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एकेएस वि.वि. के सभागार में इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च, नई दिल्ली,एमपी काउंसिल आॅफ साइंसेस एण्ड टेक्नाॅलाजी से स्पाॅसर्ड एवं एकेएस वि.वि. से को-स्पाॅसर्ड सेमिनाूर का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी विभाग द्वारा शुक्रवार एवं शनिवार को भरतवर्ष के लीडिंग साइंटिस्ट,रिसर्चरर्स,स्कालर्स एवं पार्टिसिपेंटस ने ”फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट्स‘‘ पर विस्तार से चर्चा करते हुए आयोजित सेमिनार को एक अहम परिणामोन्मुखी एवं वर्तमान की एक महत्वपूर्ण सेमिनाॅर निरुपित किया। गौरतलब है कि एकेएस वि.वि. मौलिक शेाध के लिए कृत संकल्पित है और वि.वि. में रिसर्च सेंटर की स्थापना इसी कडी में एक अहम प्रयास है। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक औषधीय संपदा की प्रचुर मात्रा हमारे देश मे उपलब्ध है बस जरुरत है इसे खेाजने-सॅवारने की और सही दिशा देने की क्योकि जो चीजें विज्ञान के दायरे के बाहर होती हैं वह प्रकृति के पास होती हैं। इसी क्रम को आगे बढाते हुए एकेएस वि.वि. में दो दिवसीय ‘‘फंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्टस -अपाचर््युनिटीज एण्ड चैलेन्जेस ‘‘ के माध्यम से विस्तार से नेचुरल रिसर्च पर चर्चा की गई एवं कई ऐसे आयोमों एवं मेडिसिन्स पर चर्चा हुई जो सनातन परम्परा से होते हुए वर्तमान तक प्रासंगिक हैं एवं आज भी रामबाण प्राकृतिक औषधियों में शुमार है। प्रकृति हमें देना सिखाती है और हमें यह परमार्थ भी सिखाती है एकेएस वि.वि. के सभागार में दो दिनो तक चले विषयसम्मत वर्कशाॅप में प्रमुख आयाम रहा इसका बहुआयामी एवं विविध एब्सट्रैक्ट के माध्यम से विषय विस्तार ।काॅन्फ्रेन्स के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में डाॅ. रिचा श्री (प्रोफसर, डिपार्टमेंट आॅफ फार्मास्यिूटिकल साइंस एंड ड्रग रिसर्च, पंजाबी यूनिवर्सिटी,पटियाला) सर्च फाॅर न्यूरोप्रोटेक्टिव अगेन्स्ट फ्राॅम प्लान्टस अवर जर्नी, डाॅ. एकेएस रावत (साइंटिस्ट एंड हेड डिपार्टमेंट आॅफ फार्माकोनोजी एंड इथेनो फार्माकोलाॅजी सीएसआईआर-नेशनल बोटेन्किल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ), द रिसेंट डेवलेपमेंट इन हर्बल ड्रग एंड रोल आॅफ क्वालिटी एंड हर्बल फार्मूलेशन, डाॅ. सईद अहमद (असिस्टेन्ट प्रोफेसर एंड इंचार्ज बाॅयो एक्टिव नेचुरल प्रोडाॅक्ट लेबोरेटरी, डिपार्ट आॅफ फार्माकोनोजी एंड पाइथोकेमेस्ट्री, फैकल्टी आॅफ फार्मेसी जमिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली) क्रोमेटोग्राफी इन क्वालिटी कन्ट्रोल आॅफ हर्बल ड्रग एंड बोटेनिकल्स, डाॅ. प्रसून गुप्ता (सीनियर साइंटिस्ट नेचुरल प्रोडक्ट केमेस्ट्री डिवीजन सीएसआईआर, इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ इंटरग्रेटिव मेडिसीन, जम्मू) डिसकवरी आॅफ मरीन नेचुरल प्रोडक्ट देट इम्पेक्ट ह्यूमन इन बाॅयोनिक स्टेम सेल ग्रोथ, डाॅ. आशुतोष त्रिपाठी (रिसर्च इन्वेस्टीगेटर लाइफ साइंस इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी आॅफ मिशिगन अन्ना एरबोर एमआई, यूएसए) माइक्रोबेस आॅफ मेडिसीन डेवलेपमेंट आॅफ मेलेनियल ड्रग डिसकवरी प्लेटफार्म, विषय पर प्रतिभागियों से चर्चा की।पोस्टर प्रजेन्टेशन मे दीक्षित एस. एवं आकांक्षा को प्रथम एवं शिवांगी केा द्वितीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया इन्हे मोमेन्टो,स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया गया। सेमिनार के अंत में चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन,डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी,आर्गनायजिंग सेकेट्ररी सूर्यप्रकाश गुप्ता प्रो.आर.एन.त्रिपाठी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. रमेश के. गोयल (कुलपति दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी डीपीएसआरयू, नई दिल्ली) ने अपने उद्बोधन में ‘‘कांसेप्ट आॅफ कांसेप्ट टू रियलिटी इन हर्बल मेडिसिन चैलेंजेस एण्ड अपार्चुनिटीज’’विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक उत्पादों में निश्चय ही शोध के असंख्य मौके उपलब्ध है। दो दिवसीय सेमिनार के शुभारंभ के मौके पर खचाखच भरे सभागार में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेडिसिन वल्र्ड की कोई भी ब्रांच पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हो सकती है। भारतवर्ष परम्पराओं और संस्कृति के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि 70 से 80 फीसदी एलोपैथिक मेडिसिन्स में भी हर्बल प्रोडक्ट्स का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में विज्ञान जानता है पर जानने में आना-कानी करता है और कुल मिलाकर भारतवर्ष की विरासत आयुर्वेद और संस्कृतिक मान्यताएं बाजारवाद के तेज झोके से प्रभावित हुई है और इन प्रचंड वेगों के बाद कुछ ऐसी बाते हो रही है जिससे अब धीरे-धीरे आयुर्वेद की तरफ लोगों का रूझान बढ़ रहा है। वास्तव में जिस तरह से एकेएस विश्वविद्यालय ने ‘‘टेªडिसनल नाॅलेज सेंटर’’ की स्थापना की है वह तारीफ के काबिल है उन्होंने कहा कि एलोपैथिक, होम्योपैथिक एवं आयुर्वेद सभी एक दूसरे से लिंक्ड है। सेमिनार मे दूसरे विशिष्ट अतिथि डाॅ. विनोद डी. रंगारी, प्रो.एंड हेड ने ‘‘मेडिसनल प्लांट रिसर्च एण्ड न्यू ड्रग डिस्कवरी फाॅर स्किल सेल डिसीज फ्राम इथेनोफर्माकोलाॅजिकल क्लेम्स टू काॅमसिलाइजेशन’’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। प्राकृतिक उत्पादों में रिसर्च एवं विकास की असीमित संभावनाऐं अभी भी छिपी हुई है। और हमारे आस-पास प्राकृतिक औषधीय खजाना मौजूद है। कट जाने पर या खरोच आ जाने पर भृंगराज का रस तो हम सभी ने प्रयोग किया है। इसी तरह दादी-नानी के खजाने भी अनुभूति औषधियांे से परिपूर्ण है। जरूरत है इन्हें संरक्षित किया जाए, संवर्धित किया जाए और बाजारवाद की आंधी से बचाकर आमजन की जरूरतों से जोड़ा जाए, इन्ही विचारों के साथ एकेएस विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल साइंस एंड टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा यह अनुकरणीय दो दिवसीय कार्यक्रम की रुपरेखा रखी गई। शुभारंभ अवसर पर कार्यशाला में एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी,प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, फार्मेसी विभागाध्यक्ष एव आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एवं डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता ने भी संबोधित किया।
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में फार्मेसी के मूर्धन्य एवं ख्यात वैज्ञानिकों की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने की। दो दिवसीय फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट्स ,सेमिनार के शुभारंभ अवसर पर डाॅ. अरूण गुप्ता, डाॅ. नीता श्रीवास्तव, डाॅ. प्रसून गुप्ता, डाॅ. सी.एस. राव, डाॅ. आशुतोष त्रिपाठी ने भी अपनी राय रखी। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना ,स्वागत गीत एवं अतिथियों को पुष्प गुच्छ प्रदान करने से हुई तत्पश्चात फार्मेसी के विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रजेन्टेशन के माध्यम से विषय को सरल करके समझाया। अतिथियों ने पोस्टर प्रेजेन्टेशन का अवलोकन किया और अन्त में सभागार के मंच से अतिथियों को कार्यक्रम का स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया इस मौके पर सोवीनियर का अनावरण भी किया गया। सेमिनाूर के दौरान डाॅ. मधु गुप्ता,प्रभाकर सिंह तिवारी,चन्द्रप्रताप सिंह, प्रदीप त्रिपाठी, प्रियंका गुप्ता, शशि चैरसिया, प्रियंका नामदेव, नेहा गोयल, अंकुर अग्रवाल, मनोज द्विवेदी, प्रदीप सिंह, नवल सिंह, सुमित पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि एकेएस विश्वविद्यालय में पूर्व में भी इसी तरह के राष्ट्रीय सेमिनार डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता के मार्गदर्शन मे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके है। कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, डेलीगेट्स एवं छात्र-छात्राओं न सहभागिता दर्ज कराई। दो दिवसीय कार्यक्रम में प्राकृतिक उत्पादों केे सही औषधीय स्वरूप एवं उनकी उपयोगिता पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. दीपक मिश्रा ने किया।

 

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On the occasion of Vishva Jalashaya Divas, the Department of Environment, AKS University organized a Workshop on the topic “Jalashaya Prakritik aapdaon ki jokhim ko kam karne ke liye upyogee (Reservoirs useful for reducing the risks of natural disasters)”. Addressing the students on this occasion, Dr. S.S. Tomar said that the reservoirs are useful for the irrigation and production of electricity, “the big reservoirs have certain drawbacks and these drawbacks need to be neutralized” he added. On this occasion Dr. Harshvardhan, Pro V.C. cautioned the people about the consumption of water and said that the judicious consumption of water is the need of hour. Professor R.N. Tripathi said that the playing with nature may lead to the creation of many problems. Anchoring the function Dr. Mahendra Kumar Tiwari threw the lights on the importance and consumption of reservoirs. A good strength of students and faculty members made the programme a successful one.

 

 

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Keeping in view the personality development and employment needs of the students, AKS University is going to launch a three months certificate course of Spoken English from 01/02/2017 onwards. It has been noticed that the reputed companies lay emphasis upon the English knowledge of students while selecting them in their companies. Realizing the need of spoken English, AKS University has designed a syllabus of communicative English which will turn out to be instrumental for the students aspiring to learn spoken English within limited frame of time. Emphasis has been laid upon the use of all necessary modern techniques to facilitate the knowledge of spoken English to students in an easier way, and therefore a well equipped language lab has been set up under the guidance and supervision of experts. Anyone who has passed 10th class will be eligible for getting the admission in this certificate course. Informing further, AKSU administration told that apart from the students of AKS University, the outsiders, working professionals, housewives may also get the admission and can refine their English communication skills. Vice Chancellor-P.K. Banik, Chairman-Anant Soni, Pro VC-Dr. Harshvardhan,Pro-VC-R.S.Tripathi have advised the students to capitalize the opportunity by taking the admission in maximum number. 

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एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में विश्व जलाशय दिवस के अवसर पर पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित ‘‘जलाशय प्राकृतिक आपदाओं की जोखिम को कम करने के लिये उपयोगी’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डाॅ. एस.एस. तोमर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि जलाशय का महत्वपूर्ण उपयोग सिंचाई, विद्युत उत्पादन आदि के लिये होता है। लेकिन बड़े जलाशयों के कुछ दुष्परिणाम है। जिन्हे कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने कहा कि जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यदि इसका विवेक पूर्ण उपयोग न किया गया तो आगे आने वाले समय में बहुत बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। अतः उससे बचने के लिये जल संरक्षण पर विशेष जोर देना होगा। प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने कहा कि प्राकृति के साथ खिलवाड़ मानव जाति के लिए अनेक संकट पैदा करेगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुये डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने आज के कार्यक्रम की सारगर्भिता पर प्रकाश डाला और जलाशयों के महत्व एवं संरक्षण पर जोर दिया। इस अवसर पर समस्त विभागो के छात्र-छात्राऐं एवं फैकल्टी सुमन पटेल, भूपेन्द्र सिंह एवं निलाद्रि शेखर राय उपस्थित रहे।

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एकेएस वि.वि. सतना में फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी विभाग द्वारा दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन 3 एवं 4 फरवरी 2017 को किया जाना है, इस बारे में जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. सूर्यप्रकाश गुप्ता ने बताया कि कांफ्रेंस ”फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट अपार्चुनिटीज एण्ड चैलेंजेस (एफआरएनपी-2017)” विषय पर आयोजित है। कांफ्रेंस इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), नई दिल्ली एवं एम.पी. काउंसिल आॅफ साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी (एमपीसीएसटी) भोपाल द्वारा स्पांसर्ड है।
मीडिया विभाग,
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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Department of Pharmacy, AKS University organized a Two Days National Seminar at its auditorium which was sponsored by Indian Council of Medical Research, New Delhi, Council of Sciences and Technology, M.P. and co-sponsored by AKS University itself. The seminar was graced by the esteemed presence of leading scientists, researchers, scholars and the participants who participated and presented their views on the topic “Frontier Research in Natural Products”. It is no denying the fact that the AKS University has always been giving the supreme priority to research and development, the establishment of Research center in AKS University is one of the efforts in this context. As it is well known that our country is fortunate enough to secure the natural herbal resources in abundance,   need of hour is to explore and to ensure the optimum utilization of these resources. Extending the views mentioned above, the presenters added their views in their presentation on the topic Frontier Research in natural products, opportunities and challenges, extensive and substantial discussion took place on those medicines which were consumed in time immemorial and are useful and relevant to in present context as well.

                          On the second day of the seminar Dr. Richa Sri-Professor, Department of pharmaceutical science and drug research, Punjab University, Patiala delivered the lecture on the topic “Search for Nero protective against plants our journey”. Dr. AKS Rawat delivered the lecture on the topic “The recent development in herbal drug and role of quality and herbal formulation”. Dr. Prasun Gupta- “Discovery of marine natural product that impact human in bionic stem cell growth”. The seminar was attended by Chairman-Er Anant Kumar Soni, Pro VC-Dr.Harshvardhan and Organizing Secretary Surya Prakash Gupta was present.

 

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एकेएस विश्वविद्यालय के ई-ब्लाक के प्रांगण में ‘‘या कुन्देन्दुतुषारहारधवला याशुभ्रवस्थावृता’’ मंत्रोच्चार के बीच सरस्वती पूजन का भव्य आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट विभाग में ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की देवी सरस्वती का पूजन विधि-विधान से करने के बाद हवन हुआ। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य की झोली में आई थी। सनातन मन्यता के अनुसार इसी दिन बच्चों को पहला अक्षर सिखाया जाता है और कहा जाता है कि माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ उससे ”स” शब्द फूट पड़ा यह शब्द संगीत के सात सुरों में प्रथम सुर है। हवाओं को, सागर को, पशु-पक्षियों और वन्य जीवों को वाणी मिली। नदियों से कल-कल की ध्वनि फूटी और माँ सरस्वती को वागेश्वरी नाम दिया गया। मनुष्य ही नहीं देवता और असुर भी भक्ति भाव से माँ सरस्वती की पूजा करते है। एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ,डायरेक्टर अमित सोनी, विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी फैकल्टी डाॅ. प्रदीप चैरसिया, चंदन सिंह, प्रमोद द्ववेदी, विजय प्रकाश चतुर्वेदी, प्रकाश सेन, शीनू शुक्ला, श्वैता सिंह एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।

 

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