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b2ap3_thumbnail_unnamed-1_20150904-045744_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-2_20150904-045747_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-3_20150904-045748_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-4_20150904-045750_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-5_20150904-045753_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-6_20150904-045754_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-7_20150904-045756_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-8_20150904-045758_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed_20150904-045800_1.jpgआज दुनिया में तकनीकी व्यक्तियों की नितान्त कमी है और इस दिशा में भारत अपने कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व के विभिन्न देशों को यह दक्ष मानव शक्ति उपलब्ध करा सकता है। इसीलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कौशल विकास विकसित करने हेतु एक महत्वाकाँक्षी योजना प्रारम्भ की है। उक्त उद्गार गणेश सिंह, सांसद सतना ने ग्राम इटमा में एकेएस विश्वविद्यालय के तत्वावधान में अयोजित कृषक संगोष्ठी में व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि की आसंदी से सांसद गणेश सिंह ने कहा कि एकेएस विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के अन्र्तगत आयोजित इस शिविर में आकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है और मुझे इस बात का संतोष हुआ कि रावे कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्र फील्ड में आकर शिक्षा के वास्तविक स्वरूप को समझ रहे है उन्होंने यह भी कहा कि आज बदलती हुई दुनिया के विकास में तकनीकी ज्ञान की अत्यधिक जरूरत है। जहाँ तक भारत का प्रश्न है यहाँ पर ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी 2 प्रतिशत से अधिक तकनीकी ज्ञान का प्रयोग नहीं हो पा रहा है जबकि कोरिया जैसे देश में 90 प्रतिशत तक तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है। सांसद सतना ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ पर चर्चा करते हुए इसकी अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत के परम्परागत उद्योग एवं लघु उद्योगों में तकनीकी परिवर्तन की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है और इस दिशा में भारत सरकार निरन्तर प्रयत्नशील है अभी तक रोजगार सृजन के क्षेत्र में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराया जा चुका है। यही नहीं बल्कि नवयुवकों को 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक रियायती दर पर ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा हैं। श्री सिंह ने पशुपालन पर चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारी जीवन पद्धति का अभिन्न अंग है। पूर्व में ग्रामों के पशुचिकित्सा का भी प्रचलन इसी दृष्टि से महत्वपूर्ण था। अब ग्राम वासियों को चाहिए की अच्छी नस्ल की गाय, भैस व बकरियां पालें व शासन की पशुपालन की योजनाओं का समुचित लाभ उठाये तथा दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध विक्रय की व्यवस्था भी की जा सकती है। उन्होंने रासायनिक खादों के बढ़ते हुए दुष्प्रभावों को भी रेखाकिंत किया तथा इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की भी बात कही। इसलिए रासायनिक खाद की बजाय गाय का गोबर, पेशाब आदि से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ायी जा सकती है। इस दिशा में उन्होनें ग्राम वासियों को जैविक खाद का उपयोग करने की सलाह दी। सांसद सतना नें कहा कि ग्रामों में ऐरा प्रथा के कारण भी बहुत सारी समस्यायें उत्पन्न हो रही है। इस दिशा में कानून तो बनायें जा सकते है लेकिन ग्राम वासियों को स्वयं भी अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर गणेश सिंह ने ग्राम वासियों की एक पुल के पुर्ननिर्माण/नल जल योजना एवं विद्यालय के उन्ययन आदि की समस्यायें हल करने का आश्वासन दिया। इस कार्यक्रम में रैगांव क्षेत्र की विधायक ऊषा चौधरी ने भी अवारा पशुओं की समस्या की ओर ग्राम वासियों का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि इससे कृषि उपज अत्यधिक प्रभावित हो रही है। रैगाॅव विधायक ऊषा चैधरी ने अल्प वर्षा के कारण पानी के रोकने की व्यवस्था को आवश्यक बताया साथ ही उन्होंने सांसद से माँग की कि रैगाँव में स्टाप डैम बनाये जाने हेतु सहयोग प्रदान करें।
रावे के अन्र्तगत आयोजित कार्यक्रम के प्रारम्भ मेें प्रो. आर.एन. त्रिपाठी एवं प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने मुख्य अतिथि सांसद गणेश सिंह व विधायक ऊषा चैधरी का स्वागत किया एवं रावे योजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। अन्त में आभार प्रदर्शन चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने व्यक्त किया। इस गरिमामयी कार्यक्रम में ग्राम की संरपच लीलावती केवट,विटनरी विभाग के सहायक संचालक जे.के. गुप्ता, डाॅ. एम.के. वर्मा, डाॅ. बाल्मीक सिंह, शिवदयाल प्रजापति, गया बागरी के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के डाॅ. डूमर सिंह रावे इंचार्ज, नवदीप सिंह, पशु प्रबन्धन विशेषज्ञ के साथ एकेएस के छात्र अभिषेक पाण्डेय, आशीष कुमार, समीर पाण्डेय, अवनीश पटेल, अमरेश सिंह, देवंक त्रिपाठी, सौरभ दुबे, मुवीन मंसूरी, रामदीन कुशवाहा व बड़ी संख्या में इटमा के गणमान्य निवासी अपने पशुओं के साथ उपस्थित रहे।

 

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सतना। एकेएस वि.वि. के एमएसडब्ल्यू विभाग के प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने ग्राम सुधार समिति की समन्वयक मंजू चटर्जी ने संस्था के विषय में विद्यार्थियों को बताया कि संस्था के प्रभारी अरुण त्यागी ने इस संस्था की स्थापना भारत में गांव के विकास को ध्यान में रखकर किया है। यह पिछले तीस सालों से ग्राम विकास के कार्यक्रम हंगर प्रोजेक्ट,ग्राम संस्था से सहयोग,महिला ग्रामीण नेतृत्व पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीणों के लिये कार्य कर रही है। वर्तमान समय में महिला ग्रामीण नेतृत्व पर जिले के 60 गांवों मंे कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।विद्यार्थियों को समाजसेवा के प्रति प्रोत्साहित करते हुए जमीन से जुड़कर अत्यधिक मेहनत से कार्य करने का संदेश दिया तथा भविष्य में विद्यार्थियों के साथ मिलकर कार्य करने की बात कही। इस दौरान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन प्रो. राजीव सोनी एवं भावना मिश्रा ने किया।


मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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b2ap3_thumbnail_unnamed-1_20150903-081957_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-2_20150903-081959_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-3_20150903-081959_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-7_20150903-082000_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed_20150903-082000_1.jpgएकेएस विश्व विद्यालय के सभागार में बुधवार को रंगमंच,टेलीविजन एवं हिंदी सिनेमा की प्रतिष्ठित अभिनेत्री असीमा भट्ट ने जैसे ही मंच का रूख किया तालियों की ध्वनि से उनका स्वागत हुआ। मौका था विंध्य क्षेत्र के गौरव एकेएस वि.वि. में नाटक कला को समर्पित कलाकार आसिमा भट्ट के ें ”एक औरत का अधूरा खत” मोनोलाॅग की प्रस्तुित का।
ये है नाटक की कथावस्तु
मोमबत्ती की लौ हौले-हौले बढ़ी और जीवन की दुश्वारियों और उम्मीदों के साथ संवेदनाओं की तीव्रता, अभिनय का नायाब अक्स, नवरसों का सुन्दर निरूपण करती असीमा भट्ट ने एक ‘अनजान औरत का खत’ मोनोलाॅग को भावनाओं के समुन्दर में हिचकोले खाती जिन्दगी में प्रेम, नफरत, वैमनस्य के निखार के नायाब अभिनय से सजी प्रस्तुति दी। पल-पल को पिरोती रोजमर्रा की जिन्दगी में प्रेम की कशिश और दुश्वारियों का सुन्दर मंचन नाट्य कलाकार असीमा ने प्रस्तुत किया। आह, खुशी, उम्मीद के पलों को असीमा ने शिद्दत से पेश किया। रंगमंच की अनुभूतियों का हावभाव व नेत्रों से प्रस्तुति का अनूठा संगम रहा ”एक औरत का अधूरा खत” प्रस्तुति में। यह नाटक एक तेरह वर्षीय बालिका के जीवन की धूप-छाॅव, पुरुष के साथ बिखरे संबंध, बेटे की मौत की व्यथा और उम्मीदों के इर्द-गिर्द बुना गया है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।
ये हैं अभिनेत्री की उपलब्धियाॅ-कवि भी कथाकार भी
गौरतलब है कि ”एक औरत का अधूरा खत” नाटक की पचास से अधिक प्रस्तुतियां अबूधाबी, दुबई, मुबंई, नई दिल्ली, गया, सुरेंद्र नगर , हापुड़, आदि स्थानों पर हो चुकी है। इसके पूर्व असीमा भटट् की केंद्रीय भूमिका वाला धारावाहिक ”बैरीपिया” अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। भारत सरकार के ”बेटी बचाओ अभियान” की शार्ट फिल्म ”बिटिया” आत्मजा,चिराग,बिज्जी का खजाना,क्राइम पेटोªल,सावधान इंउिया में भी उन्होने अपने अभिनय का जौहर दिखाया है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय , नई दिल्ली एवं पुणे के राष्ट्रीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) सें प्रशिक्षित होने के साथ ही वे प्रतिष्ठित कवि एवं कथाकार भी है। उनकी रचनाएं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं अहा जिंदगी, हंस, वागार्थ , नया ज्ञानोदय में प्रकाशित होती रही है। उन्होने कहा कि एकेएस वि.वि. में वह विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने भी आऐंगी।
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने व्यक्त किया। नाटक की प्रस्तुति के दौरान सभागार में वि. वि. के कुलपति प्रो. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस.त्रिपाठी, डायरेक्टर अवनीश सोनी एवं वि.वि. के विभिन्न संकायो के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

 

 

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b2ap3_thumbnail_unnamed-1_20150901-104817_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed_20150901-104819_1.jpgएकेएस विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग के छात्रों ने खेरमाई स्थित वीवो किडनी क्वालिटी केयर की विजिट की । संस्था के समन्वयक प्रकाश सावंत ने विद्यर्थियों को संस्था में स्थपित यूएसए टैक्नोलाॅजी बेस्ड आॅरो सिस्टम की तकनीकी को विस्तृत रूप से बताते हुए उसकी उपयोगिता बताई। तत्पश्चात वहां स्थापित उच्च तकनीकी वाले डाॅयलिसिस मशीनों के बारे में छात्रों को विस्तार से जानकारी दी । भ्रमण के द्वितीय चरण में छात्रों को किडनी की गंभीर बीमारियों के विषय में जानकारी दी गई । उन्होने बताया कि किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक मात्रा मे दर्द निवारक दवाईयां लेना है। यदि किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है तो उसे या तो किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है या सम्पूर्ण जीवन डाॅयलिसिस करवाकर बिताना पड़ता है। इस तरह के ज्वलंत मुद्दो पर समाजकार्य के छात्रों को आगे बढ़कर हर तरह से मदद् करने का भाव जगाया गया । और उन्हे एक मेडिकल सोशल वर्कर के रूप मे गरीब मरीजों के लिए चिकित्सकीय सहायता देते हुए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया । विजिट के दौरान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन विभागाध्यक्ष राजीव सोनी एवं भावना मिश्रा ने किया ।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

 

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b2ap3_thumbnail_001.jpgम.प्र. शासन के आयुक्त खाद्य प्रसंस्करण एवं सहसंचालक कृषि उद्यानिकी विभाग श्री महेन्द्र सिंह धाकड़ ने एकेएस वि.वि. में आकर सौजन्य भेंट की। कुलपति प्रो. पी.के. बनिक , प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन एवं चेयरमैन अनन्त कुमार सोनी से श्री धाकड़ ने वि.वि. के विभिन्न पाठ्यक्रमों फूड टेक्नाॅलाॅजी, कृषि संकाय आदि के अधिकारियों से भी चर्चा की। श्री धाकड़ ने इस अवसर पर कहा कि निःसंदेह वि.वि. मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को दिशा देने में सराहनीय कार्य कर रहा है।
म.प्र. शासन द्वारा आगामी वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत संचालित किए जाने वाले विभिन्न व्यवहारिक पाठ्यक्रमों की चर्चा उन्होनें की एवं उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि एकेएस वि.वि. विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों, ग्रामीण विकास कार्यक्रम एवं रोजगार सृजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन भली भांति कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में खाद्य प्रसंस्करण की नीतियों के क्रियान्वयन में एकेएस वि.वि. एवं उनके फैकल्टी मेम्बर्स का आवश्यकतानुसार सहयोग लिया जायेगा।
श्री धाकड़ ने वि.वि. के फूड टेक डिपार्टमेन्ट के डायरेक्टर डाॅ. टेकचंदानी से विचार विमर्श किया और वि.वि. में स्थापित इक्यूबेशन सेंटर में जाकर समस्त उपकरणों एवं निर्मित होने वाली विभिन्न सामग्रियों का सूक्ष्म निरीक्षण भी किया। स्मरणीय है कि वि.वि. के इक्यूबेशन सेन्टर में फूड टेक्नाॅलाॅजी के छात्रों के व्यवहारिक प्रशिक्षण के अंतर्गत बेकरी के उत्पाद, सोयामिल्क, दलिया आदि का उत्पादन विगत दो वर्षों से किया जा रहा है जिसका लाभ विद्यार्थीगण प्राप्त कर रहे हैं।
आयुक्त महोदय के इस भ्रमण कार्यक्रम के समय डीन एग्रीकल्चर डाॅ. आर.एस. पाठक, प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, डायरेक्टर फूड टेक डाॅ. सी.के. टेकचंदानी, हार्टीकल्चर विभागाध्यक्ष डाॅ त्रिभुवन सिंह., ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, डायरेक्टर अवनीश सोनी, सतना जिला कृषि उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक श्री पटेल, अनिल सिंह, बी. के. खरे आदि उपस्थित रहे।

मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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