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सतना। एकेएस वि.वि. के इलेक्ट्रिकल विभाग के छात्रों की प्रिज्म सीमेंन्ट की इण्डस्ट्रियल विजिट के बारे में जानकारी देते हुए एकेएस विवि की इलेक्ट्रिकल विभागाध्यक्ष डाॅ. रमा शुक्ला बताया कि स्काॅडा (सुपरवायजरी कन्ट्रोल एण्ड डाटा एक्यूजिशन ) यह एक ऐसा साॅफ्टवेयर है जो डाटा माॅनीटर,गैदर और प्रोसेस करता है। सीमेन्ट प्लान्ट आटोमेशन मे यह बैकबोन का कार्य करता है। प्रिज्म सीमेंट की विजिट के दौरान छात्रो को आॅटोमेटिक सिस्टम एव ंबी.सी.एस. सेक्सन के बारे में भी जानकारी प्रदान की गयी। तत्पश्चात् छात्रो को प्रिज्म सीमेंट प्लांट की प्लांट कंट्रोलिंग के बारे में विषय विशेषज्ञों के द्वारा जानकारी प्रदान की गयी। उल्लेखनीय है, कि एकेएस विश्वविद्यालय विभिन्न संकाय के छात्रो के लिए नियमित रूप से इण्डस्ट्रियल विजिट का आयोजन करता है।इसी कडीं मे जिससे छात्र-छात्राओं में उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा की भावना का निर्माण हो सके और वह अच्छे इंजीनियर बन सके।

 

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तीन दिवसीय आयोजन में होगें उद्यम के विशेषज्ञों के व्याख्यान
सतना। एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के सभागार में मंगलवार को 3 दिवसीय एन्टप्रेन्योरशिप एवेयरनेस (उद्यमिता जागरुकता) पर कार्यक्रम का शुभारंभ कई उद्येश्यों के साथ किया गया। कार्यक्रम का मूल उद्देश्य एकेएस वि.वि. के एग्रीकल्चर संकाय के छात्रों में एन्टप्रेन्योरशिप की सही धारणा और इसके विकल्पो पर सही जानकारी प्रदान करते हुए छात्रों की उद्यमिता मे अभिरुचि जगाना एवं उन्हे एंटपे्रन्योरशिप के लिए पे्ररित करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ अवसर पर डाॅ. कौशिक मुखर्जी विभागाध्यक्ष मैनेजमेंट ने ‘ऐतिहासिक परिदृश्य भारतीय मूल्य,उद्यमिता और वर्तमान परिदृष्य पर विधिवत जानकारी उपस्थित जनों को प्रदान की। कार्यक्रम मे एकेएस विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने कहा कि एकेएस वि.वि. लगातार इस दिशा में प्रयासरत् है कि छात्र-छात्राओं में उद्यमिता का विकास हो और वह आत्म निर्भर बने। उन्हांेने कहा कि एक उद्यमी को आइडिया विकसित करना और उसे सही समय पर लागू करने का निर्णय दृढता से लेने की क्षमता होनी चाहिए उन्हांेने अपना अनुभव साझा किया। फूड टेक्नाॅलाॅजी के डायरेक्टर प्रो.सी.के.टेकचंदानी ने कहा कि कृषि के कच्चे खाद्य पदार्थो से विशाल उद्योग तैयार किया जा सकता है जिसमे प्रोडक्शन,पैकेजिंग,मार्केटिंग करके काफी लाभ कमाया जा सकता है और लोगों को रोजगार भी प्रदान किया जा सकता है। कार्यक्रम डिपार्टमेंट आॅफ एग्रीकल्चर सांइस एण्ड टेक्नोलाॅजी, नेशनल इम्प्लीमेन्टेटिव माॅनीटरिंग एण्ड ट्रेनिंग, एन्टप्रेन्योरशिप डेव्हपलमेंट इंन्स्टीट्यूट आॅफ इण्डिया द्वारा प्रायोजित है। इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.आर.एस.त्रिपाठी, ओएसडी. प्रो.आर.एन.त्रिपाठी,इंजी. डीन प्रो.जी.के.प्रधान, इंजी.आर.के श्रीवास्तव, डाॅ.एस.एस.तोमर, कार्यक्रम के समन्यवयक प्रो. कौशिक मुखर्जी, सह संयोजक असि.प्रो.चंदन सिंह, प्रकाश सेन, अभिष्ेाक सिंह, प्रमोद द्विवेदी,शीनू शुक्ला, श्वेता सिंह, प्रदीप चैरसिया के साथ एकेएस विवि के एग्रीकल्चर संकाय के सैकडों छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रोहित अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम आठ, नौ और दस अगस्त केा वि.वि. के एग्रीकल्चर संकाय के छात्रों के लिए है जिसमें उन्हें विषयवार जानकारी प्रदान की जाएगी।

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प्रथम तीन छात्राऐं हुई पुरस्कृत
सतना। एकेएस वि.वि. मे स्तनपान सप्ताह के तहत कार्यक्रम के आयोजन की रुपरेखा डाॅ दीपक मिश्रा बायोटेक के फैकल्टी ने रखी तत्पश्चात आयोजन के मौके पर अनामिका सिंह ने कहा कि संरक्षण एवं विटामिन प्रोवाइड करना ही स्तनपान कहलाता है। बच्चे के संरक्षण के लिए आवश्यक होता है। स्तनपान,टीकाकरण भी है। इसमे कैलोरी ज्यादा मिलती है। स्तनपान कराने सेबच्चे को कैंसर से सुरक्षा मिलती है बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है।रोशनी सिंह ने अपने उदबोधन मे बताया कि स्तनपान कराने के लिए बच्चे को संरक्षण ही नहीं मिलता बल्कि बीमारियों से भी रक्षा होती है। रश्मि सिद्दीकी का कहना था कि स्तनपान में कई प्रकार के विटामिन होते है 6 माह तक स्तनपान कराना चाहिए।अराधना मौर्य ने कहा माँ का दूध अमृत के समान होता है। बाहर का दूध से माता का दूध अधिक अच्छा होता है। सारे विटामिन माता के दूध से मिलता है। स्तनपान से माँ और बच्चे दोनों को लाभ होता है। बच्चे का इमूनो पावर बढ़ता है।अल्पना चतुर्वेदी ने अपने व्याख्यान मे कहा कि स्तनपान अमृत के समान होता है। माँ के दूध से बच्चा हैल्दी रहता है। बिमारियों से बचाता है। बच्चे और माँ दोनों के लिए आवश्यक होता है। कैंसर का खतरा नहीं होता स्तनपान कराने से।अन्नपूर्णा तिवारी ने कहा कि स्तनपान में सभी विटामिन मौजूद होते है।ममता सरोज का कहना था कि गांव में अभी भी शहद देने का प्रचलन होता है परन्तु ऐसा नहीं माँ का दूध ही महत्वपूर्ण होता है। लगातार 6 माह तक दूध पिलाया।रेनी निगम ने कहा कि माँ स्वयं यदि अपनी जन्मदाता होने के साथ-साथ अपने बच्चे की जिम्मेदारी सम्भालना एवं देखभाल करना उनका दायित्व है। ताकि वह अपने बचचे का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य बना सकें।इस मौके पर वि.वि. के प्रतिकुलपति प्रो.हर्षवर्धन श्रीवास्तव,ओएसडी प्रो. आर.एन.त्रिपाठी के साथ रेनी निगम, पूनम द्विवेदी, दीपा कोटवानी, अश्वनी वाऊ, रेनू शुक्ला की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।अपुपमा एजुकेशन सोसाइटी कार्यक्रम प्रभारी निशा खरे उन्होने कहा की जन्म के तुरंत बाद माँ का दूध हर बच्चे को देना अति आवश्यक है। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है। माँ के दूध पीने से बच्चे और माँ के आभात्य का अदान-प्रदान स्थापित होता है। माँ के दूध में सभी पोषक तत्व होते है। अनुपमा स्कूल की आभा गुप्ता ने कहा कि कैंसर न हो इसलिए भी माँ का दूध देना अति आवश्यक है। माँ के दूध में सभी तत्व पाये जाते है।कार्यक्रम में छात्राओं के लिए भाषण प्रतियोगिता की गई। जिसमें प्रथम स्थान रिया खिलवानी, द्वितीय स्थान अनामिका सिंह एवं तृतीय स्थान पर आराधना मौर्य रही।

 

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b2ap3_thumbnail_aks.JPGb2ap3_thumbnail_DSC_0148.JPG                                    गत वर्षो में बड़ी मात्रा में प्याज को सड़ने व उससे करोड़ो रूपयो का नुकसान होने के समाचार अखबारो में छपते रहते है। तमाम संसाधनो के बावजूद प्याज को संरक्षित रखने की कोई कारगर विधि संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाई है। इसी तथ्य को सामने रखते हुए एकेएस विश्वविद्यालय, सतना मे फूड टेक्नोलाॅजी विभाग के निदेशक डाॅ. सी.के. टेकचन्दानी ने ऐसा भण्डार बिन विकसित किया है जिसमें प्याज 10 महीने तक सुरक्षित रखी जा सकती है। इसमे किसी प्रकार की बिजली का उपयोग नहीं किया गया। इस तकनीक के अंतर्गत आयताकार आकार में लोहे की पाली से बने भण्डार बिन बनाये गये जिनमें बिन की मोटाई 4 से 12 इन्च तक रखी गई। इस तरह इन प्याज से भरे भण्डार बिन को टीन की छत के नीचे खुले में रखा गया। यहां प्याजों को हवा बराबर मिलती रही जिससे वे 10 माह तक सुरक्षित रहे। प्रयोगो में 20,30,50,70 एवं 125 किलो क्षमता वाले जालीदार बिन में प्याजो को संरक्षित रखा पाया गया। आवश्यकतानुसार भिन्न क्षमता वाले जालीदार बिन बनाये जा सकते हैं जिनका उपयोग छोटे-बड़े भण्डार गृहों एवं घरेलू स्तर पर किया जा सकता है। इस भण्डार बिन को एकेएस प्याज भण्डार बिन का नाम दिया गया है। अधिक जानकारी के लिये डाॅ. टेकचन्दानी से एकेएस विश्वविद्यालय, सतना अथवा मोबाइल नं. 7693007776 पर संपर्क किया जा कसता है।

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b2ap3_thumbnail_award-from-cm_20170805-053819_1.JPG                                                                                                    सतना,विन्ध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस विश्वविद्यालय, सतना को म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा मोस्ट इनोवेटिव युनिवर्सिटी एवार्ड इन म.प्र. प्रदान किया गया हैं। एकेएस विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने यह एवार्ड 1 अगस्त 2017 को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के हाथों ग्रहण किया। विश्वविद्यालय को यह एवार्ड म.प्र. की युनिवर्सिटीज के बीच से चयनित करके दिया गया। उल्लेखनीय है कि  एकेएस विश्वविद्यालय को अब म.प्र. के साथ-साथ भारत वर्ष में भी शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में जाना जाने लगा हैं। एकेएस वि.वि. अपनी विशिष्ट शैक्षणिक प्रणाली, इण्डस्ट्री ओरिएंटेड पाठ्यक्रम, एक्सीलेंस और इनोवेटिव सोच एवं कार्यशैली की वजह से महज 5 वर्षाे के अल्प अंतराल में विशिष्ट शैक्षणिक केन्द्र के रूप में विकसित हुआ हैं। जिसकी भविष्य में रिसर्च एवं नवाचार के क्षेत्र में भी अहम भूमिका होगी। कार्यक्रम के दौरान म.प्र. के शिक्षा के क्षेत्र के विद्वान और विशिष्टजन उपस्थित रहे। वि.वि. को मिली इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय को शुभकामना संदेश प्राप्त हो रहे है। गौरतलब है, कि इसके पूर्व विश्वविद्यालय को नेशनल एज्युकेशन एक्सीलेंस एवार्ड 2017, वेस्ट युनिवर्सिटी इन रूरल एरिया एवार्ड 2016 के साथ लगातार दो वर्षो से एज्युुकेशन नेशनल एक्सीलेस एवार्ड भी प्रदान किया गया है। वि.वि. के कुलाधिपति वी.पी. सोनी एवं कुलपति प्रो. पारितोष के बनिक ने सभी फैकल्टीज के डीन,डायरेक्टर्स एवं फैकल्टीज के अथक प्रयास को इस एवार्ड का क्रेडिट दिया है। 

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