जी.डी.पी.(खरीदी-बिक्री का हिसाब)
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देश में इस समय जी.डी.पी. को लेकर सभी चिन्तित हो रहे हैं। कहते है कि 6 वर्ष से लगातार जी.डी.पी. घट रही हैं।इस वर्ष सबसे निचले स्तर पर है।भारत सरकार कह रही है कि भारत की अर्थ व्यवस्था तेजी से बढ़ रही हैं।भारत उभरता हुआ बाजार हैं।कई अर्थषास्त्री एवं चिन्तक कहते है कि भारत की अर्थव्यवस्था चैपट हो रही हैं बड़ी तेजी से घट रही है।सामान्य जनता जो जी.डी.पी. का अर्थ नही समझती वह दुविधा मे फंस जाती है।जी.डी.पी. का मतलब है कुल उत्पादन और कुल बिक्री अर्थात उत्पादित माल कितने का खरीदा गया और उसकी कितनी बिक्री हुई।अर्थशास्त्र की भाषा में क्रय विक्रय का हिसाब।एक बात और समझने की जरुरत है नम्बर एक का अर्थ,व्यवस्था अर्थात सरकार को टैक्स मिलना और नम्बर दो की अर्थव्यवस्था का मतलब है सरकार को टैक्स न मिलना। टैक्स न देने पर व्यापारी ज्यादा पैसा कमाता है और ज्यादा व्यापार बढ़ता है।टैक्स देने पर व्यापारी घाटा महसूस करता है परन्तु सरकार की आय यही हैं टैक्स। 2014 के पूर्व नम्बर. एक की अर्थव्यवस्था से ज्यादा नं. दो की अर्थव्यवस्था चल रही थी।नम्बर. दो की अर्थव्यवस्था बड़ीं तेजी से बढ़ रही थी परन्तु सरकार को टैक्स नही मिलता था। भ्रष्टाचार के माध्यम से मिले पैसे एवं नम्बर दो की आय से जमीन की खरीदी,घर की खरीदी, कार की खरीदी ऐशे-आराम की खरीदी खूब हो रही थी।कोई यह नही पॅूछता था कि कार खरीदने के लिये या जमीन खरीदने के लिये पैसा कहाॅ से मिला। आय के स्त्रोत क्या है।नम्बर दो की अर्थ व्यवस्था से खरीदी बिक्री बहुत ज्यादा हो रही थी जिससे जी.डी.पी. बढ़ी हुई थी। 2014 के बाद मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया,नम्बर दो के व्यापार पर अंकुश लगा।अब जमीन खरीदने, कार, सोना, चाॅदी खरीदने या अन्य मूल्यवान सामान खरीदने पर यह बताना अनिवार्य हो गया है कि आय के स्त्रोत क्या है?नम्बर एक की आय से कीमती सामान खरीदना सम्भव नही रहा और नम्बर दो की अर्थव्यवस्था को नम्बर एक में लाने के लिये सरकार को बहुत ज्यादा टैक्स देना पड़ रहा हैं।ऐसी स्थिति मे खरीदी-बिक्री कम हो गई और जी.डी.पी. का अनुपात घट गया।आयकर विभाग की छापामारी नम्बर दो के व्यापार मंे रुकावट बनी इससे व्यापारी नंम्बर एक का व्यापार करने लगा अर्थात सरकार को टैक्स देने लगा । इससे सरकार की आय बढ़ गई । सरकार की आय बढ़ने से भारत सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी से बढ़ रही है।धीरे-धीरे नम्बर एक का व्यापार बढ़ेगा सरकार की आय बढ़ेगी परन्तु कर्मचारी या व्यापारी एक नम्बर की आय से ज्यादा खरीदी-बिक्री नही कर पायेगा। इस स्थिति के कारण जी.डी.पी. की दर क्रमशः घटती जा रही है। 2014 के पूर्व 40 प्रतिशत व्यापार नम्बर एक मे होता था और 60 प्रतिशत व्यापार नम्बर दो मे होता था। नंम्बर दो के व्यापार पर रोक लगी जिससे नम्बर दो के व्यापार को घाटा हुआ।अब 60 प्रतिषत नंम्बर दो का व्यापार धीरे-धीरे नम्बर एक मे आ रहा है तथा सरकार की आय बढ़ रही हैं ।