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एकेएस के एमएससी रसायन विज्ञान के छात्र सत्यम चौरसिया को ल्यूपिन फार्मास्युटिकल कंपनी में मिला पद।         अनुसंधान और विकास विभाग में केमिस्ट ट्रेनी के रूप में करेंगे कार्य।   सतना। एकेएस के एमएससी रसायन विज्ञान के छात्र सत्यम चौरसिया को ल्यूपिन फार्मास्युटिकल कंपनी में  कार्य करने का मौका मिला है।वह        अनुसंधान और विकास विभाग में केमिस्ट ट्रेनी के रूप में कार्य करेंगे । उनकी इस उपलब्धि पर बेसिक साइंस के डीन प्रो.आर.एस. निगम ने खुशी जताई है। केमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र यादव समन्वयक डॉ. दिनेश मिश्र,डॉ.समित कुमार,डॉ. मनोज कुमार शर्मा,डॉ.सुषमा सिंह, नाहिद उस्मानी,कान्हा सिंह तिवारी, दिनेश वाल्मिकी और सुंदरम खरे ने उन्हें बधाई देते हुए अग्रिम शुभकामनाएं भी प्रेषित की हैं। विद्यालय प्रबंधन ने छात्र की सफलता पर खुशी व्यक्त की है।

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एकेएस फैकल्टी विनय द्विवेदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर एफडीपी में किया पार्टिसिपेट।
 
सतना।कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रो. विनय कुमार द्विवेदी ने पायथन का उपयोग करके मेडिकल इमेज विश्लेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर एक सप्ताह की एफडीपी में भाग लिया। यह एफडीपी सीएमआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बेंगलुरु  में आयोजित किया गया था। एफडीपी भारत भर के विभिन्न प्रोफेसरों के कई विषयों को कवर करता है।यह एफडीपी डीप लर्निंग का उपयोग करके मेडिकल डोमेन के बारे में सीखने में बहुत उपयोगी था, साथ ही मेडिकल इमेज विश्लेषण के लिए पाई  टॉर्च  का उपयोग करके डीप लर्निंग, पाइथन  का उपयोग करके इमेज वर्गीकरण के लिए मशीन लर्निंग, और एमआरआई से डीप लर्निंग इनसाइट्स का उपयोग करके मेडिकल इमेज का कंप्यूटर निदान जैसे विभिन्न विषयों के बारे में सीखने में बहुत उपयोगी था।  संज्ञानात्मक हानि, अल्जाइमर आदि के लिए वैकल्पिक बायोमार्कर की खोज पर डॉ.जी.के.प्रधान, इंजीनियरिंग डीन और डॉ.अखिलेश ए.वाउ, एसोसिएटेड डीन और हेड सीएस/आईटी ने इस एफडीपी में सहभागिता  के लिए विनय द्विवेदी को बधाई दी है।
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तीज के उपलक्ष में मेहंदी प्रतियोगिता शिक्षा विभाग में। सतना । एकेएस विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में 16 सितंबर को मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम तीज के उपलक्ष्य में स्टूडेंट्स के लिए प्रतियोगिता की तरह हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि  श्रीमती साधना सोनी,श्रीमती आरती सोनी और श्रीमती ज्योति सिंह सोनी रही। प्रतियोगिता में  छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । जिसमें प्रथम स्थान पर एमएससी बायोटेक विभाग से प्रेरणा सिंह,द्वितीय स्थान पर एमएससी कंप्यूटर साइंस विभाग से प्रतिभा कुशवाहा, तृतीय स्थान पर बीटेक से श्रुति राज, चौथे स्थान पर बीटेक सीएसई से स्वेच्छा सोनी और पांचवें स्थान पर शिवानी सोनी रही । इस मौके पर श्रीमती साधना सोनी जी ने कहा की मेहंदी प्रतियोगिता से छात्राओं की क्रियाशीलता सृजनात्मक, एकाग्रता एवं मिलकर कार्य करने की क्षमता का विकास होता है । श्रीमती आरती सोनी जी ने छात्राओं से बातचीत करते हुए उनकी मेहंदी के डिजाइनों पर चर्चा की और उनका उत्साह वर्धन किया। विजेताओं को उन्होंने और बेहतर कार्य करने की टिप्स भी प्रदान की। श्रीमती ज्योति सोनी ने प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया उन्होंने कहा की सभी ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है विजेताओं के सम्मान के दौरान डॉ. शिखा त्रिपाठी ने कहा की मेहंदी जिसे हिना भी कहते हैं दक्षिण एशिया में प्रयोग किए जाने वाला शरीर को सजाने का एक साधन होता है इसे हाथों,पैरों बाजू आदि पर लगाया जाता है 1990 के दशकों से यह पश्चिमी देशों में भी चलन में आया है। मेहंदी का प्रचलन आज के इस नए युग में ही नहीं बल्कि काफी समय पहले से हो रहा है। वहीं छात्राओं ने बताया की मेहंदी का रंग गहरा करने के लिए उन्होंने मेहंदी पर नींबू पानी का रस और शक्कर लगाया ।फिर इसके बाद तवे पर कुछ लौंग गर्म किया और लौंग से निकलने वाले धुएं से हाथों को वेपर भी दिलवाया। अव्वल स्थान पर रही विजेता स्टूडेंट ने बताया की मेहंदी लगाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और निलगिरी या मेहंदी का तेल जरूर लगाना चाहिए ।मेहंदी को आप जितना अधिक समय हाथों में लगाकर रख सकते हैं रखें। कम से कम 5 घंटे मेहंदी लगी रहने से इसका रंग अच्छा आता है द्वितीय स्थान पर रही छात्र ने बताया की मेहंदी का रंग गाढ़ा करने के लिए एक बहुत अच्छा तरीका है जब आप मेहंदी लगवाते हैं उसके बाद उसे हल्का सूखने दें और फिर किसी कंबल या रजाई से मेहंदी को ढक दें अगर रात के समय मेहंदी लग रही है तो सबसे अच्छा तरीका है की रजाई ओढ़ कर सो जाएं।  गर्माहट से मेहंदी का रंग गहरा होगा। प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन करने हेतु विश्वविद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं भी उपस्थित रही। कार्यक्रम के आयोजन में शिक्षा विभाग से नीरू सिंह डॉ. शिखा त्रिपाठी, डॉ.कल्पना मिश्रा,सीमा द्विवेदी,नीता सिंह गहरवार,पूर्णिमा सिंह, डॉ.आर.एस.मिश्रा, विभाग अध्यक्ष शिक्षा विभाग डॉ. सानंद कुमार गौतम, डॉ भगवान दीन पटेल और अमीर हसीब सिद्दीकी उपस्थित रहे।

 

 
 
 
 
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एकेएस में विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया गया                  सतना।  एकेएस विश्वविद्यालय के केन्द्रीय सभागार में विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा फिजियोथेरेपी का महत्व बच्चो को बताया गया और कैसे मानव जीवन मैं इसका महत्व है इस कार्यक्रम में छात्रों ने लघु नाटक की मनमोहक प्रस्तुति देकर फिजियोथेरेपी के उपयोग सभागार मैं प्रदर्शित किए। कार्यक्रम में  लाइफ साइंस संकाय के डीन प्रोफेसर जी.पी. रिछारिया,एसोसिएट डीन  प्रोफेसर डॉ. कमलेश चौरे, विभागाध्यक्ष डा. अनिल कुमार मिश्रा, विशिष्ट अथिति डॉ. तोषण सिंह,डॉ.मोहम्मदी अशरफ, विश्वविद्यालय  के पैरामेडिकल विभाग से डॉ. बी.के. पटेल, डॉ. शैलेंद्र तिवारी ,डॉ. पूनम ,अमित द्विवेदी , रहमान , ब्रजनंदन सिंह, शैलेश साकेत ,अख्तर अली ने इसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार रखते हुए फिजियोथैरेपी डे की शुरुआत, इसके महत्व और उसके ऐतिहासिक संदर्भों को रेखांकित किया और छात्रों को कई जानकारियां से रूबरू कराया।कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को मोमेंटो देकर सम्मानित करते हुए आभार प्रदर्शित किया गया

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चंद्रयान मिशन में शामिल सतना के सपूत ओम पांडे ने एकेएस के छात्रों से किया संवाद। ज़िद, जज्बा और जुनून हो तो कोई भी मुकाम मुश्किल नहीं ,ओम पांडे। सतना। एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के सभागार में चंद्रयान मिशन में शामिल सतना के रैगांव क्षेत्र के करसरा गांव के निवासी मध्यम वर्गीय परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले ओम पांडे ने  इंजीनियरिंग और अन्य संकाय के छात्रों के साथ संवाद किया। उन्होंने छात्रों को मोटिवेट करते हुए कहा की ज़िद, जज्बा और जुनून हो तो कोई भी मुकाम मुश्किल नहीं। आपका बैकग्राउंड आपके विकास में आड़े नहीं आता, सपने उन्हीं के पूरे होते हैं जिनके सपनों में जान होती है। अनुशासित जीवन से ही उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है। कक्षा 8 तक उन्होंने गांव के स्कूल में अभावों के बीच शिक्षा ग्रहण की, लेकिन आगे बढ़ाने की ललक और तड़प ने उन्हें सोने नहीं दिया। कक्षा 12 एक्सीलेंस स्कूल से 85% अंकों के साथ उत्तीर्ण की और स्कॉलरशिप भी मिली जिससे उन्हें रोशनी की किरणें दिखाई दी। सफर चलता रहा। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग  पूर्ण की ।गेट एग्जाम क्लियर करने के बाद आईआईटी कानपुर में उन्होंने दाखिला लिया। छात्रों को संबोधित करते हुए ओम पांडे जी ने कहा की जब आपका मन यह कहता है कि आप कर सकते हो तो आप निश्चित रूप से कर सकते हो। उन्होंने खेलों के महत्व, व्यक्तित्व और एटिकेट्स पर भी छात्रों को अधिक से अधिक सीखने की सलाह दी।उज्जैन कॉलेज में उन्होंने कुछ समय तक टीचिंग भी की बाद में ऑल इंडिया टेस्ट में भाग लेकर 2018 में बतौर साइंटिस्ट सी कैटिगरी उन्हें इसरो में कार्य करने का मौका प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष मिशन बहुत बड़ा मिशन होता है , जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं जब वैज्ञानिकों के लिए मंदिरों में हवन, पूजन होते हैं, लोग उनके लिए प्रार्थना करते हुए मिलते हैं तो उत्साह बढ़ता है ,यह अपना कार्य नहीं होता ,बल्कि देश का काम होता है। भारत मां का काम होता है और चंद्रमा के साउथ पोल पर जाने वाला भारत पहला देश बना यह हम सब के लिए गर्व के बहुत बड़े पल थे। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों में देश के गांव तक जागरूकता पहुंची है इसी के साथ उन्होंने L1 मिशन, आदित्य, गगनयान मिशन के साथ स्टूडेंट्स को इसरो में प्रवेश के माध्यम भी बताएं। स्टूडेंट की उत्सुकताओं के जवाब भी उन्होंने दिए। सम्मान से अभिभूत ओम पांडे ने कहा की आज से 10,15 वर्ष पहले एकेएस जैसा विशिष्ट संस्थान नहीं था ।अब आप सबके पास सुविधाओं और संस्थान की भरमार है। मुक्त आकाश आपके लिए खुला हुआ है ।आप जो सपना देखेंगे वह पूरा होगा यह तकनीकी के माध्यम से हुआ है। ओम पांडे का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी ने कहा कि टेक्नोलॉजिकल पहलू से हम तकनीकी के चरम पर हैं ।चंद्रयान इसी की एक बड़ी कड़ी है। प्रोफेसर बी.ए.चोपड़े ने कहा की 21वीं सदी की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत के लिए चंद्रयान मिशन है। उन्होंने डॉ. होमी भाभा डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के स्पेस मिशन के क्षेत्र में किए गए कार्यों को मुक्त कंठ से सराहा। कार्यक्रम में एकेएस विश्वविद्यालय के सभी संकाय के डीन, डायरेक्टर, फैकल्टी मेंबर्स उपस्थित रहे।

 

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