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एकेएस विश्वविद्यालय में दो दिवसीय ‘‘कम्यूनिकेशन मास्टरी वर्कशाप’’ का समापन हुआ। व्यक्ति और रिश्तों के बीच के अंतरालों को दूर करके परिजनों को एक कर देने की शिक्षा इस कार्यशाला का मूल लक्ष्य साबित हुई। प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में सुख और रिश्तों की मधुरता को लेकर जीता है किन्तु वैचारिक अवरोधों के चलते अनेक किस्म के अवरोधों को वह महसूस करने लगता है। इनोवेटर वरूण चमाड़िया ने इसे दो रूपों में विभाजित किया। एक रूप को वायरस की दुनिया और दूसरे पहलू को जीवन्तता की दुनिया के रूप में रेखाकिंत किया। वायरस की दुनिया में उन्होंने उन बिन्दुओं को शामिल किया जो छोटे-छोटे लक्ष्यों पर आधारित होते है और उन बातों को कल्पनाओं से इतना बड़ा कर लिया जाता है कि वे हमारे तमाम अवरोधों का कारण बन जाते है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कोई परिजन अपने विशेष स्वभाव के चलते एक भिन्न मनोदशा में हो सकता है। कभी वह कुछ अभिव्यक्त करता है कभी कुछ अभिव्यक्त नहीं करता किन्तु उसका इरादा किसी की उपेक्षा करना नहीं होता। दूसरा व्यक्ति इन बातों पर धारणा बनाकर जीने लगता है और यह छोटी सी बात रिश्तों के बीच दरार बन जाती है और पूरे जीवन को प्रभावित करती है। जबकि इसका सल्यूशन एक मिनट की अभिव्यक्ति है। दरअसल, रिश्तों में बिगाड़ इसलिए होता है क्योंकि हम बिगाड़ की दिशा में प्रयास करते है। जीवन्त्ता की दुनिया में हम उस खुशी पर विचार करते है जो हमें अपने परिजनों से मिलती है हम उन्हंे खोना नहीं चाहते लेकिन अपने मन में तमाम धारणाओं के चलते सम्बन्धों में आगे भी नहीं बढ़ पाते। एक उदाहरण देते हुए वरूण चमाड़िया ने कहा कि नीबू का अपने आप में एक गुण है वह दूध में पड़ेगा तो फाड़ देगा, और पानी में पड़ेगा तो नीबू पानी बन कर स्वास्थ्यप्रद हो जाएगा। ये तो सिर्फ एक उदाहरण है किन्तु होता ऐसा ही है। नीबू फाड़ना किसी को नहीं चाहता। लेकिन प्रभाव पड़ता है दूध प्रभावों को ले लेता है उन्होंने एक स्केल को दिखाते हुए कहा कि यह मनुष्य के जीवन के दो पाट है। एक नकारात्मकता की दुनिया एवं दूसरी सकारात्मकता की दुनिया। इन दोनों के मध्य में एक हिस्सा जीरो रेजिस्टेेंस का है। सारे संसार की तरक्की इसी जीरो रेजिस्टेेंस पर है क्योंकि क्रोध, घृणा, हिंसा आदि निश्चित अवधि की भाव दशायें है। इन अभिव्यक्तियों के दौरान यदि दूसरा पक्ष शून्य निर्वात में रहे तो निश्चित ही क्रोध आदि में उबल रहा व्यक्ति जल्द शांत हो जाता है और फिर संवाद के बिन्दु शुरु हो जाते है। कार्यशाला के अन्त में उपस्थित सदस्यों ने अपने बदले हुये मनोभावों को प्रदर्शित किया।

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एकेएस विश्वविद्यालय के काॅमर्स फैकल्टीज, डाॅ. धीरेन्द्र ओझा एवं डाॅ. सच्चिदानंद का ”इफेक्ट आॅफ डिमोन्टेनाईजेशन इन इण्डिया” विषय पर आधारित शोधपत्र साइंटिफिक प्रोग्रेस एंड रिसर्च इन्टरनेशनल जर्नल के वाॅल्यूम-31 नम्बर 2 के जनवरी 2017 के अंक में प्रकाशित हुआ है। डाॅ. ओझा ने बताया कि इस शोध पत्र में यह बताया गया है कि विमुद्रीकरण के प्रभाव से आर्थिक जगत का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है। परन्तु उसका प्रभाव बैंकिंग सेक्टर , आॅटोमोबाईल सेक्टर तथा संरचनात्मक सेक्टर से सर्वाधिक रहेंगा । वर्तमान समय में सर्विस सेक्टर पर इसका प्रभाव न के बराबर रहेगा। हालांकि गवर्नमेन्ट के भ्रष्टाचार पर लगाम और अंतकवाद से जुड़े मुद्दे पे इसका प्रभाव आर्थिक रूप से दीर्घकालीन रहेगा तथा बैंकिग सेक्टर को जमाओं पर अधिक इन्टरेस्ट पेमेन्ट करने के कारण नेट प्राॅफिट कम होने का जोखिम भी वहन करना पड़ सकता है।

 

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एकेएस विश्वविद्यालय के मैंनेजमेंट संकाय के एम.बी.ए. तृतीय सेमेस्टर के छात्रों ने यूनिवर्सल केबल लिमिटेड की इन्डस्ट्रियल विजिट की। इस दौरान छात्रों ने (जी.एम. एच.आर.) विनीत सक्सेना एवं विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी के निर्देशन में गुणवत्ता नीति, केबल प्रोडक्शन ले आउट, एच.आर. पाॅलिसी, कम्परेटिव इन्डस्ट्रियल रिलेशन एवं टेक्निकल एक्टिविटी एवं प्रोडक्शन एक्टिविटी के बारे में टेक्निकल हेड एवं प्रोडक्शन हेड से तकनीकी जानकारियां हासिल की। इस दौरान एकेएस विश्वविद्यालय की तरफ से (वाइस प्रेसिडेन्ट एच.आर.) सुधीर जैन को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे भी इस तरह के कार्यक्रमों में छात्रों का सहयोग करेगें। विजिट के दौरान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन फैकल्टी श्वेता सिंह ने किया।

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एकेएस विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग में कार्यरत् अस्सिटेंट प्रोफेसर, श्रेयांस परसाई ने यूनिवर्सिटी आॅफ एप्लाईड साइसंेस एवं आटर््स, नार्थ वेस्टर्न, स्विटजरलैण्ड द्वारा काठमांडू स्कूल आॅफ मैनेजमेंट में 23 से 28 जनवरी तक ‘आर्गेनिक वेस्ट टू एनर्जी थ्रू एनोरेबिक डाइजेशन” विषय पर आयोजित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में वि. वि. का प्रतिनिधित्व किया ।
इन प्रतिष्ठत संस्थानो से विशेषज्ञ हुए शामिल
गौरतलब है कि कार्यशाला में स्विटजरलैण्ड यूनिवर्सिटी, काठमांडू यूनिवर्सिटी एवं नीरी (नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) नागपुर, से आए विषय विशेषज्ञों ने विश्व स्तर पर साॅलिड वेस्ट, म्यूनिसिपल वेस्ट एवं हाउस होल्ड वेस्ट को कैसे एनर्जी के रूप में उपयोग करें एवं इस प्रक्रिया हेतु जरूरी वस्तुएं, साइज, लागत एवं एरिया के विषय पर अपने विचार व अपनी राय दी। कार्यशाला में भारतवर्ष से 7 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया वहीं नेपाल के छात्र छात्राओं के साथ विषय विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।
विषय पर रखी अपनी राॅय
श्रेयांश पारसाई कार्यशाला में अपनी राॅय रखते हुए कहा किएन एनोरोबिक डाइजेशन के द्वारा गैस का उत्पादन किया जाता है जो कि घरेलू उपयोगों के लिये आवश्यक है। अब यह सारी प्रणाली एकेएस वि.वि. के छात्रों को समझाई जायेगी जिससे विंध्य क्षेत्र में साॅलिड वेस्ट को कैसे उपयोग करें जिससे यह वेस्ट हमारे लिये उपयोगी साबित हो वेस्ट को डायजस्टर में उपयोग करके गैसों का उत्पादन किया जायेगा। गौरतलब है कि उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाउसहोल्ड वेस्ट को व्यवस्थित करने हेतु इस प्रणाली का उपयोग सुचारू रूप से बायोगैस उत्पादन के लिये किया जा सकता है जो एलपीजी से 70 प्रतिशत कम खर्चीली होती है।

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ए.के.एस. विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नाॅलाजी द्वारा बेसिक आॅफ रिमोट सेन्सिंग जीआईएस (जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम) एंड जीएनएस (ग्लोबल नैविगेशन सेटेलाइट सिस्टम) विषय पर आॅनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम आईआईआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ रिमोट सेन्सिंग )देहरादून के तत्वावधान में प्रदान किया गया। इस दोरान 77 प्रतिभागी विद्यार्थियों के लिए प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. पी. के. बनिक ,चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन,डाॅ. आर. एस. त्रिपाठी, प्रो. आर. एन. त्रिपाठी ,इंजी आर. के. श्रीवास्तव , डाॅ. आर. एस. पाठक, की उपस्थित उल्लेखनीय रही।आॅनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान आईआईआरएस के डायरेक्टर डाॅ ए सन्थिल कुमार, डाॅ. एस.के. श्रीवास्तव, डाॅ. सरनाम सिंह ने बी.टेक.एग्रीकल्चर, बीएससी एग्रीकल्चर, एमएससी एग्रीकल्चर, बी.टेक. सिविल, बी.टेक. माइनिंग के 200 विद्यार्थियों को आॅनलाइन ट्रेनिंग दी। इस टेªनिंग प्रोग्राम में बेसिक प्रिंिसपल आॅफ रिमोट सेन्सिंग, अर्थ आॅब्जर्वेशन सेन्सर्स एण्ड प्लेटफार्म, स्पेक्टरल सिग्नेचर आॅफ डिफरेन्ट लैण्ड कवर फीचर एण्ड विजुअल इमेज इंटरपें्रटेशन, माइक्रो रिमोट सेन्सिंग ,पृथ्वी की भौगोलिक संरचना एवं प्राकृतिक स्थिति ,रिमोट सेंसिंग क्या है, ये कैसे काम करती है एवं इसरो द्वारा लांच किये हुए सेटेलाइट्स तथा उनसे मिलने वाले छायाचित्रों की जानकारी के माध्यम से उनको पढ़कर कैसे पृथ्वी की भौगोलिक संरचना एवं प्राकृतिक स्थिति का जायजा लिया जा सकता हैैं।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

 

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परिवार में पिता का बेटे के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ रिश्तों में दूरियंा बढ़ रही है। आज लोग आपस मे कुछ कहना चाहते हैं तो कह नहीं सकते हैं, उनके बीच कम्यूनिकेशन के दायरे बढ़ रहे हैं। लोगों के बीच बिखर रहे इन रिश्तों के तानों-बानों को संजोने के और उनके सम्बन्धों में गुणात्मक परिवर्तन करने का सूत्र इनोवेटर वरुण चमड़िया ”कम्यूनिकेशन मास्टरी वर्कशाप” में प्रस्तुत करेंगे। यह वर्कशाप एकेएस वि.वि. शेरगंज में 11 एवं 12 फरवरी को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित की जायेगी। इस कार्यशाला में संवादहीनता (कम्यूनिकेशन गैप), जीवन शैली, मनःस्थिति और अन्य वैरियर्स (अवरोध) को पता करने एवं दूर करने का तरीका सिखाया जायेगा। यह निश्चित है कि इस कार्यशाला में भाग लेने वाले लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आयेगा और लोग अपने परिवार, मित्रता एवं समाज, व्यवसाय के साथ बढ़ रही दूरियों को खत्म करेंगे। एकेएस वि.वि. द्वारा हमेशा से सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिये लगातार प्रयास किये गये हैं। इसी दिशा में यह वर्कशाप सामाजिक ताने-बाने को, व्यक्ति से व्यक्ति के साथ कम्यूनिकेशन को मजबूत करेगी।एकेएस वि.वि. में रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए ब्लाॅक डी. मे सुधीर रावत से संपर्क्र कर जानकारी ली जा सकती हैै।


मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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एकेएस विश्वविद्यालय के प्रबन्धन विभाग के एमबीए चतुर्थ सेमेस्टर के छाात्रों ने बाबूपुर भिलाई जेपी प्लांट की इण्डस्ट्रियल विजिट की । इस दौरान जेपी प्लांट के एस. आर. गोस्वामी (ए.जी.एम) के सुपरवीजन में छात्रों ने प्रोडक्सन ले-आउट , इण्डस्ट्रियल रिलेशन, लेबर लाॅ, सेफ्टी, टाइम मैनेजमेंट (एसएपी) तथा गुणवत्ता नीति के बारे में छात्रों को विस्तृत जानकारी दी। छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्लांट द्वारा सम्बन्धित अघिकारियों द्वारा दिए गए। छात्रों द्वारा पूछें गए प्रश्नो के स्तर को देखकर अधिकारी काफी संतुष्ट थें । छात्रों के भविष्य के लिए प्लांट अधिकारियों द्वारा आगामी ं इण्डस्ट्रियल विजिट का स्वागत किया गया। विजिट के दौरान विद्यार्थियों का मार्गदर्शन विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी एवं फैकल्टी विजय प्रकाश चतुर्वेदी ने किया ।

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एकेएस वि.वि. के सभागार में इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च, नई दिल्ली,एमपी काउंसिल आॅफ साइंसेस एण्ड टेक्नाॅलाजी से स्पाॅसर्ड एवं एकेएस वि.वि. से को-स्पाॅसर्ड सेमिनाूर का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी विभाग द्वारा शुक्रवार एवं शनिवार को भरतवर्ष के लीडिंग साइंटिस्ट,रिसर्चरर्स,स्कालर्स एवं पार्टिसिपेंटस ने ”फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट्स‘‘ पर विस्तार से चर्चा करते हुए आयोजित सेमिनार को एक अहम परिणामोन्मुखी एवं वर्तमान की एक महत्वपूर्ण सेमिनाॅर निरुपित किया। गौरतलब है कि एकेएस वि.वि. मौलिक शेाध के लिए कृत संकल्पित है और वि.वि. में रिसर्च सेंटर की स्थापना इसी कडी में एक अहम प्रयास है। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक औषधीय संपदा की प्रचुर मात्रा हमारे देश मे उपलब्ध है बस जरुरत है इसे खेाजने-सॅवारने की और सही दिशा देने की क्योकि जो चीजें विज्ञान के दायरे के बाहर होती हैं वह प्रकृति के पास होती हैं। इसी क्रम को आगे बढाते हुए एकेएस वि.वि. में दो दिवसीय ‘‘फंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्टस -अपाचर््युनिटीज एण्ड चैलेन्जेस ‘‘ के माध्यम से विस्तार से नेचुरल रिसर्च पर चर्चा की गई एवं कई ऐसे आयोमों एवं मेडिसिन्स पर चर्चा हुई जो सनातन परम्परा से होते हुए वर्तमान तक प्रासंगिक हैं एवं आज भी रामबाण प्राकृतिक औषधियों में शुमार है। प्रकृति हमें देना सिखाती है और हमें यह परमार्थ भी सिखाती है एकेएस वि.वि. के सभागार में दो दिनो तक चले विषयसम्मत वर्कशाॅप में प्रमुख आयाम रहा इसका बहुआयामी एवं विविध एब्सट्रैक्ट के माध्यम से विषय विस्तार ।काॅन्फ्रेन्स के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में डाॅ. रिचा श्री (प्रोफसर, डिपार्टमेंट आॅफ फार्मास्यिूटिकल साइंस एंड ड्रग रिसर्च, पंजाबी यूनिवर्सिटी,पटियाला) सर्च फाॅर न्यूरोप्रोटेक्टिव अगेन्स्ट फ्राॅम प्लान्टस अवर जर्नी, डाॅ. एकेएस रावत (साइंटिस्ट एंड हेड डिपार्टमेंट आॅफ फार्माकोनोजी एंड इथेनो फार्माकोलाॅजी सीएसआईआर-नेशनल बोटेन्किल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ), द रिसेंट डेवलेपमेंट इन हर्बल ड्रग एंड रोल आॅफ क्वालिटी एंड हर्बल फार्मूलेशन, डाॅ. सईद अहमद (असिस्टेन्ट प्रोफेसर एंड इंचार्ज बाॅयो एक्टिव नेचुरल प्रोडाॅक्ट लेबोरेटरी, डिपार्ट आॅफ फार्माकोनोजी एंड पाइथोकेमेस्ट्री, फैकल्टी आॅफ फार्मेसी जमिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली) क्रोमेटोग्राफी इन क्वालिटी कन्ट्रोल आॅफ हर्बल ड्रग एंड बोटेनिकल्स, डाॅ. प्रसून गुप्ता (सीनियर साइंटिस्ट नेचुरल प्रोडक्ट केमेस्ट्री डिवीजन सीएसआईआर, इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ इंटरग्रेटिव मेडिसीन, जम्मू) डिसकवरी आॅफ मरीन नेचुरल प्रोडक्ट देट इम्पेक्ट ह्यूमन इन बाॅयोनिक स्टेम सेल ग्रोथ, डाॅ. आशुतोष त्रिपाठी (रिसर्च इन्वेस्टीगेटर लाइफ साइंस इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी आॅफ मिशिगन अन्ना एरबोर एमआई, यूएसए) माइक्रोबेस आॅफ मेडिसीन डेवलेपमेंट आॅफ मेलेनियल ड्रग डिसकवरी प्लेटफार्म, विषय पर प्रतिभागियों से चर्चा की।पोस्टर प्रजेन्टेशन मे दीक्षित एस. एवं आकांक्षा को प्रथम एवं शिवांगी केा द्वितीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया इन्हे मोमेन्टो,स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया गया। सेमिनार के अंत में चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन,डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी,आर्गनायजिंग सेकेट्ररी सूर्यप्रकाश गुप्ता प्रो.आर.एन.त्रिपाठी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. रमेश के. गोयल (कुलपति दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी डीपीएसआरयू, नई दिल्ली) ने अपने उद्बोधन में ‘‘कांसेप्ट आॅफ कांसेप्ट टू रियलिटी इन हर्बल मेडिसिन चैलेंजेस एण्ड अपार्चुनिटीज’’विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक उत्पादों में निश्चय ही शोध के असंख्य मौके उपलब्ध है। दो दिवसीय सेमिनार के शुभारंभ के मौके पर खचाखच भरे सभागार में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेडिसिन वल्र्ड की कोई भी ब्रांच पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हो सकती है। भारतवर्ष परम्पराओं और संस्कृति के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि 70 से 80 फीसदी एलोपैथिक मेडिसिन्स में भी हर्बल प्रोडक्ट्स का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में विज्ञान जानता है पर जानने में आना-कानी करता है और कुल मिलाकर भारतवर्ष की विरासत आयुर्वेद और संस्कृतिक मान्यताएं बाजारवाद के तेज झोके से प्रभावित हुई है और इन प्रचंड वेगों के बाद कुछ ऐसी बाते हो रही है जिससे अब धीरे-धीरे आयुर्वेद की तरफ लोगों का रूझान बढ़ रहा है। वास्तव में जिस तरह से एकेएस विश्वविद्यालय ने ‘‘टेªडिसनल नाॅलेज सेंटर’’ की स्थापना की है वह तारीफ के काबिल है उन्होंने कहा कि एलोपैथिक, होम्योपैथिक एवं आयुर्वेद सभी एक दूसरे से लिंक्ड है। सेमिनार मे दूसरे विशिष्ट अतिथि डाॅ. विनोद डी. रंगारी, प्रो.एंड हेड ने ‘‘मेडिसनल प्लांट रिसर्च एण्ड न्यू ड्रग डिस्कवरी फाॅर स्किल सेल डिसीज फ्राम इथेनोफर्माकोलाॅजिकल क्लेम्स टू काॅमसिलाइजेशन’’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। प्राकृतिक उत्पादों में रिसर्च एवं विकास की असीमित संभावनाऐं अभी भी छिपी हुई है। और हमारे आस-पास प्राकृतिक औषधीय खजाना मौजूद है। कट जाने पर या खरोच आ जाने पर भृंगराज का रस तो हम सभी ने प्रयोग किया है। इसी तरह दादी-नानी के खजाने भी अनुभूति औषधियांे से परिपूर्ण है। जरूरत है इन्हें संरक्षित किया जाए, संवर्धित किया जाए और बाजारवाद की आंधी से बचाकर आमजन की जरूरतों से जोड़ा जाए, इन्ही विचारों के साथ एकेएस विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल साइंस एंड टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा यह अनुकरणीय दो दिवसीय कार्यक्रम की रुपरेखा रखी गई। शुभारंभ अवसर पर कार्यशाला में एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी,प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, फार्मेसी विभागाध्यक्ष एव आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एवं डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता ने भी संबोधित किया।
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में फार्मेसी के मूर्धन्य एवं ख्यात वैज्ञानिकों की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने की। दो दिवसीय फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट्स ,सेमिनार के शुभारंभ अवसर पर डाॅ. अरूण गुप्ता, डाॅ. नीता श्रीवास्तव, डाॅ. प्रसून गुप्ता, डाॅ. सी.एस. राव, डाॅ. आशुतोष त्रिपाठी ने भी अपनी राय रखी। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना ,स्वागत गीत एवं अतिथियों को पुष्प गुच्छ प्रदान करने से हुई तत्पश्चात फार्मेसी के विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रजेन्टेशन के माध्यम से विषय को सरल करके समझाया। अतिथियों ने पोस्टर प्रेजेन्टेशन का अवलोकन किया और अन्त में सभागार के मंच से अतिथियों को कार्यक्रम का स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया इस मौके पर सोवीनियर का अनावरण भी किया गया। सेमिनाूर के दौरान डाॅ. मधु गुप्ता,प्रभाकर सिंह तिवारी,चन्द्रप्रताप सिंह, प्रदीप त्रिपाठी, प्रियंका गुप्ता, शशि चैरसिया, प्रियंका नामदेव, नेहा गोयल, अंकुर अग्रवाल, मनोज द्विवेदी, प्रदीप सिंह, नवल सिंह, सुमित पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि एकेएस विश्वविद्यालय में पूर्व में भी इसी तरह के राष्ट्रीय सेमिनार डाॅ. सूर्य प्रकाश गुप्ता के मार्गदर्शन मे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके है। कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, डेलीगेट्स एवं छात्र-छात्राओं न सहभागिता दर्ज कराई। दो दिवसीय कार्यक्रम में प्राकृतिक उत्पादों केे सही औषधीय स्वरूप एवं उनकी उपयोगिता पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. दीपक मिश्रा ने किया।

 

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एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में विश्व जलाशय दिवस के अवसर पर पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित ‘‘जलाशय प्राकृतिक आपदाओं की जोखिम को कम करने के लिये उपयोगी’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डाॅ. एस.एस. तोमर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि जलाशय का महत्वपूर्ण उपयोग सिंचाई, विद्युत उत्पादन आदि के लिये होता है। लेकिन बड़े जलाशयों के कुछ दुष्परिणाम है। जिन्हे कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने कहा कि जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यदि इसका विवेक पूर्ण उपयोग न किया गया तो आगे आने वाले समय में बहुत बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। अतः उससे बचने के लिये जल संरक्षण पर विशेष जोर देना होगा। प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने कहा कि प्राकृति के साथ खिलवाड़ मानव जाति के लिए अनेक संकट पैदा करेगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुये डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने आज के कार्यक्रम की सारगर्भिता पर प्रकाश डाला और जलाशयों के महत्व एवं संरक्षण पर जोर दिया। इस अवसर पर समस्त विभागो के छात्र-छात्राऐं एवं फैकल्टी सुमन पटेल, भूपेन्द्र सिंह एवं निलाद्रि शेखर राय उपस्थित रहे।

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