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सतना. ऐ के एस विश्वविद्यालय द्वारा जिले के विभिन्न ग्रामो में कुपोषण मुक्त भारत पे कार्यक्रम किये गए जिसमे ग्राम  लोहारौराएभादएजिग्नाहटएभर्रीए मढ़ीएदेवराएमांदए धनखेरए ब्रेठियाएइटमाए श्यामनगरएकुलहरिएगोवरोघुरद इत्यादि मुख्य रहे। रावे के समन्वयक श्री सात्विक सहाय बिसरिया के नेतृत्व में  मुक्त भारत तथा कुपोषण मुक्त मध्य प्रदेश अभियान के अंतर्गत ग्रामो के सभी आगनवाड़ी केन्द्रो पर कार्यक्रम किये गए।।जिसमे ग्राम के लोग तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रही।जिसमे कुपोषण के निवारण हेतु ग्रामजनो के साथ चर्चा की गई तथा जिसने  कार्यकर्ताओ  गांव के लोगो ने तथा  सभी विद्यार्थियों ने भी अपने अपने मत प्रदर्शित किये।तथा कार्यक्रम के अंत में ग्राम के 2 कुपोषित बच्चों के जन्म दिवस को मनाया गया तथा उनके माता पिता को कुपोषण से मुक्ति के उपाय बताये गए। यह कार्यक्रम ।ज्ञैन्  के रावे के छात्र और छात्राओ ने हिस्सा लिया जिसमे प्रियांशएसंकेत प्रियांश लखेरा रोहित मनोज सचिन अंकितमिश्रा अंकि यादव नाजिल प्रावीश रणजीत विकास मंडावी हर्षिता अनामिका  प्रियंका अमीषा सोनम इत्यादि उपस्थित रहे।

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दिनांक-16.07.2018 केा एकेएस विश्वविद्यालय के । ब्लाॅकए ब्.11 सभागार में बी.एस.सी (कम्प्यूटर साइंस एवं गणित) एवं एम.एस.सी (भौतिकी) के विद्यार्थियों के लिए एस्ट्रोफिजिसिस्ट आकाश नारायण जो कि एस्ट्रोनाॅमी एवं एस्ट्रोफिजिक्स विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में कार्यरत ने विद्यार्थियों को (तारों का बनना, सुपर नोवा, तारों की औसत आयु, हमारा ग्रहीय तारा सूर्य) के बारे मंे वृहद् स्तर से समझाया तथा ये भी बताया कि इस क्षेत्र मंे एम.एस.सी (भौतिकी) के विद्यार्थी अपना कैरियर कैसे बना सकते हैं। ज्ञातव्य हैं ’कि विगत वर्ष जो नोबल पुरस्कार भौतिकी के क्षेत्र में दिया गया था उसमें महत्वपूर्ण भूमिका खगोलशास्त्री की रही। इस व्याख्यान का महत्व छात्रों के बीच रिसर्च के लिए प्रेरित करना रहा।
इनकी रही मुख्य भूमिका- प्रो. आर.एन. त्रिपाठी (डीन बेसिक साइंस), डाॅ नीलेश राय डाॅ. ओ.पी. त्रिपाठी, डाॅ. दिनेश मिश्रा, डाॅ. सुधा अग्रवाल, लवली सिंह गहरवार, साकेत कुमार एवं पुनीत चनपुरिया ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। आभार प्रदर्शन डाॅ नीलेश राय (विभागाध्यक्ष भौतिकी संकाय) ने किया।

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सतना। एकेएस वि.वि. सतना में टाॅपर टेक्नोलाॅजीज प्रा.लि. ने कैम्पस के माध्यम से विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को चयनित किया। वि.वि. में कैम्पस का सिलसिला लगातार जारी है, इसी कड़ी में मोस्ट इनोवेटिव युनिवर्सिटी इन सेंट्रल इंडिया 2018 अवार्डेड वि.वि. में टाॅपर टेक्नोलाॅजीज प्रा.लि. ने बी.टेक और एमबीए के छात्रों का चयन किया। भोपाल, इंदौर और रायपुर लोकेशन के लिये कैम्पस का आयोजन किया गया। वि.वि. के छात्रों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। एरिया सेल्स एग्जिक्यूटिव/टेक्नीशियन पद के लिये चयनित किये गये प्रतिभागियों को 4 लाख के साथ इन्सेंटिव भी कम्पनी के द्वारा प्रदान किया जायेगा। चयनित हुए विद्यार्थियों को वि.वि. प्रबंधन ने शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

 

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सतना। एकेएस वि.वि. सतना में टाॅपर टेक्नोलाॅजीज प्रा.लि. ने कैम्पस के माध्यम से विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को चयनित किया। वि.वि. में कैम्पस का सिलसिला लगातार जारी है, इसी कड़ी में मोस्ट इनोवेटिव युनिवर्सिटी इन सेंट्रल इंडिया 2018 अवार्डेड वि.वि. में टाॅपर टेक्नोलाॅजीज प्रा.लि. ने बी.टेक और एमबीए के छात्रों का चयन किया। भोपाल, इंदौर और रायपुर लोकेशन के लिये कैम्पस का आयोजन किया गया। वि.वि. के छात्रों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। एरिया सेल्स एग्जिक्यूटिव/टेक्नीशियन पद के लिये चयनित किये गये प्रतिभागियों को 4 लाख के साथ इन्सेंटिव भी कम्पनी के द्वारा प्रदान किया जायेगा। चयनित हुए विद्यार्थियों को वि.वि. प्रबंधन ने शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

 

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सतना। कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, कुछ ऐसा ही भाव लेकर एकेएस वि.वि. सतना के आईटी प्रशासक सोनू कुमार सोनी ने अपने जज्बे से वो कर दिखाया जिसकी हम आप कल्पना करते हैं। उन्होंने सफलतापूर्वक सतना से लेह तक का सफर मोटर साइकल से पूर्ण किया। जिद, जज्बे और जुनून की हद तक इस यात्रा का लुत्फ उठाते हुए उन्होंने तकरीबन 4600 किमी. की 14 दिनों की साहसिक यात्रा अपने दोस्त के साथ मिलकर सफलतापूर्वक पूरी की। 28 जून को अपनी यात्रा की शुरुआत करते हुए सोनू कुमार सोनी ने 400 सीसी की बाइक से यह यात्रा खुशी खुशी पूरी की। भोर के उजास से लेकर रात के तम तक वह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहे। दुर्गम और कठिन रास्तों पर चलते हुए भी उन्होंने आशा नहीं छोड़ी। सोनू के मित्र सुभाष शरण ने भी उनके साथ ग्वालियर, दिल्ली, अम्बाला, उधमपुर होते हुए द्रास कारगिल तक यात्रा की। इसी रास्ते से दोनों मित्र लेह लद्दाख पहुंचे, लेह से सियाचिन मार्ग होते हुए सोनू और सुभाष पैगकांग लेक पहुंचे। इस झील का 80 फीसदी हिस्सा चीन में और 20 फीसदी हिस्सा हिन्दुस्तान में है। हसीन वादियों का नजारा करते हुए प्रकृति की सुदरता की असीम खूबसूरती को निहारते और आगे बढते सोनू ने बताया कि सचमुच यात्रा प्रेरणदायक और बेमिसाल रही ।मोबाइल से लगातार जीपीएस का सहारा लेते हुए दोनों दोस्त लेह मनाली हाइवे पर पहुंचे जहां जिंग जिंग बार में टेंट के भीतर पूरी रात गुजारी। मोबाइल का जीपीएस सिस्टम उनके लिये वरदान की तरह रहा। चूंकि दुरूह और मुश्किल रास्ते होने के कारण मोबाइल का नेटवर्क भी कई बार साथ छोड़ देता था। ऐसे में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आॅफलाइन मैप का सहारा लेकर आगे बढ़ते रहे। इसके पहले सोनू ने एक साल तक इस यात्रा के लिये तैयारियां कीं। सोनू ने बताया कि यात्रा के लिये फिजिकल और मेंटल पावर जरूरी थी। इसके पहले आम तौर पर 80 फीसदी से ज्यादा राहगीर मनाली पहुंचकर बाइक या फ्लाइट से पहले लेह जाते हैं और लेह के आगे का सफर फिर बाइक से करते हैं। जवाहर टनल से गुजरने की इजाजत न मिलने की वजह से दोनों ने छोटे से गांव बनिहाल में रात बिताई। सोनू ने कहा कि उन्हें लगातार हौसला और हिम्मत वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी और वि.वि. में कार्यरत लोगों से मिलता रहा। आईटी हेड ने बताया कि लेह में विशाल दर्रों का समूह है। जहां बाइक या 4 पहिया वाहन चलाना आसान नहीं है। जोजिला पास के पास चांगला पास में सबसे मुश्किल काम ड्राइविंग का था। इसी बीच लेह और नुब्रा वैली के बीच विश्व का सबसे ऊंचा पास है खार डुंगला, इसकी ऊंचाई 18300 फिट है। यहां गर्व और हर्ष से दोनों मित्रों ने भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराया। फ्यूलिंग के लिये 10 लीटर पेट्रोल रिजर्व रखकर चलते चलते लेह और मनाली के बीच 345 किमी. का एक ऐसा क्षेत्र भी पडा जहां पेट्रोल पंप नहीं हैं। ऐसी जगह रिजर्व पेट्रोल काम आया। सोनू के इस जज्बेपूर्ण हिम्मत और हौसले भरे कार्य के लिये वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी और कुलपति प्रो. पारितोष के. बनिक, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी और वि.वि. के समस्त संकायों के डीन, डायरेक्टर्स एवं फैकल्टीज ने उन्हें बधाई दी है। सोनू कुमार सोनी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी के आशीर्वाद और मार्गदर्शन की वजह से वे इस साहसिक कार्य के लिये जज्बा जुटा पाये उन्होने कहा कि मेरी मंजिले इससे भी आगे की हैं मुझे रास्तों की तलास है मन में उमंग है कुछ और करने की खुद को खेाजने की और जहाॅ का सफर करने की।

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