्ट माॅयल ,ए मिनिरत्न-श्रेणी 1 कंपनी में विस्तृत कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी लेने पहुॅचे प्रो. प्रधान ने इन्हें अवगत कराया कि कंपनी को भारत शासन द्वारा 1962 में मूल रुप से मैग्जीन ओर इंडिया लिमिटेड के रुप में शामिल किया गया था जिसे बाद में माॅयल लिमिटेड में बदल दिया गया। वर्तमान में माॅयल 11 खनन इकाइयों का संचालन करती है माॅयल एशिया की अंडरग्राउंड हार्ड राॅक खानों में सबसे प्रसिद्व स्थान रखती है बालाघाट में स्थित इस खदान की विस्तृत भौगोलिक संरचना, इसकी कार्यप्रणाली, हार्ड राॅक अंडरग्राउंड माइंस की कार्यप्रणाली और वर्तमान में चायनीज कंपनी द्वारा किए जा रहे कार्यो का मूल्यांकन भी छात्रों के समक्ष किया गया छात्रों ने यहाॅ फेरो मैग्जीन संयंत्र, गैर पारंपरिक उर्जा संसाधन विंड फार्म और 800 मीटर गहराई तक होने वाली खनन प्रणाली को भी समझा और सुरक्षा मानको,संयंत्र के अन्य पहलुओं इत्यादि को भी देखा। विजिट कार्यक्रम के दौरान फाइनल सेमेस्टर डिप्लोमा और डिग्री के छात्र शामिल हुए।

 

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एकेएस विश्वविद्यालय मं डाॅ. केशव आनन्द जी का वर्चुअल व्याख्यान
आध्यात्मिकता से ओतप्रोत एक नई यात्रा का लिया अगाध आनंद
सतना। यदा यदा हि धर्मष्य, ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युथ्थानम अधर्मष्य संभवामि युगे-युगे, भगवतगीता के ये श्लोक अधर्म पर धर्म विजय के प्रतीक है। एकेएस विश्वविद्यालय सतना के सभागार में डाॅ. केशव आनन्द दास जी, इस्काॅन,पंजाब ने साइंस आॅफ भगवद् गीता पर रुचिकर व्याख्यान दिया। उन्होंने अर्जुन की युद्व दुविधा पर भगवान श्रीकृष्ण के कहे भगवद् गीता की प्रासंगिकता और समय के साथ भगवत गीता विज्ञान की जरुरत पर व्याख्यान दिया उन्होंने व्याख्यान का उपस्थित जनों के लिए श्रीकृष्ण भावनामृत और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत एक नई यात्रा का आनन्द निरुपित किया। उल्ल्ेाखनीय है कि डाॅ. केशव आनन्द जी ने दिल्ली एम्स में 25 वर्ष अपनी सेवाएं दीं और अब उनका पूरा जीवन वैदिक ज्ञान के प्रचार प्रसार के लिये समर्पित है। उन्होंने संवाद करते हुए बताया कि वैदिक जीवन पद्धति और गीता के माध्यम से विज्ञान के आधार पर मनुष्य जीवन के कई अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर जीवन को संतुष्ट और आनन्दमय बनाया जा सकता हैं। डाॅ. आनन्द ने व्याख्यान मे भारतीय संस्कृति में गीता का स्थान सर्वोच्च निरुपित किया। उन्होंने कहा कि धरती पर शायद ही ऐसा कोई स्थान हो जो गीता के प्रभाव से मुक्त हो। गीता को धर्म आध्यात्म समझाने वाला अमूल्य काव्य कहा जा सकता है। गीता रूपी ज्ञान गंगोत्री में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। गीता को माँ भी कहा गया है, यह इसलिये कि जिस प्रकार माँ अपने बच्चों को प्यार-दुलार देती है और सुधार करते हुए महानता के शिखर पर आरूढ़ होने का रास्ता दिखाती है, इसी प्रकार गीता आलौकिक ज्ञान प्रकाश और अपरिमित आनन्द देने वाली ज्ञानगंगा है। गीता का जितना स्वाध्याय किया जाय उतना गीतामृत हमें मिलता है। गीता हमेंशा हमें सही रास्ता दिखाती है, हर कष्ट हर दुःख के निवारण के लिये गीता की शरण में जाया जा सकता है। गीता न कोई शास्त्र है न कोई ग्रंथ है वह तो सबको छाया देने वाली ज्ञान का प्रकाश देने वाली माता है। डाॅ. केशव आनन्द जी ने सभागार को सम्बोधित करते हुए स्टूडेंट्स की लाइफ मंे गीता के अनेक महत्व रेखांकित किये स्टूडेन्टस तनाव प्रबंधन, टाइम मैनेजमेंट और खुशी के मीटर को बढाकर गीता के माध्यम से सफलता पूर्वक जीवन प्रबंधन कर सकते हैं। व्याख्यान कर्ता डाॅ. केशव आनन्द दास जी जो वैदिक रिवाइवल रिसर्च सेंटर बोस्टर्न यूएसए के डायरेक्टर है और उन्होंने एमआईटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और अंतर्राष्ट्रीय कार्पोरेट संस्थानों गूगल और एप्पल में भी अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिए है। व्याख्यान के दौरान सभागार में विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी, प्रति कुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी,डाॅ.आर.एन.त्रिपाठी,इंजी.आर.के.श्रीवास्तव,प्रो.जी.पी.रिछारिया,प्रो.जी.सी.मिश्रा के साथ एकेएस विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनों के सवालों के जवाब भी डाॅ.केशव आनंद जी ने दिए।

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एकेएस वि.वि.के असिस्टेट प्रोफेसर को पीएचडी एवार्ड
बायोटेक विभाग में लंबे समय से है कार्यरत-हुए डाॅ श्रेयांश
सतना। एकेएस वि.वि. सतना के बायोटेक विभाग में में लंबे समय से कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर श्रेयांश परसाई को पीएचडी एवार्ड हुई है उनके शोध का विषय एसेसमेंट आॅफ माइक्रोबियल डायवर्सिटी एसोसिएटेड विथ हाॅट स्प्रिंग आॅफ मध्यप्रदेश फाॅर स्क्रीनिंग आॅफ इंडस्ट्रियली इम्पोर्टेंन्ट एन्जाइम्य रहा जिसमें उनका कुशल मार्गदर्शन विषय के दक्ष और अच्छे जानकार डाॅ. कमलेश चैरे,विभागाध्यक्ष, बायोटेक ने किया। उनको पीएचडी एवार्ड होने पर वि.वि. के बायोटेक विभाग के डीन प्रो.जी.पी.रिछारिया एवं समस्त फैकल्टीज ने हर्ष व्यक्त करते हुए श्रेयांश के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

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एकेएस वि.वि.के असिस्टेट प्रोफेसर को पीएचडी एवार्ड
बायोटेक विभाग में लंबे समय से है कार्यरत-हुए डाॅ श्रेयांश
सतना। एकेएस वि.वि. सतना के बायोटेक विभाग में में लंबे समय से कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर श्रेयांश परसाई को पीएचडी एवार्ड हुई है उनके शोध का विषय एसेसमेंट आॅफ माइक्रोबियल डायवर्सिटी एसोसिएटेड विथ हाॅट स्प्रिंग आॅफ मध्यप्रदेश फाॅर स्क्रीनिंग आॅफ इंडस्ट्रियली इम्पोर्टेंन्ट एन्जाइम्य रहा जिसमें उनका कुशल मार्गदर्शन विषय के दक्ष और अच्छे जानकार डाॅ. कमलेश चैरे,विभागाध्यक्ष, बायोटेक ने किया। उनको पीएचडी एवार्ड होने पर वि.वि. के बायोटेक विभाग के डीन प्रो.जी.पी.रिछारिया एवं समस्त फैकल्टीज ने हर्ष व्यक्त करते हुए श्रेयांश के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

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