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एकेएस वि.वि. सतना के cement technology के छात्रों ने KJS cement की Visit के दौरान कई जानकारियाॅ हासिल की। बी.टेक. cement technology और डिप्लोमा के छात्र visit में शामिल हुए उन्होंने KJS cement plant पहुॅचकर cement manufacturing Process, CCR opreation, quality control, cement plant , safty manager और cement क्षेत्र में जाॅब करने के लिए क्या योग्यता और आर्हता होनी चाहिए और कार्यदक्ष होने के लिए किन प्रक्रियाओं का पालन भविष्य में जरुरी है ये जानकारी भी हासिल की। जबकि संपूर्ण विजिट के दौरान छात्रों को मूलभूत जानकारियाॅ मिले इसकी गहन जिम्मेदारी श्री वी.के.सिंह, इंजी. रवि पाण्डेय,इंजी.राहूल ओमर और इंजी.रोहित ओमर ने निभाई प्रो.जी.सी.मिश्रा ने छात्रों को समझाया कि अगर सीमेंन्ट क्षेत्र को अपना कॅरियर बनाना है तो कुछ अलग करने की ठानना ही पडेगा नाम रोशन करना है तो पढाई भी दिल लगाकर और प्रैक्टिकल और मेहनत से करना चाहिए।छात्रों ने संपूर्ण विजिट के दौरान उत्सुकता से समस्त जानकारियाॅ हासिल कीं। छात्रों की विजिट पर वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन, डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी, सीमेन्ट टेक्नाॅलाॅजी के डायरेक्टर प्रो.जी.सी.मिश्रा, विभागाध्यक्ष डाॅ.एस.के.झा ने हर्ष व्यक्त किया है।

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एकेएस वि.वि. के छात्रों को नियमित रुप से कैम्पस के माध्यम से सेलेक्सन का मौका मिलता है इसी कडी में एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के Department of computer science and engineering के छात्र शुभम चैरसिया का चयन Rostris infotech इंदौर में बतौर software engineering किया गया है इनको प्रोबैशन पीरियड पर एक वर्ष कार्य करना होगा। इनके कार्यो में Python code, debugging Application, Intregating user Facing Implementation, desiging, Development के साथ एनालाइजिंग यूजर रिक्वायरमेंट, Right and test code research, design opreational documentation, कंसल्ट क्लायंटय एण्ड कलीग्स, कंसर्निग द मेंटेनेन्स शामिल है। उन्हें अच्छे सैलरी पैकेज पर नियुक्ति मिली है जो एक वर्ष बाद अच्छे केज में तब्दील होगी। शुभम के चयन पर वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन, प्रो.आर.एस.त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष डाॅ.अखिलेश ए. वाऊ के साथ कम्प्यूटर विभाग के फैकल्टीज ने उज्जवल भविष्य की शुभकामना दी है। 

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संवेदनशीलता,मानवीयता,करुणा,सकारात्मकता के साथ समाज से हिंसा विलोपित हो और हम सभ्य समाज का हिस्सा बने हमें अपने नैतिक कर्तव्यों और अधिकारो का बोध हो ऐसे ही विविध पहलुओं को लेकर एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के एमएसडब्ल्यू विभाग की विभागाध्यक्ष मंजू चैटर्जी के मार्गदर्शन में डिपार्टमेंट आॅफ एमएसडब्ल्यू के तीन विद्यार्थियों सुधीर पाठक, इंदिरा सोनी और मेनका सोनी ने 23, 24 और 25 नवंबर को राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट समा संस्था दिल्ली द्वारा भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। कार्यशाला में जेन्डर आधारित हिंसा के स्वरुप पर विस्तारित विमर्श हुआ। समाज में पुरुष और महिलाओं के साथ ज्यादातर हिंसा हुई इस पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए रीना जी, एडवोकेट एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। कोराना के समय में हिंसा में बढोत्तरी हुई, परिवारों में क्या सकारात्मक और नकारात्मक तत्व जुडे इसके क्या कारण रहे पर भी चर्चा के साथ निवारण पर भी बहस की गई। हिंसा लगातार यानी कोविड-19 के पहले से हो रही है या इसके स्वरुप में परिवर्तन हुआ पर भी विमर्श हुआ। कार्यशाला में पुलिस प्रशासन की संजीदगी ओर लापरवाही के परिणामों पर सारगर्भित बात की गई। मीडिया के बढते दखल के बीच क्या परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं और समाज के क्या दायित्व है और समाज क्यों बदल रहा है इस पर भी गहन चर्चा हुई। पाॅस्को एक्ट-2012, महिला हिंसा एवं घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम,2005, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013,मानव अधिकार आयोग के दिशा निर्देश,महिला आयोग के दिशा निर्देश पर चर्चा के साथ कानूनों के प्रावधानों को भी जाना। यह कार्यशाला विद्यार्थियों के कॅरियर के लिहाज से काफी अहम रही जिसमें प्रतिभा सिंह ट्रेनर ने कई तथ्यों के साथ जानकारी साझा की। जो दिखता है उससे इतर क्या सही है पर पुलिस प्रशासन, मीडिया और समाज की भूमिका रेखंकित करते हुए परिचर्चा में मंजू चैटर्जी की कविता जिंदगी की सीलन में दीमक बनों और रातों-रात बंद इन दीवारों की खिडकियों, रोशनदान और दरवाजों को चाल दो ....को काफी सराहा गया।

 

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एकेएस वि.वि. सतना ने आस्ट्रेलियन पेटेंट एक्ट 1990 द्वारा 8 वर्षो के लिए सिस्टम स्मार्ट इटीग्रेटेड ट्रैफिक कंन्ट्रोल की प्रणाली डेव्हलप करने पर पेटेंट हासिल किया है। इस प्रणाली के तहत भीड भरे शहर में यातायात का प्रबंधन अब बडी चुनौती साबित हो रहा है। वर्तमान में हर रुट पर पथ और दिशा के हिसाब से ट्रैफिक लाइट का संचालन समय निश्चित है पर कई बार इसमें विसंगति नजर आती है और वाहन न होने पर भी वाहनों को रुकना पडता है। यातायात प्रबंधन को प्रभावी ढंग से सुधारने के लिए एकेएस वि.वि. के मैकेनिकल इंजी.विभाग सतना के विभागाध्यक्ष डाॅ.पंकज श्रीवास्तव ने टीम के साथ आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस पर आधारित एक प्रणाली का प्रस्ताव पेश किया जिसे 8 वर्षो का पेटेंट हासिल होना एक बडी उपलब्धि और गौरव का विषय है। इसकी कार्यप्रणाली की बात करें तो आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस वाहनों की संख्या और लगी कतारों की लंबाई के आधार पर ट्रैफिक लाइट को संचालित करेगा। इस उपकरण में कैमरा, क्यू डिटेक्शन यूनिट, संचार नेटवर्क, कंट्रोल यूनिट, डेटाबेस यूनिट,आदि के समग्र समन्वयन के अनुसार सिस्टम केन्द्रीय यातायात नियंत्रण प्रणाली से युक्त होगा। सिस्टम स्वचलित रुप से मशीन लर्निग एल्गोरिथम का उपयोग करके ट्रैफिक लाइट को प्राथमिकता देगा इस बेहतर सामंजस्य की बदौलत बेहतर यातायात प्रबंधन में मदद मिलेगी। वि.वि. की इस उपलब्धि पर वि.वि. के कुलाधिपति माननीय बी.पी.सोनी जी,वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी,प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन,प्रो.आर.एस.त्रिपाठी,इंजी.डीन प्रो. जी.के.प्रधान ने समस्त मैकेनिकल विभाग को और बैहतर कार्य करने की शुभकामनाऐं दीं है।

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एकेएस विश्वविद्यालय सतना के प्रासार में विश्वविद्यालय के कैडेटों द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर की 71 वीं वर्षगांठ मनाई गई इस मौके पर संबोधित करते हुए बताया गया कि इसमें नौसेना,सेना और एअर विंग शामिल हैं जो देश के युवाओं को अनुशासित और देशभक्त नागरिकों के रुप में सॅवारने में लगे हुए हैं। कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने कहा कि एनसीसी एक वालियंटियरी आर्गेनाइजेशन है।स्कूल काॅलेज में पढ़ने वाले युवा अपनी इच्छा से इसे ज्वाइन कर सकते हैं। एनसीसी कैडेट को देश की सेनाओं की यूथ विंग कहा जाता है। इंजीनियरिंग एडमिनिस्ट्रेटर इंजी. आर.के. श्रीवास्तव ने उद्बोधन में पाकिस्तान के साथ हुए युद्व का जिक्र किया 1965 और 1971 में जंग हुई तो एनसीसी कैडेट्स को आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में भेजा गया ताकि वे मोर्चे पर तैयान सैनिकों को हथियार और गोला बारूद भेजने में मदद कर सकें।इसके साथ ही दुश्मन के पैराट्रोपर्स को पकड़ने के लिये इन्हें पेट्रोलिंग पार्टीज के तौर पर भी प्रयोग किया गया। खास बात यह रही कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी एनसीसी कैडैट रह चुके हैं। प्रो.जी.सी. मिश्रा ने अपनी राय दी कि एनसीसी ज्वाइन करने के लिये आपका भारतीय नागरिक होना पहली और अनिवार्य शर्त है। इसी के साथ छात्रों को मानसिक तथा शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है। टीपीओ एम.के. पाण्डेय ने एनसीसी को स्कूल के समय में छात्रों को सेना में जाने के लिये प्रोत्साहित करने वाला संगठन निरुपित किया। इसके अगले क्रम में मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी ने बतौर सेना में रहते अपने अनुभवों से रुबरु कराया कि एनसीसी लड़के और लड़कियों दोनों ही के लिये है। लड़कियों के लिये जूनियर विंग और सीनियर विंग और लड़कों के लिये जूनियर डिवीजन, सीनियर डिवीजन है। लेफ्टिनेंट प्राची सिंह ने डयूटी, एकता और अनुशासन के नियम बताए साथ ही जानकारी दी कि एनसीसी में सर्टिफिकेशन ए सर्टिफिकेट जूनियर के उन कैडेट्स को मिलता है जो दो साल की ट्रेनिंग को पूरा कर लेते हैं, बी सर्टिफिकेट सीनियर छात्रों को दो साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मिलता है जबकि एनसीसी सी सर्टिफिकेट उन छात्रों को मिलता है जो तीन साल की ट्रेनिंग पूरी कर लेते हैं। मिर्जा समीउल्ला बेग ने मंच से कहा कि एनसीसी ज्वाइन करने के लिये न्यूनतम आयु 12 साल और अधिकतम आयु 26 साल है। प्रो. राजीव बैरागी ने स्थापना बिंदु के लिए कहा कि एनसीसी की शुरुआत 15 जुलाई 1948 को नेशनल कैडेट कोर एक्ट के तहत हुई थी, एनसीसी पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में सेकेण्ड लाइन आॅफ डिफेंस के तौर पर था। कार्यक्रम के अंत में बताया गया कि एनसीसी डे सेलिब्रेशन से राष्ट्रीय गरिमा का आभास होता है,देश में कोविड-19 के खिलाफ जारी वैक्सिनेशन अभियान में वैक्सीन सेंटर पर आर्मी यूनिफार्म में जो युवा नजर आते हैं वह एनसीसी का ही हिस्सा हैं। कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये और एनसीसी डे सेलिब्रेशन का औचित्य भी समझाया गया।

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