AKS University
AKS University, Satna M.P.
सतना। केन्द्रीय सरकार के सीमेंटेड सड़क बनाने के आदेश के बाद एकेएस यूनिवर्सिटी के कोर्स बी.टेक सीमेंट टेक्नालाॅजी की तरफ विद्यार्थियों का रुझान तेजी से बढ़ा है और इसके पीछे मूल कारण वर्तमान भारत सरकार द्वारा विकास के पैमाने पर विश्व के क्षितिज पर भारत का नाम अग्रणी पंक्ति में अंकित करवाने की आकांक्षा है। वर्तमान में भारत का सीमेंट उद्योग 270 मिलियन सीमेंट का सालाना उत्पादन करके दूसरे स्थान पर है। भविष्य में भारत के सीमेंट उत्पादन में प्रथम स्थान पर आने की प्रबंल संभावना है क्योंकि औद्योगिकीकरण के साथ भवन, पुल, सड़क और उद्योगों के लिये बड़ी संरचनाओं के निर्माण में सीमेंट की आवश्यकता बड़े पैमाने पर है।
एकेएस में है बी.टेक सीमेंट टेक्नालाॅजी हाइली जाॅब ओरियंटेड कोर्स
सतना। नेशनल एमपी एज्युकेशनल समिट 2014 में एक्सिलेंट प्राइवेट विश्वविद्यालय, का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी के एनवायरनमेंट साइंस विभाग द्वारा ‘‘बाल श्रम निषेध दिवस’’ पर ‘‘सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, लड़ाकू बाल श्रम-2014’’ थीम पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें एनवायरमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र तिवारी ने परिचर्चा के दौरान बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन भले ही जून 1999 से बाल श्रम को खत्म करने के लिये कमर कस चुका हो मगर अब भी करोड़ों बच्चे जीविका चलाने के लिये मजदूरी कर रहे हैं। दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक हैं
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना ने बदलते दौर की जरूरत एवं विद्यार्थियों की रुचि एवं रूझान को ध्यान में रखते हुए जो नए कोर्सेस लांच किये हैं।उनमें एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी और बी.एस.डब्ल्यू (बैंचलर आॅफ सोशल वर्क) कोर्स महत्वपूर्ण है।
एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी कोर्स की अवधि 2 वर्ष है जबकि इंटीग्रेटेड कोर्स 5 वर्ष का है। सांइस में 12वीं पास विद्यार्थी एम.टेक. एप्लायड जिओलाॅजी मंे प्रवेश प्राप्त कर सकते है। गौरतलब है कि भविष्य में माइनिंग एवं खनिज उद्योग विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेगे। भारत में खनिज एवं कोयला संसाधन प्रर्याप्त है। लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा न होने की वज़ह से भविष्य में एप्लायड जिओलाॅजी की उपयोगिता बढ़नी तय है। ये इंजीनियर्स खनिज कोयला और तैल उद्योग में कार्य कर सकेंगे। भारतीय सीमाओ ंके आलावा अफ्रीका और खाड़ी देशों में एम.टेक. किए इंजीनियर्स की विशेष मां है। कोर्स में लेटरल इन्ट्री बी.एस.सी. भू-विज्ञान भी उपलब्ध है। इस कोर्स की मुख्य विशेषता होगी देश-विदेश के जाने-माने विषय विशेषज्ञों द्वारा अध्यापन एवं स्पेस्फिक प्रैक्टिकल्स।
सतना।नेशनल एम.पी.टेक्निकल एज्यूकेशन एवं समिट 2014 में एक्सीलेन्ट प्रायवेट वि.वि का दर्जा प्राप्त एकेएस यूनिवर्सिटी सतना अपने विद्याथियों के सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा के साथ ही आध्यात्मिक एवं सर्वागीण वकास हेतु कटिबद्व रहते हुए समय समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है एकेएस यू.के समाजकार्य विभाग द्वारा ‘‘विश्व बालश्रम निरोधी दिवस’’ के अवसर पर ‘‘समाजिक सुरक्षा का विस्तार, लड़ाकू बालश्रम’’- 2014 थीम पर परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बालश्रम के वैश्विक विस्तार, बाल अवैतनिक घरेलू काम, समाजिक सुरक्षा प्रणालियों एवं बालश्रमिकों की दुर्दशा जैसे संवेदनशील मुद्दो पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस बात की जानकारी देते हुए समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में हो रहे बालश्रमिकों की दशा एवं बाल शोषण पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। परिचर्चा में एकेएस विश्वविद्यालय के सभी संकाय के फैकल्टीज एवं विद्यार्थी भाग लेंगें।
नेशनल एम.पी. टेक्निकल एक्सीलेंस एज्यूकेशन समिट एंड एवार्ड-2014 में एक्सीलेंस’’प्राप्त विन्ध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना में पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा “वल्र्ड ओश्यन डे” पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र तिवारी, निलाद्री शेखर राय एवं प्राध्यापिका सुमन पटेल ने “वल्र्ड ओश्यन डे” के बारे में विस्तृत ज्ञानवर्धक जानकारियां विद्यार्थियों के साथ साझा की। डाॅ. महेन्द्र तिवारी ने बताया कि विश्व में समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1992 में की गई थी। एवं सन् 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे अधिकारिक तौर पर मान्यता दी। तब से यह दिवस प्रतिवर्ष 8 जून को मनाया जाता है। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के समक्ष महासागरों की वजह से आने वाली चुनेोतियों के बारें में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। जिससे महासागर के महत्व और उससे सम्बन्धित विषयों जैसे खाद्य सुरक्षा,जैव विविधता, परिस्थितिक संतुलन, ग्लोबल वार्मिग आदि की ओर राजनीतिक एवं सामाजिक ध्यान आकर्षित कराना है। संगोष्ठी मे सभी संकाय के विद्यार्थी उपस्थ्ति रहे।
वल्र्ड ओश्यन डे के उद्देश्य पर चर्चा