एकेएस वि.वि. सतना आए श्री रावतपुरा सरकार ने दिए आशीर्वचन
विचार भगवान की कृपा से आता है-श्री रावतपुरा सरकार
एकेएस वि.वि. की कम समय में की गई प्रगति से खुश हूॅ -श्री रावतपूरा सरकार
सतना। एकेएस वि.वि. सतना के सभागार में श्रद्वा, आस्था, विश्वास के प्रतीक आध्यात्मिक गृरु श्री रावतपूरा सरकार का एक दिवसीय आगमन हुआ इस मौके पर गृरुवंदना और अर्चन के पश्चात वि.वि. के साभागार में उनका पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। उनके सभागार से परिचय का दायित्व डाॅ.हर्षवर्धन ने निभाते हुए उनके आध्यात्मिक व्यक्तित्व के कई पहलुओं से सभागार में उपस्थितजनों को परिचित कराते हुए बताया कि उनका पूरा जीवन समाजकल्याण और ईश्वर के कार्यो के लिए समर्पित है। तत्पश्चाज संतश्री श्री रावतपूरा सरकार ने अपने उद्बोधन में उपस्थित जनों के संबोधित करते हुए कहा कि विचार आना ईश्वर की अनुकंपा है जिसे कार्यरुप में परिणत करना भी ईश्वर की प्रेरणा से ही संभव है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सभी कलाओं में पारंगत होता है वह ईश्वर का रुप बन जाता है,सभी विचार ईश्वर की कृपा से आते है मनुष्य को कर्म के क्षेत्र में रत रहना चाहिए,मनुष्य को धैर्यवान होना चाहिए आप धैर्य रखेंगें तो सबल बन जाऐंगें। जीवन की Philosophy पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग सुनकर विद्वान बनते हैं और कुछ अध्ययन करके उच्च कोटि के व्यक्ति बनते हैं पर पूजनीय दोनो होते है। एकेएस वि.वि. के बारे में उन्होंने अपने आशीर्वचनों में कहा कि एकेएस वि.वि. ने कम समय में अपनी प्रगति से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना प्रभाव व्यापक किया है, वि.वि. निरंतर प्रगति कर रहा है। शिक्षा,शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए टीम अति आवश्यक है जो कि वि.वि. में विद्वानों, गुणीजनों की वजह से समृद्व है उन्होंने कहा कि वि.वि. की गरिमा इस बात से बढेगी कि यहाॅ हर वक्त पेटेन्ट पर कार्य हो रिसर्च बढे और शोध मौलिक हों। उन्होंने NAAC Accreditation पर बात करते हुए कहा कि उनकी शुभकामना है कि एकेएस वि.वि. उच्चकोटि के संस्थानों में भी अव्वल स्थान हासिल करे और क्षेत्र का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर दर्ज हो। कार्यक्रम में प्रो.आर.एस.त्रिपाठी ने उनके सम्मान में स्वागत भाषण देते हुए कहा कि परहित सरिस धर्म नहिं भाई,परपीडा सम नहिं अधमाई, उन्होंने कहा कि श्री रावतपुरा सरकार संत हैं और उनका जीवन भी समाज सेवा और परहित के लिए प्रवृत्त और समर्पित है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.आर.एन.त्रिपाठी ने संतो के स्वभाव पर कहा कि बृक्ष कबहुॅ नहिं फल भकै, नदी न संचय नीर,परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर, उन्होंने रावतपूरा सरकार के साथ बिताए तीन वर्षो के अनुभव भी संचानल के दौरान सुनाए। कार्यक्रम में वि.वि. के Pro-Chancellor अनंत कुमार सोनी ने अपने विचार गुरु को समर्पित करते हुए कहा कि यह हम सबका और वि.वि. का परम सौभाग्य है कि संत श्री ने एकेएस वि.वि. में आने की इच्छा जाहिर की और हम उनका दर्शन करके धन्य हुए और आशीर्वचन प्राप्त किया। इस मौके पर अनंत सोनी ने बताया कि कोवि के बावजूद वि.वि. ने अपना virtual platform बनाकर विद्यार्थियों के लिए सर्वसुविधायुक्त परिसर बनाया है और प्रतिदिन विभिन्न संकायों में 600 के करीब lectures upload हो रहे हैं और विद्यार्थी अनवरत इनसे लाभान्वित हो रहे है। उन्होंने संतश्री का आभार भावों से व्यक्त किया।