बदलती दुनिया में तकनीकी ज्ञान की नितान्त आवश्यकता-गणेश सिंह सांसद सतना
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आज दुनिया में तकनीकी व्यक्तियों की नितान्त कमी है और इस दिशा में भारत अपने कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व के विभिन्न देशों को यह दक्ष मानव शक्ति उपलब्ध करा सकता है। इसीलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कौशल विकास विकसित करने हेतु एक महत्वाकाँक्षी योजना प्रारम्भ की है। उक्त उद्गार गणेश सिंह, सांसद सतना ने ग्राम इटमा में एकेएस विश्वविद्यालय के तत्वावधान में अयोजित कृषक संगोष्ठी में व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि की आसंदी से सांसद गणेश सिंह ने कहा कि एकेएस विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के अन्र्तगत आयोजित इस शिविर में आकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है और मुझे इस बात का संतोष हुआ कि रावे कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्र फील्ड में आकर शिक्षा के वास्तविक स्वरूप को समझ रहे है उन्होंने यह भी कहा कि आज बदलती हुई दुनिया के विकास में तकनीकी ज्ञान की अत्यधिक जरूरत है। जहाँ तक भारत का प्रश्न है यहाँ पर ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी 2 प्रतिशत से अधिक तकनीकी ज्ञान का प्रयोग नहीं हो पा रहा है जबकि कोरिया जैसे देश में 90 प्रतिशत तक तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है। सांसद सतना ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ पर चर्चा करते हुए इसकी अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत के परम्परागत उद्योग एवं लघु उद्योगों में तकनीकी परिवर्तन की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है और इस दिशा में भारत सरकार निरन्तर प्रयत्नशील है अभी तक रोजगार सृजन के क्षेत्र में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराया जा चुका है। यही नहीं बल्कि नवयुवकों को 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक रियायती दर पर ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा हैं। श्री सिंह ने पशुपालन पर चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारी जीवन पद्धति का अभिन्न अंग है। पूर्व में ग्रामों के पशुचिकित्सा का भी प्रचलन इसी दृष्टि से महत्वपूर्ण था। अब ग्राम वासियों को चाहिए की अच्छी नस्ल की गाय, भैस व बकरियां पालें व शासन की पशुपालन की योजनाओं का समुचित लाभ उठाये तथा दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध विक्रय की व्यवस्था भी की जा सकती है। उन्होंने रासायनिक खादों के बढ़ते हुए दुष्प्रभावों को भी रेखाकिंत किया तथा इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की भी बात कही। इसलिए रासायनिक खाद की बजाय गाय का गोबर, पेशाब आदि से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ायी जा सकती है। इस दिशा में उन्होनें ग्राम वासियों को जैविक खाद का उपयोग करने की सलाह दी। सांसद सतना नें कहा कि ग्रामों में ऐरा प्रथा के कारण भी बहुत सारी समस्यायें उत्पन्न हो रही है। इस दिशा में कानून तो बनायें जा सकते है लेकिन ग्राम वासियों को स्वयं भी अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर गणेश सिंह ने ग्राम वासियों की एक पुल के पुर्ननिर्माण/नल जल योजना एवं विद्यालय के उन्ययन आदि की समस्यायें हल करने का आश्वासन दिया। इस कार्यक्रम में रैगांव क्षेत्र की विधायक ऊषा चौधरी ने भी अवारा पशुओं की समस्या की ओर ग्राम वासियों का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि इससे कृषि उपज अत्यधिक प्रभावित हो रही है। रैगाॅव विधायक ऊषा चैधरी ने अल्प वर्षा के कारण पानी के रोकने की व्यवस्था को आवश्यक बताया साथ ही उन्होंने सांसद से माँग की कि रैगाँव में स्टाप डैम बनाये जाने हेतु सहयोग प्रदान करें।
रावे के अन्र्तगत आयोजित कार्यक्रम के प्रारम्भ मेें प्रो. आर.एन. त्रिपाठी एवं प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने मुख्य अतिथि सांसद गणेश सिंह व विधायक ऊषा चैधरी का स्वागत किया एवं रावे योजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। अन्त में आभार प्रदर्शन चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने व्यक्त किया। इस गरिमामयी कार्यक्रम में ग्राम की संरपच लीलावती केवट,विटनरी विभाग के सहायक संचालक जे.के. गुप्ता, डाॅ. एम.के. वर्मा, डाॅ. बाल्मीक सिंह, शिवदयाल प्रजापति, गया बागरी के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के डाॅ. डूमर सिंह रावे इंचार्ज, नवदीप सिंह, पशु प्रबन्धन विशेषज्ञ के साथ एकेएस के छात्र अभिषेक पाण्डेय, आशीष कुमार, समीर पाण्डेय, अवनीश पटेल, अमरेश सिंह, देवंक त्रिपाठी, सौरभ दुबे, मुवीन मंसूरी, रामदीन कुशवाहा व बड़ी संख्या में इटमा के गणमान्य निवासी अपने पशुओं के साथ उपस्थित रहे।