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ऐ.के.एस. विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम सीतापुर में रावे के छात्र छात्राओं द्वारा कार्यक्रम समन्वयक सात्विक बिसारिया के मार्गदर्शन में कृषक संगोष्ठी व पशु चिकित्सा शिविर का भव्य आयोजन किया गया ।कार्यक्रम समन्वयक सात्विक बिसारिया ने बताया कि मुख्य रूप से आवारा पशु नयंत्रणए खेतीए पशुधन आधारीत योजनाओ पर गहन जानकारी कृषक बंधुओं को उपलब्ध करना शिविर का मुख्य उद्देश्य है। कार्यक्रम में ऐ.के.एस. विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर इं अनन्त कुमार सोनी ने बतौर मुख्यातिथि कार्यक्रम में शिरकत की।कृषि वैज्ञानिक व अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ एस एस तोमर ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया खेत में बीज की बोवनी करते वक्त सर्वप्रथम खाद की मात्रा व बीज की गुणवत्ता को ध्यान में रखना चाहिए। किसानों को रबी और खरीफ की फसलों के साथ ही जायद व नकदी फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए। किसान खेतों में बोवनी करने से पूर्व मिट्टी का परीक्षण करना भी अनिवार्य है। किसानों को हर साल खेती में हो रहे घाटे की भरपाई के लिए खेतों में नकदी फसलों को उगाना चाहिए। जिससे उनके खेत सालभर खाली नहीं रहें।डॉ भूमानन्द सरस्वती ने बताया कम खर्च में अधिक फसल लेने और एक धान के साथ अन्य धान मिलाकर खेती करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा मित्र कीटों की उपस्थिति में फसलों पर लगने वाले अन्य हानिकारक कीटों को खत्म किया जा सकता है। इसलिए प्रत्येक खेत में उत्तर से दक्षिण दिशा में पेड़ लगाना जरूरी है। शाश्वत यौगिक व जैविक खेती अपनाने से भारत में फिर से हरित क्रांति आएगी।श्री वारसी ने किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने का आह्वान किया रासायनिक खेती की बजाय शाश्वत यौगिक व जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया। किसानों को जैविक सामग्री बनाने की विधि भी बताई। डॉ केवटए डॉ अभिलाषा सिंहए डॉ गावेंद्र सिंहए और डॉ ज्योति बिसेन ने पशुपालकों को पशुओं में होने वाले मौसमी बीमारियों की जानकारी दी। इसके लक्षणए बचावए दवा का प्रयोग को भी बताया। लोगों को पशुओं के रहने वाले गोहल को साफ रखने की बात कही गई। मवेशियों को मच्छर से बचाव करने की बात भी बताई गई। कार्यक्रम में छोटी गुरहाटीए अमदरी व बामौर के रावे के छात्र छात्राओं का विशेष योगदान रहा।

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एकेएस वि.वि. सतना के Civil Engineering Diploma और B,tech पाॅचवें सेमेस्टर  के छात्र-छात्राओें के लिए एक  बहुआयामी आठ दिवसीय Workshop का आयोजन किया जा रहा है इसका विषय building Planning design and Analysis  है जिसके विषय विशेषज्ञ शतार्दु चैधरी है Workshop का शुभारंभ 23 सितम्बर को किया गया जो 28 सितम्बर तक चलेगी। इस workshop में Faculty हर्ष सिंह और विशुतोष वाजपेयी coordinator हैं। workshop में सक्रिय सहयोग गरिमा पाण्डेय,सतीष तिवारी,सरोजिनी सिंह,,श्रद्वा पाण्डेय,राधेश्याम सोनी, का है इस मौके पर 40 विद्यार्थी आर्किकैड,सैप 2000,टैब्स का अध्ययन कर रहे है और विषय की बारीकी समझ रहे हैं। विषय के अध्ययन में Planning study और 3D, structurel Analysis औ रsystemic evolution शामिल है। शुभारंभ अवसर पर प्रशिक्षक का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर करते हुए सभी फैकल्टीज ने उनका विद्याथियों से परिचय कराया। 

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रंग-बिरंगें परिधानों में इंद्रधनुषी छटा सी बिखेरती विद्यार्थियों की विवेकानंद सभागार की दहलीज पर ससम्मान अपने प्राध्यापकों को टीका लगाकर पुष्प देकर स्वागत करना ,मद्विम संगीत का हवा के झोकों में शामिल हो जाना, प्रतिकुलपति प्रो.आर.एस.त्रिपाठी,ओएसडी प्रो.आर.एन.त्रिपाठी,डाॅ.आर.एस.निगम,इंजी.आर.के.श्रीवास्तव,विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग आर.एस.मिश्रा ने अपने उद्बोधन में सभी शिक्षाअध्यापकों को संबोधित किया और शिक्षक होने के मायने गिनाए।कार्यक्रम में डा.बी.डी.पटेल,नरेन्द्र कुमार,विजय पाण्डेय,शिखा त्रिपाठी,पूर्णिमा सिंह और नीरु सिंह का उलेखनीय योगदान रहा। बीएड और डीएड के ceniors ने अपने junior के लिए स्वागत पार्टी रखी।मस्ती और धमाल के पलों के आने के पूर्व सरस्वती वंदना करके कविता ने आध्यात्मिक पल निर्मित किए।स्वागत गीत कीर्ति और संचिता ने गाए। फिर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कपल नृत्य कविता और वंदना ने गाकर सभागार को प्रफुल्लित किया। एकल नुत्य से आकांक्षा ने सभागार को मंत्रमुग्ध किया। वंदना का सोलों डांस विशेष बन पडा। स्वागत पार्टी हो ओर गेम्स न हों ऐसा कैसे संभव है तो साडी गेम और गुब्बारा गेम ने मौके को जोरदार बनाया जिसमे सभी ने participate किया।समूह नृत्य दीपांजली,वैष्णवी,आकांक्षा और राजनंदनी ने प्रस्तुत किया। शिवमहेश ने गीत गुनगुनाया और पेपर डांस गेम के साथ कार्यक्रम अंत की तरफ पहुॅचा। सभी कार्यक्रम उर्जा,उत्साह और जुनून से भरे रहे जूनियर्स का सीनियर्स से परिचय प्राप्त हुआ और कुछ बातें और नसीहतें भी। कार्यक्रम का सफल संचालन मधुसूदन ने किया। स्वागत पार्टी के अंत में Group picture में सभी एक Frame में आए और एक दूसरे को सफल आयोजन की बधाइयाॅ देते हुए जीवन में कुछ बडा करने का सपना सॅजोए स्वागत पार्टी को अलविदा कहा।

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एकेएस वि.वि. सतना के सांस्कृतिक निदेशालय के डायरेक्टर डाॅ.दीपक मिश्रा के मार्गदर्शन में Association of Indian university के तत्वावधान में नाटक विधा में कलाकार अपना जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं और 25 सितम्बर को नाटक दल पजाब के लिए रवाना होगा प्रतियोगिता पटियाला में आयोजित होगी। जिसमें पानी रे पानी नुक्कड नाटक में प्रमुख भूमिकाओं में एन्थेानी, लक्ष्मण, तेजबहादुर, शिवा, अनुज, अभिशेख प्रांशु,शीलांबर आदि है। दूसरा प्रमुख नाटक सूत पुत्र कर्ण में मुख्य भूमिका रिषभ, प्राप्ति, हिमांशी, शालू, अक्षय, सुरज, आनंद प्रबल, हर्ष,आशुतोष, शुभम, अभिजीत आदि हैं। नाटकों का निदेशन सविता दाहिया कर रही हैं। इनका मुकाबला आॅल इंडिया नाटक प्रतिस्पर्धाओं में अन्य प्रमुख यूनिवर्सिटीज से होगा। इससे पूर्व वि.वि. में एक शो करके इसे वि.वि. के चेयरमैन और प्रोचांसलर अनंत कुार सोनी,डायरेक्टर अवनीश सोनी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रदर्शन किया गया जिसकी सभी ने दिल से तारीफ की और कलाकारेां का मनोबल भी बढाया। वि.वि. के प्रतिभागियों को वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी,कुलपति प्रो.पारितोष के बनिक, प्रतिकुलपति डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी, प्रो.आर.एन.त्रिपाठीऔर वि.वि. के सभी संकाय के डीन,डायरेक्टर्स, फैकल्टीज और कलाकारों के इष्ट मित्रों ने जीत की शुभकामनाऐं दी हैं।

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एकेएस विश्वविद्यालय, सतना ने वर्ष 2019 में किसानों को एक नई सौगात-लाल भिंडी प्रदान किया है जिसकी फलियाँ लाल रंग की 24-25 सेमी लंबी पांच धारियों वाली तथा स्वाद में हरी-भिंडी से अधिक स्वादिष्ट होती हैं। लाल भिंडी का बीज प्रत्यक्षण हेतु सब्जी उत्पादकों को वितरित करते हुए एकेएस विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति इंजी0 अनंत कुमार सोनी ने कहा कि कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में लाल सीता मूली के बाद लाल भिंडी हमारी दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने पुनः कहा कि लाल भिंडी की उपज अधिक होने से यह किसानों की माली हालत सुधारने में मददगार अवश्य सिद्ध होगी।लाल भिंडी की प्रजनक डाॅ0 विनीता देवी, सहायक प्राध्यापिका, अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग ने बताया कि इस किस्म का विकास सी.ओ.-1 भिंडी के बीज को ई.एम.एस. नामक रसायन से 24 घण्टे तक उपचारित करके उत्परिवर्तन प्रजनन (म्यूटेशन ब्रीडिंग) विधि द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म के भिंडी की फलियों का लाल रंग आयोडीन तथा आयरन तत्वों के अधिकता को दर्शाता है। इस किस्म की सब्जी का सेवन करने से घंेघा तथा एनिमिया रोग दूर होंगे।उद्यान विभाग के निदेशक डाॅ0 के. आर. मौर्य ने बताया कि विश्व में भारत, सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर तथा भिंडी उत्पादन में प्रथम स्थान है। भारत विश्व के कुल भिंडी उत्पादन का अकेले 72 प्रतिशत यानी कि 5784 हजार टन भिंडी उपजाता है। अपने देश में भिंडी की अनेक किस्मों का विकास हुआ है परंतु लाल रंग की किस्मों का अभाव था। भिंडी की खेती की सबसे बड़ी समस्या पीत शिरा मोजैक विषाणु रोग है जिसके लगने पर उपज 80-90 प्रतिशत तक घट जाती है परंतु लाल भिंडी की यह किस्म पीत शिरा मोजैक विषाणु का प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है। किसान इसकी खेती बरसात तथा गर्मी दोनों मौसम में कर सकते हैं।

 

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