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दिल्ली बल्लभगढ़ स्थित National council For Cement and building Material द्वारा 16 वे अन्तर्राष्ट्रीय Seminar का आयोजन 03 से 06 दिसम्बर के बीच किया गया जिसमे देश विदेश की र्राष्ट्रीय. बहुर्राष्ट्रीय Campany ऐवम देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक  संस्थानों ने हिस्सा लिया जिसमे ए के यस विश्वविद्दालय की भूमिका  अहम रही।  विश्वविद्दालय के Cement विभाग के डायरेक्टर प्रोफे ज़ी सी मिश्रा ने  वहा एक  अधिवेशन मे अध्य्क्षता की  साथ ही Cement विभाग की तरफ से दो research Paper भी प्रस्तुत किये गए जिसमे एक पेपर विभाग के प्रोफेसर डा के एन भट्टाचार्यजी एवं दूसरा पेपर क्षात्रो शुभम मिश्राए शुभम पाण्डेय ए ऋषभ गौतमए प्रांशु गुप्ता  द्वारा प्रस्तुत किया गया। seminar के दौरान वहा  विश्वविद्दालय के प्रयासो एवं क्षात्रो को खूब सराहा गया। 

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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके की मंगलधुन के साथ संगीत की स्वरलहरियाॅ गूॅजीं और स्वागत गीत की प्रस्तुति Founder's Day-2019 के दौरान दी गई। तत्पश्चात वि.वि. का नौवाॅ स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। स्थानपा दिवस समारोह के साथ वि.वि. के चांसलर बी.पी.सोनी का जन्म दिवस भी Celebrate किया गया। "Founder's Day-2019" कार्यक्रम में "Student Of The Year-2019" के विभिन्न केटेगरी में लाखों रुपये के Awards चयनित विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों को मंच से प्रदान किए गए।35 विद्यार्थियों को चयनित करके उन्हे प्रशस्तिपत्र और नकद पुरस्कार प्रदान किए गए। Life Time Achievement Award-2019 वि.वि. के Enng संकाय के प्रशासक इंजी.आर.के.श्रीवास्तव को वि.वि. के चांसलर ने प्रदान किया। Long Service Awards-2019डाॅ.जी.एस.पाण्डेय,प्राचार्य राजीव गाॅधी काॅलेज, Outstanding Performance इन Coordination मनीष अग्रवाल,Administrative Staff Of The Year Award -2019 के लिए अशोक बर्मन, परीक्षा विभाग अजीत पाण्डेय, मार्केटिंग, विमलेश गुप्ता, आईटी, भाग्यवेंद्र सिंह,एडमिनिस्ट्रेशन और अवनीश मिश्रा स्काॅलरशिप विभाग को प्रदान किया गया। लैबोरेटरी Faculty Of द Year Award-2019 नारायण मिश्रा, आशीष कुशवाहा, उमाकांत मिश्रा, प्रफुल्ल गौतम को और Best Supporting Staff Award-2019 की केटेगरी में अजय बाल्मीकि और राम प्रसाद को मंच से वि.वि. के माननीय अतिथियों ने सम्मानित किया। इस मौकेे पर प्याज पर हास्य नाटिका प्रस्तुत की गई जिसने सभी का ध्यान खींचा और गुदगुदाया भी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सुकृति सोनी के भावपूर्ण नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। माइम Play with your child not with mobile ने वर्तमान परिदृष्य का शानदार चित्रण किया। श्रृष्टी सोनी के राधे-राधे की नृत्य प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। शौर्या,संस्कृति,सुकृति के मैशअप गीत पर नृत्य ने सभी को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। देशी बीट्स पर जय जोहार की संगीत प्रस्तुति और अन्य कार्यक्रमों ने दर्शक दीर्घा को तालियाॅ बजाने के लिए मजबूर किया। एकेएस वि. वि. सतना के केन्द्रीय सभागार में उपस्थित जनों में वि.वि. के कुलाधिपति बी.पी.सोनी,उनकी धर्मपत्नी केशकली सोनी, बाबूलाल सोनी,प्रोचांसलर और चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी,डाॅ.हर्षवर्धन, डायरेक्टर अवनीस सोनी, अजय सोनी, ओएसडी प्रो.आर.एन.त्रिपाठी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ओएसडी प्रो.आर.एन.त्रिपाठी,डाॅ.दीपक मिश्रा ,प्रो.जी.सी.मिश्रा,अंजू ओटवानी और प्रज्ञा श्रीवास्तव ने किया। 

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यह गारन्टी से कहा जा सकता है कि भारत में बेटियाॅं सुरक्षित नही हैं । सरकारी आकड़े बताते है कि हर घण्टें 5 से 8 बेटियों के साथ ज्यादती होती हैं, परन्तु इनका षोर नही मचता । जब कभी पढ़ी लिखी बेटी के साथ ज्यादती के साथ हत्या कर दी जाती हैं, तब सभी का ध्यान ज्यादती पर जाता हैं । गरीब बेटियाॅं हमेषा पिसती रहती हैं । थाने मे रिपोर्ट होती है और भारत के कानून केे मुताबिक 10-20 वर्श केस चलता रहता हैं । भारतीय न्यायालय जघन्य अपराधी को भी अपराधी नही मानता थाने में प्रकरण दर्ज होने के बाद थानेदार की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रकरण इस प्रकार तैयार करें कि जुर्म अदालत मे सिद्ध किया जा सके । न्यायालय में अपराधी को पूरा अधिकार होता है कि वह अच्छा से अच्छा वकील लगाकर अपने को निर्दोश सिद्ध करें । भारत के वकील यह मानते हैं कि उनके पास कोई भी जघन्य अपराधी उनकी सेवा माॅगने आता हैं उसका प्रकरण अवष्य ले और हर सम्भव अपने मुव्वकिल को जितायें । यह जानते हुये भी कि इसने बहुत बड़ा अपराध किया है, फिर भी उसे बचायेगें और इसी को अपना कर्तव्य मानते हैं ।अगर किसी अपराधी को कोई वकील नही मिलता तो उसे सरकारी वकील दिया जाता हैं । ऐसे कानून ऐसे न्यायालय, ऐसे वकीलों से आप क्या आषा करते हैं । आप जघन्य अपराध होने पर संवेदना दिखाना चाहते है, प्रदर्षन करना चाहते हैं या 7 दिन में फाॅसी माॅगते है, सब बेकार की बातें हैं । मामला न्यायालय में जायेगा और 10-20 साल केस चलेगा । निचली अदालत सजा देगी, फिर प्रकरण दूसरे न्यायालय में जायेगा । उच्च न्यायालय में जायेगा । उच्चतम न्यायालय में जायेगा । इसके बाद क्षमा याचना के लिये राश्ट्रपति के पास जायेगा । कुल मिलाकर 10-20 साल लग जायेगें ।भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है कि अपराधी को पकड़कर तुरन्त फाॅसी दे दो । आप सब माॅग करते है के अमुक अपराधी है, उसने अपराध किया है इसे पकडा़ें और सजा सुना दो । न्यायालय कहता है कि वह निर्दोश है सिद्ध करिये कि अपराधी है । बेटियों को षक्तिषाली बनना पड़ेगा । सभी जानते है कि बड़ा से बड़ा पुलिस आफिसर बिना षस्त्र नही चलता । प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्री बिना सुरक्षा नही चलते । फिर बेटियाॅं बिना सुरक्षा क्यों चलती हैं।प््राष्न यह उठता है कि बेटियों को कैसी सुरक्षा दी जाये । यह सम्भव नही है कि पुलिस विभाग सभी बेटियों के लिये गार्ड मुहैया करायें । यह कहना भी कोई मायने नही रखता कि सरकार सुरक्षा की गारन्टी दे या कड़ा कानून बनाये । न्यायालय को सरकार निर्देष नही दे सकती कि षीघ्र फैसला सुनाये । न्यायालय अपराधी मानकर किसी पर प्रकरण नही चलाता और ऐसा कानून नही बनाया जा सकता कि किसी व्यक्ति को पहले से ही अपराधी मान लिया जाये।सरकार क्या कर सकती है इस पर विचार किया जावे । सरकार प्रत्येक मिडिल स्कूल से लेकर उच्च षिक्षा तक बेटियों को कराटे का प्रषिक्षण दे सकती है जिससे बेटियों मे अपराधी से निपटने की हिम्मत आये ।बेटियों को आत्मरक्षा हेतु एन.सी.सी. की ट्रेनिग दे जिसमे बन्दूक चलाना, पैलेटगन चलाना सिखाया जावे । अगर बेटियाॅं कराटे सीख लेती है और एन.सी.सी. लेकर बन्दूक चलाना, पैलेटगन चलाना सीख लेती है तो उनमे आत्म विष्वास जागृत होगा ।जिन बेटियों को अकेले आना-जाना पड़ता है तो उन्हे लाइसेन्सी पैलेट गन सरकार दिलाये । गरीब बेटियों को पैलेट गन खरीदने हेतु 50 प्रतिषत अनुदान दे । यह ध्यान रखने की जरुरत है कि कोई बेटी पैलेट गन का दुरुपयोग न करें । लाइसेन्स देने के पूर्व पुलिस विभाग बेटी के स्वभाव आदि की जानकारी प्राप्त कर लें । बेटियों की सुरक्षा इसी प्रकार से हो सकती हैं ।अपराधी किसी न किसी का बेटा होता है किसी न किसी का भाई होता हैं । अगर माता-पिता चाहते है कि उनकी बेटी सुरक्षित रहे तो अपने बेटे को बचपन से अच्छी षिक्षा दे तथा बेटे को बताये कि संसार की सभी बेटियाॅं आपकी बहन है । आप जिस नजर से अपनी बहन को देखते है ऐसे ही नजर से सब बेटियों को देखे । अगर आप दूसरे के बहन-बेटी को बुरी नजर से देखेंगे तो आपकी बहन को भी दूसरा बुरी नजर से देखेगा और आपकी बहन सुरक्षित नहीं रहेगी।इस सुझाव से सरकार का खर्च बढ़ेगा परन्तु आधी आवादी षक्ति षाली होगी । राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार से मदद लेकर प्रत्येक स्कूल मे कराटे एवं एन.सी.सी. प्रषिक्षण चालू कराये । कराटे एवं एन.सी.सी. लेना प्रत्येक बालिका के लिये अनिवार्य करें इस योजना से बेटियाॅ षक्तिषाली भी होगी और अनुषासित भी होगी ।

 

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राजीव गाॅधी काॅलेज के सभागार में एक दिवसीय विषद गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता शहर के ख्यात सीए रवि प्रकाश अग्रवाल रहे उन्होंने अपने गहन विचार मंच के समक्ष प्रस्तुत करते हुए GST की अहम और कई जटिलताओं पर सरल शब्दों में प्रकाश डाला। उन्होंने GST की अनिवार्यता एवं सम्पूर्ण प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी जब उपस्थित प्रतिभागियों को दी तो उपस्थित विद्यार्थियों ने interactive Session में सवाल पूॅछे जिनके सारगर्भित जवाब सीए रवि अग्रवाल ने दिए। रवि ने composition scheme , inter State Sales और Intra State Sales पर बताया कि इनमें भी GST का अंतर होता है CGST, SGST,IGST इत्यादि करों के लगने का प्रारुप क्या है इस पर उन्होने व्याख्यान के दौरान प्रकाश डाला। उन्होंने Input Tax Rebate इत्यादि पर भी कार्यपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम में एकेएस वि.वि. के चांसलर बी.पी.सोनी जी की गरिमामयी उपस्थिति उल्लेखनीय रही उन्होंने GST पर आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों की जानकारी का ग्राफ उपर उठता है। GST पर आयोजन करने के लिए उन्होंने विभागाध्यक्ष अंजू ओटवानी,प्राचार्य गौरीशंकर पाण्डेय,राजेन्द्र त्रिपाठी की तारीफ की। कार्यक्रम  में राजीव गाॅधी काॅलेज के विद्यार्थी खास तौर पर उपस्थित रहे। 

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देश में इस समय जी.डी.पी. को लेकर सभी चिन्तित हो रहे हैं। कहते है कि 6 वर्ष से लगातार जी.डी.पी. घट रही हैं।इस वर्ष सबसे निचले स्तर पर है।भारत सरकार कह रही है कि भारत की अर्थ व्यवस्था तेजी से बढ़ रही हैं।भारत उभरता हुआ बाजार हैं।कई अर्थषास्त्री एवं चिन्तक कहते है कि भारत की अर्थव्यवस्था चैपट हो रही हैं बड़ी तेजी से घट रही है।सामान्य जनता जो जी.डी.पी. का अर्थ नही समझती वह दुविधा मे फंस जाती है।जी.डी.पी. का मतलब है कुल उत्पादन और कुल बिक्री अर्थात उत्पादित माल कितने का खरीदा गया और उसकी कितनी बिक्री हुई।अर्थशास्त्र की भाषा में क्रय विक्रय का हिसाब।एक बात और समझने की जरुरत है नम्बर एक का अर्थ,व्यवस्था अर्थात सरकार को टैक्स मिलना और नम्बर दो की अर्थव्यवस्था का मतलब है सरकार को टैक्स न मिलना। टैक्स न देने पर व्यापारी ज्यादा पैसा कमाता है और ज्यादा व्यापार बढ़ता है।टैक्स देने पर व्यापारी घाटा महसूस करता है परन्तु सरकार की आय यही हैं टैक्स। 2014 के पूर्व नम्बर. एक की अर्थव्यवस्था से ज्यादा नं. दो की अर्थव्यवस्था चल रही थी।नम्बर. दो की अर्थव्यवस्था बड़ीं तेजी से बढ़ रही थी परन्तु सरकार को टैक्स नही मिलता था। भ्रष्टाचार के माध्यम से मिले पैसे एवं नम्बर दो की आय से जमीन की खरीदी,घर की खरीदी, कार की खरीदी ऐशे-आराम की खरीदी खूब हो रही थी।कोई यह नही पॅूछता था कि कार खरीदने के लिये या जमीन खरीदने के लिये पैसा कहाॅ से मिला। आय के स्त्रोत क्या है।नम्बर दो की अर्थ व्यवस्था से खरीदी बिक्री बहुत ज्यादा हो रही थी जिससे जी.डी.पी. बढ़ी हुई थी। 2014 के बाद मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया,नम्बर दो के व्यापार पर अंकुश लगा।अब जमीन खरीदने, कार, सोना, चाॅदी खरीदने या अन्य मूल्यवान सामान खरीदने पर यह बताना अनिवार्य हो गया है कि आय के स्त्रोत क्या है?नम्बर एक की आय से कीमती सामान खरीदना सम्भव नही रहा और नम्बर दो की अर्थव्यवस्था को नम्बर एक में लाने के लिये सरकार को बहुत ज्यादा टैक्स देना पड़ रहा हैं।ऐसी स्थिति मे खरीदी-बिक्री कम हो गई और जी.डी.पी. का अनुपात घट गया।आयकर विभाग की छापामारी नम्बर दो के व्यापार मंे रुकावट बनी इससे व्यापारी नंम्बर एक का व्यापार करने लगा अर्थात सरकार को टैक्स देने लगा । इससे सरकार की आय बढ़ गई । सरकार की आय बढ़ने से भारत सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी से बढ़ रही है।धीरे-धीरे नम्बर एक का व्यापार बढ़ेगा सरकार की आय बढ़ेगी परन्तु कर्मचारी या व्यापारी एक नम्बर की आय से ज्यादा खरीदी-बिक्री नही कर पायेगा। इस स्थिति के कारण जी.डी.पी. की दर क्रमशः घटती जा रही है। 2014 के पूर्व 40 प्रतिशत व्यापार नम्बर एक मे होता था और 60 प्रतिशत व्यापार नम्बर दो मे होता था। नंम्बर दो के व्यापार पर रोक लगी जिससे नम्बर दो के व्यापार को घाटा हुआ।अब 60 प्रतिषत नंम्बर दो का व्यापार धीरे-धीरे नम्बर एक मे आ रहा है तथा सरकार की आय बढ़ रही हैं । 

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