एकेएस विश्वविद्यालय में ‘‘फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्टस‘‘पर नेशनल सेमिनार परम्पराओं के साथ वर्तमान के सामंजस्य से ही होगा रिसर्च सफल-डाॅ0 रमेश के. गोयल
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. रमेश के. गोयल (कुलपति दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी डीपीएसआरयू, नई दिल्ली) ने अपने उद्बोधन में ‘‘कांसेप्ट आॅफ कांसेप्ट टू रियलिटी इन हर्बल मेडिसिन चैलेंजेस एण्ड अपार्चुनिटीज’’विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक उत्पादों में निश्चय ही शोध के असंख्य मौके उपलब्ध है। दो दिवसीय सेमिनार के शुभारंभ के मौके पर खचाखच भरे सभागार में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेडिसिन वल्र्ड की कोई भी ब्रांच पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हो सकती है। भारतवर्ष परम्पराओं और संस्कृति के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि 70 से 80 फीसदी एलोपैथिक मेडिसिन्स में भी हर्बल प्रोडक्ट्स का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में विज्ञान जानता है पर जानने में आना-कानी करता है और कुल मिलाकर भारतवर्ष की विरासत आयुर्वेद और संस्कृतिक मान्यताएं बाजारवाद के तेज झोके से प्रभावित हुई है और इन प्रचंड वेगों के बाद कुछ ऐसी बाते हो रही है जिससे अब धीरे-धीरे आयुर्वेद की तरफ लोगों का रूझान बढ़ रहा है। वास्तव में जिस तरह से एकेएस विश्वविद्यालय ने ‘‘टेªडिसनल नाॅलेज सेंटर’’ की स्थापना की है वह तारीफ के काबिल है उन्होंने कहा कि एलोपैथिक, होम्योपैथिक एवं आयुर्वेद सभी एक दूसरे से लिंक्ड है। सेमिनार मे दूसरे विशिष्ट अतिथि डाॅ. विनोद डी. रंगारी, प्रो.एंड हेड ने ‘‘मेडिसनल प्लांट रिसर्च एण्ड न्यू ड्रग डिस्कवरी फाॅर स्किल सेल डिसीज फ्राम इथेनोफर्माकोलाॅजिकल क्लेम्स टू काॅमसिलाइजेशन’’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। प्राकृतिक उत्पादों में रिसर्च एवं विकास की असीमित संभावनाऐं अभी भी छिपी हुई है। और हमारे आस-पास प्राकृतिक औषधीय खजाना मौजूद है। कट जाने पर या खरोच आ जाने पर भृंगराज का रस तो हम सभी ने प्रयोग किया है। इसी तरह दादी-नानी के खजाने भी अनुभूति औषधियांे से परिपूर्ण है। जरूरत है इन्हें संरक्षित किया जाए, संवर्धित किया जाए और बाजारवाद की आंधी से बचाकर आमजन की जरूरतों से जोड़ा जाए, इन्ही विचारों के साथ एकेएस विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल साइंस एंड टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा यह अनुकरणीय दो दिवसीय कार्यक्रम की रुपरेखा रखी गई। शुभारंभ अवसर पर कार्यशाला में एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी,प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, फार्मेसी विभागाध्यक्ष एव आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एवं डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता ने भी संबोधित किया।
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में फार्मेसी के मूर्धन्य एवं ख्यात वैज्ञानिकों की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने की। दो दिवसीय फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट्स ,सेमिनार के शुभारंभ अवसर पर डाॅ. अरूण गुप्ता, डाॅ. नीता श्रीवास्तव, डाॅ. प्रसून गुप्ता, डाॅ. सी.एस. राव, डाॅ. आशुतोष त्रिपाठी ने भी अपनी राय रखी। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना ,स्वागत गीत एवं अतिथियों को पुष्प गुच्छ प्रदान करने से हुई तत्पश्चात फार्मेसी के विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रजेन्टेशन के माध्यम से विषय को सरल करके समझाया। अतिथियों ने पोस्टर प्रेजेन्टेशन का अवलोकन किया और अन्त में सभागार के मंच से अतिथियों को कार्यक्रम का स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया इस मौके पर सोवीनियर का अनावरण भी किया गया। सेमिनाूर के दौरान डाॅ. मधु गुप्ता,प्रभाकर सिंह तिवारी,चन्द्रप्रताप सिंह, प्रदीप त्रिपाठी, प्रियंका गुप्ता, शशि चैरसिया, प्रियंका नामदेव, नेहा गोयल, अंकुर अग्रवाल, मनोज द्विवेदी, प्रदीप सिंह, नवल सिंह, सुमित पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि एकेएस विश्वविद्यालय में पूर्व में भी इसी तरह के राष्ट्रीय सेमिनार डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता के मार्गदर्शन मे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके है। कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, डेलीगेट्स एवं छात्र-छात्राओं न सहभागिता दर्ज कराई। दो दिवसीय कार्यक्रम में प्राकृतिक उत्पादों केे सही औषधीय स्वरूप एवं उनकी उपयोगिता पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. दीपक मिश्रा ने किया।