एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना व जैवप्रौद्वोगिकी विभाग बायोडायवर्सिटी कन्र्जवेषन एवं रुरल बायेाटेक्नोलाॅजी सेंटर जबलपुर के साथ किए गए एमओयू में ज्वाइंट पीएचडी,ज्वाइंट रिसर्च,स्टूडेन्ट एवं टीचर्स टेªनिंग प्रमुख है इस मौके पर प्रति कुलपति प्रो. भूशण दीवान, डायरेक्टर अमित सोनी, बायोडायवर्सिटी कन्र्जवेषन से सौरभ गुप्ता उपस्थित रहे।
Daily University News in Hindi
- Subscribe to this category
- Subscribe via RSS
- 2500 posts in this category
अपरिहार्य कारणो से एकेएस विष्वविद्यालय में आयेाजित होने वाली बीण्एड के एन्ट्रेन्स एग्जाम की तिथि 18 मई के स्थान पर 01 जून 2014 कर दी गई हैै। जबकि फार्म भरने की अन्तिम तिथि 16 मई 2014 के स्थान पर 30 मई 2014 कर दी गई है। फार्म एकेएस विष्वविद्यालय की बेब साइट पर अॅानलाइन व एकेएस विष्वविद्यालय परिसर से अॅाफ लाइन भी भरे जा सकते है। एकेएस विष्वविद्यालय प्रबन्धन ने इस जानकारी की घोशणा की है।
राजीव गांधी कम्प्यूटर कालेज में प्रैक्टिकल एक्जाम 18 व 19 को
सतना- माखनलाल चतुर्वेदी राश्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय से संबद्ध राजीव गांधी कम्प्यूटर कालेज में संचालित बीसीए चतुर्थ सेमेस्टर रेग्युलर की प्रायोगिक परीक्षा दिनांक 18 मई 2014 को प्रातः 09 बजे से दोप. 12 बजे तक संचालित की जायेगी। इसी क्रम में बीसीए द्वितीय सेमेस्टर रेग्युलर की प्रायोगिक परीक्षा 18 मई को ही दोप. 01 बजे से सायं 04 बजे तक संचालित होगी। 19 मई को प्रातः 09 बजे से सायं 05 बजे तक बीसीए छठवंे सेमेस्टर रेग्युलर की परीक्षा राजीव गांधी कम्प्यूटर कालेज में होगी। परीक्षा में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थी निर्धारित समय पर कालेज में उपस्थित हों।
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के प्रतिकुलपति प्रो. भूशण दीवान ने ‘‘ईसान काॅलेज आॅफ मथुरा‘‘ के दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि षिरकत की । उन्होने इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम अंगों के बारे में किए गए षोध जिसमें कहा जा रहा है कि कृत्रिम अंग भी ब्रेन के सिग्नल रिसीव करेंगें।ब्रेन इंटरफेस तकनीक के जरिए दूर की जा सकने वाली खामी पर भी उन्होंने बात की ।
एकेएस यूनि. मे मनाया गया ‘‘वल्र्ड नर्सेस डे‘‘
एकेएस वि.वि. सतना के फार्मेसी विभाग द्वारा एक गरिमामय कार्यक्रम रखकर ‘‘वल्र्ड नर्सेस डे‘‘ सेलीब्रेट किया गया । गौरतलब है कि यह दिल‘‘ फलोरेंन्स नाइटेंगिल‘‘ के सेवा भाव और कार्यौ को याद किया गया इसी दिन फलोरेंन्स नाइटेंगिल का जन्म दिन भी मनाया जाता है । उन्हें वैष्विक रुप से माडर्न नर्सिग का फाउन्डर माना जाता है। फार्मेसी प्राचार्य ने विद्याथियों को संबोधित करते हुए बताया कि पीडित मानवता की सेवा से बढकर कोई दूसरा कर्म नहीं है। इस अवसर पर फार्मेसी संकाय के विद्यार्थी खास तौर पर उपस्थित रहे।
टेक्नोलाॅजी बिना विकास के सोपानों पर पहुॅचना नामुमकिन
सतना। गौरतलब है कि मई माह में ‘‘नेशनल टेक्नोलाॅजी डे‘‘ मनाया जाता है।एकेएस सभागार में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष कम्प्यूटर टेक्नोलाॅजी ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि समय के सबसे बडे बदलावों में टेक्नोलाॅजी का अहम योगदान रहा है कार्यक्रम को कई वक्ताओं ने संबोधित किया । इस मौके पर प्रबंधन के साथ विभिन्न संकायों के विद्यार्थी शामिल रहे।
रमा शुक्ला का शोध बना इंटरनेशनल जर्नल का कन्टेन्ट
एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के एग्रीकल्चर संकाय मे बतौर एसोसिएट कार्य कर रहीं रमा शुक्ला के शोध के विषय ‘‘टमस नदी के जल की गुणवत्ता‘‘ विषय पर डाॅ. शिवेष प्रताप सिंह के मार्गदर्शन मे किए गए कार्य को व्यापक सराहना मिली है और शोध पत्र को इंटरनेशनल जर्नल के अप्रैल वाल्यूम में प्रकाशन का अवसर मिला है गौरतलब है कि टमस नदी में कई ऐसे कन्टेन्ट है जो औषधीय और गुणवत्ता की दृष्टि से अमूल्य है रमा का शोध इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कडी के रुप मे काम करता है ।वि.वि. परिवार ने रमा को बधाई दी है ।
कभी अलविदा न कहना के साथ हुआ समापन
सतना। एकेएस यूूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में आरजीआई बायोटेक फाइनल ईयर के स्टूडेन्टस को जूनियर्स ने यादगार फेयरवेल पार्टी दी। फेयरवेल पार्टी में कई ऐसे पल आए जब पलके गीली हुई तो कई मौकों पर खुशी से लबरेज लम्हे भी नुमाॅयाॅ हुए। बेबी डाल साॅग के म्यूजिंग, पर मस्ती के रंगो से जूनियर्स और सीनियर्स खूब थिरके जो जुनूं जुनूं गीत के साथ सभागार में उपस्थित सभी ने सुरों से सुर मिलाया कुल मिलाकर फेयरवेल पार्टी का रोमांच चरम पर रहा।
डांस के साथ हुई पार्टी की शुरुआत
लम्हे-लम्हे फेयरवेल पार्टी में गीत, संगीत और मस्ती का शानदार कम्बीनेशन बना रहा। फेयरवेल पार्टी के दौरान एक-दूसरे से दूर होने का गम भी नृत्य, गीत और संगीत के लफजों के माध्यम से उभरा। बायोटेक फाइनल ईयर के स्टूडेन्टस को जूनियर्स द्वारा फेयरवेल पार्टी दी गई। जूनियर्स को सीनीयर्स द्वारा बेहतरीन अल्फाजी टिप्स भी दिए गए। जिसे जूनियर्स ने तहे दिल से स्वीकार किया।
एकल ड्यूएट और ग्रुप डांस रहे खास
एकेएस में हुए संगोष्ठी
सतना। हेनरी डयूनेन्ट ने 1963 में जेनेवा में एक कमेटी बनाई जिसका नाम रखा रेडक्राॅस की अंतरराष्ट्रीय समिति रखा गया। इसी दिवस की याद में ‘‘रेडक्राॅस ड’’े सेलीब्रेट किया जाता है।
संगोष्ठी में इस बात पर चर्चा की गई कि बिना भेदभाव के पीड़ित मानवता की सेवा करने का विचार देने वाले तथा रेडक्राॅस अभियान को जन्म देने वाले मानवता के प्रेमी हेनरी डयूनेन्ट का जन्म 8 मई, 1828 में हुआ था। वह एक स्विस बिजनेसमैन और महान समाज सेवक थे। उनके जन्म दिन 8 मई को ही विश्व रेडक्राॅस दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इसे हम अंतरराष्ट्री स्वयंसेवक दिवस के रूप में मनाते है।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रेडक्राॅस के लिए मानवता की रक्षा करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई। उस समय हर जगह मानवता का संहार किया जा रहा था। ऐसे में रेडक्राॅस द्वारा चिकित्सा सुविधाएं देना एक बड़ी समस्या थी। युद्ध के समय घायल सैनिकों को अपनी सेवा देना इनका प्राथमिक कार्य होता था।
भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्राॅस सोसायटी का गठन हुआ, तब से रेडक्राॅस के स्वयं सेवक विभिन्न प्रकार की आपदाओं में निरंतर निःस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। भारत में प्राकृतिक आपदा अपने चरम पर रहती है उसको देखते हुए रेडक्राॅस सोसाइटी मानवता की सेवा के लिए भारत के कोने-कोने में अभियान भी चलाती है।
आज विश्व के अधिकांश ब्लड बैंकों की देख-रेख रेडक्राॅस एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं के द्वारा किया जाता है। जगह-जगह रक्तदान शिविर आयोजित करके लोगों को रेडक्राॅस के बारे में जागरूक किया जा रहा है। रेडक्राॅस द्वारा चलाए गए रक्तदान जागरूकता अभियान के कारण ही आज थैलीसिमिया, कैंसर, एनीमिया जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों से हजारों लोगों की जान बच रही हैं। संगोष्ठी में चर्चा के दौरान विभिन्न विभागों के फैकल्टीज व विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के मैनेजमेंट विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी एवं एसिस्टेंट प्रो. प्रमोद द्विेदी के साथ एमबीए द्वितीय सेमेस्टर के विद्वार्थियों ने यूनिवर्सल केबल्स का भ्रमण किया विद्याथर््िायों ने प्रोडक्सन एवं पैकेजिंग के साथ ही फिनिस्ड प्रोडक्ट के बारे में भी जानकारी प्राप्त की ।यूनिवर्सल केबल्स के अधिकारियों से यूनिट की कार्यप्रणाली की जानकारी प्राप्त की।
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में एक कार्यक्रम रखकर ‘‘वल्र्ड थैलेसीमिया डे‘‘ मनाया गया गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘‘वल्र्ड थैलेसीमिया डे‘‘ 8 मई को नियत किया है। वर्तमान के बोन मैरो ट्रान्सप्लान्टेशन की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए बताया गया कि थैलेसीमिया नामक बीमारी से बचाव संभव है। विश्व में पाए जाने वाले मरीजों पर चर्चा करते हुए फार्मेसी विभागाध्यक्ष नेे बताया कि यह अनुवांशिक ब्लड डिस आर्डर की बीमारी हैै। ब्लड सैल्स में हीमोग्लोबिन की कम मात्रा पाई जाती है। जिससे थैलेसीमिया का प्रभाव बढ़ जाता है। थैलेेेसीमिया के मरीजों को दो तरह की समस्याऐं आती है। पहली रेड ब्लड सेल्स कम मात्रा में प्रोड्यूस होता है दूसरे अधिकतर सेल्स डैमेज हो जाती है। हीमोग्लोबिन में दो तरह की प्रोटीन पाई जाती है। अल्फा और बीटा इन दोनों प्रोटीनों के प्रकार पर भी चर्चा की गई। इस मौके पर एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के विशाल सभागार में विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
हर चैथा व्यक्ति है अस्थमा से पीडित
गौरतलब है कि मई माह में विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। यह मई के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। एकेएस सभागार में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पर्यावरण विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र तिवारी ने बताया कि स्वास्थ्य को समझकर, अस्थमा या दमा के मरीज भी मौसम का मज़ा ले सकते हैं। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के मरीजों को कई प्रकार से प्रभावित करती है। बरसात आने के साथ ही अस्थमैटिक्स की मुसीबत भी बढ़ जाती है, ऐसे में उन्हें नमी वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए। अस्थमा के मरीज़ों के लिए आहार की कोई बाध्यता नहीं होती, लेकिन अगर किसी खास प्रकार के आहार से एलर्जी हो तो उससे परहेज करना चाहिए। अस्थमा अटैक से बचने के टिप्स भी विद्यार्थियों का दिये गये। जिसमें आँाधी और तफान के समय घर से बाहर ना निकलें, अस्थमा को नियंत्रित रखे और अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें, अगर बच्चा अस्थमैटिक है, तो उसके दोस्तों व अध्यापक को बता दें कि अटैक की स्थिति में क्या करना है, हो सके तो अपने पास स्कार्फ रखें जिससे आप हवा के साथ आने वाले पालेन से बच सकें, घर के अंदर किसी प्रकार का धुंआ न फैलने दे। अलग-अलग लोगों में दमा के दौरे के कारण भिन्न हो सकते हैं इसलिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप अपनी स्थितियों को समझें। 10 वर्ष पूर्व जहां 100 में 24वां व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित था। वही आज के परिवेश में हर चैथा व्यक्ति अस्थमा पीड़ित है। इस मौके पर विभिन्न संकायों के विद्यार्थी शामिल रहे।
‘‘कोल माइन्स डे’’
एकेएस यूूनिवर्सिटी, सतना के विशाल सभागार में बी.टेक माइनिंग विभाग द्वारा एक संक्षिप्त एवं सारगर्भित कार्यक्रम रख कर ‘‘कोल माइन्स डे’’ सेलीब्रेट किया गया। कार्यक्रम के दौरान माइनिंग फैकल्टीज ने कोल माइन्स का इतिहास, कोयला निकालने की विधियां, स्ट्रिप माइनिंग, काउंटर माइनिंग, माउण्टेन टाॅप रिमूवल माइनिंग, अण्डर ग्राउण्ड माइनिंग, कोल प्रोडक्शन और माॅडर्न माइनिंग के बारे में विद्यार्थियों को रूबरू कराया। इस दौरान विद्यार्थियों को बताया गया कि कोयला 1880 से ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इसका इस्तेमाल स्टील और सीमेंट इंडस्ट्रीज में बहुतायत में किया जाता है। माइनिंग के स्केल, ड्रेग लाइन्स, ट्रक्स, कान्वेयर्स, जैक्स और शीयरर्स के बारे में भी बताया गया। इसी के साथ यह भी बताया गया कि 18वीं शताब्दी से ब्रिटेन से औद्योगिक क्रांति प्रारंभ हुई थी। जो धीरे-धीरे यूरोप और नाॅर्थ अमेरिका तक पहंुची। इसी के साथ विश्व की कई कोल फील्डस के बारे में भी जानकारी दी गई। जिनमें यूनाइटेड किंगडम की टाॅवर कोलियरी, साउथ वेल्स वैली के बारे में जानकारी दी गई। सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए। यह चर्चा की गई कोल माइन्स डे मनाने के पीछे मूल मकसद क्या है? इससे जुड़े तमाम तथ्यों और तर्को की भी बात की गई। यह भी बताया गया कि माइनिंग का कार्य अमेरिका से 1730 में ही प्रारंभ हो गया था।