एकेएस विश्वविद्यालय में फार्मेसी विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय डी.एस.टी. (डिपार्टमेंट आॅफ सांइस एण्ड टेक्नोलाॅजी, भारत सरकार) एवं एन.आई.एम.ए.टी. (नेशनल इंम्प्लीमेटिंग एण्ड माॅनीटरिंग एजेंसी) द्वारा स्पान्सर्ड एवं ई.डी.आई.आई. ( एन्टरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट आॅफ इण्डिया, अहमदाबाद) द्वारा कोअर्डिनेटेड “एन्टरप्रेन्योरशिप अवेयरनेस कैंप“ के तीसरे दिन समापन अवसर पर महान गुप्ता (चार्टेड एकाउण्टेंट) ने क्रियेटिविटी एंड बिजनेस एवं रजनीश तिवारी ने कम्यूनिकेशन स्किल्स पर व्याख्यान दिया। तत्पश्चात विद्यार्थियों को आदर्श प्लायवुड फैक्ट्री सितपुरा एवं यूसीएल फैक्ट्री की इण्डस्ट्रियल विजिट करायी गई। वेलीडेटरी सेसन में फीडबैक सेसन के बाद विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। कार्यक्रम में वोट आॅफ थैंक्स विभागाध्यक्ष एवं प्रोग्राम कोआर्डिनेटर डाॅ. सूर्यप्रकाश गुप्ता ने दिया एवं मंच संचालन एम. के. पाण्डेय ने किया।
अवेयरनेस कैंप“ में इन बिन्दुओं पर हुई चर्चा
दूसरे दिन विषय विशेषज्ञ मनविन्दर अरोबेराॅय (सचिन इण्डस्ट्री सतना),, एवं सुरेन्द्र वी. के. (डायरेक्टर ट्रेनी इलाहाबाद बैंक).ने फाइनेंसियल आस्पेक्ट्स आॅफ एसएसआई यूनिट, टेक्निकल एंड कामर्सियल आस्पेक्ट्स आॅफ एसएसआई यूनिट, हिस्टोरिकल बैकग्राउण्ड, लेक्चर बाय प्रैक्टिसिंग एन्टरप्रेन्योर्स सक्सेस स्टोरीज , कामन प्राब्लम फेसेस् बाय एन्टरप्रेन्योर्स पर व्याख्यान दिए।
समापन अवसर पर ये रहे उपस्थित
समापन अवसर पर एकेएस वि. वि. के कुलपति प्रो. पी. के. बनिक, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, प्रतिकुलपति डाॅ. आर. एस. त्रिपाठी, प्रो. आर. एन. त्रिपाठी, उपस्थित रहे। योगेश ताम्रकार, (मध्यप्रदेश चेम्बर आॅफ कामर्स के उपाध्यक्ष) ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत वर्ष में साहसी उद्यमियो की परंपरा लगभग 10 हजार वर्ष पुरानी है। हमारे यहां लघु उद्योग के क्षेत्र में विभिन्न उद्योगो जैसे इस्पात निर्माण, आभूषण निर्माण, वस्त्र निर्माण तथा आयुर्वेदिक उद्योगो की बड़ी प्रचीन एवं व्यवस्थित परंपरा रही है। एक हजार साल की गुलामी में इन उद्योगो को समाप्त कर दिया गया। आजादी के पश्चात विभिन्न क्षेत्रो में छोटे बडे तथा भारी उद्योगो की स्थापना की गई। और इक्कीसवीं सदी में हर उद्योग में आटोमेशन करके लगातार उत्पादन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। कम कीमत पर उत्पादन हो, इसी स्पर्धा में विभिन्न राष्ट्र लगे हुए हैं। विषय विशेषज्ञ मनविन्दर अरोबेराॅय (सचिन इण्डस्ट्री सतना) ने कहा सहसी उद्यमी बनने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के विचार युवा अवस्था मे ही उत्पन्न हो जाते है। इन सोये हुए विचारो को मूर्त रूप देने के लिए प्रति व्यक्ति को संकल्प लेना पडता है। आप हरेक में कोई न कोई गुण है। आवश्यकता है। उन्हे पहचान कर बाहर लाने में और यह कार्य के आप खुद ही कर सकते है।
इनका रहा विशेष सहयोग
तीन दिवसीय कैंम्प में एडमिनिस्ट्रेटिव आफीसर ब्रजेन्द्र सोनी , डाॅ. मधू गुप्ता, सीपी सिंह, प्रभाकर तिवारी, प्रदीप त्रिपाठी, अंकुर अग्रवाल, प्रियंका गुप्ता, प्रदीप त्रिपाठी , नेहा गोयल, शशी चैरसिया, प्रियंका मिश्रा, प्रदीप सिंह, नवल सिंह , मनोज द्विवेदी, राजेन्द्र कुशवाहा, सुमित पाण्डेय का योगदान उल्लेखनीय रहा।