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एकेएसयू के फैकल्टी ने अंतराष्ट्रीय कार्यशाला में किया वि. वि. का प्रतिनिधित्व ‘आर्गेनिक वेस्ट टू एनर्जी थ्रू एनोरेबिक डाइजेशन’

Posted by on in Daily University News in Hindi
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एकेएस विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग में कार्यरत् अस्सिटेंट प्रोफेसर, श्रेयांस परसाई ने यूनिवर्सिटी आॅफ एप्लाईड साइसंेस एवं आटर््स, नार्थ वेस्टर्न, स्विटजरलैण्ड द्वारा काठमांडू स्कूल आॅफ मैनेजमेंट में 23 से 28 जनवरी तक ‘आर्गेनिक वेस्ट टू एनर्जी थ्रू एनोरेबिक डाइजेशन” विषय पर आयोजित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में वि. वि. का प्रतिनिधित्व किया ।
इन प्रतिष्ठत संस्थानो से विशेषज्ञ हुए शामिल
गौरतलब है कि कार्यशाला में स्विटजरलैण्ड यूनिवर्सिटी, काठमांडू यूनिवर्सिटी एवं नीरी (नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) नागपुर, से आए विषय विशेषज्ञों ने विश्व स्तर पर साॅलिड वेस्ट, म्यूनिसिपल वेस्ट एवं हाउस होल्ड वेस्ट को कैसे एनर्जी के रूप में उपयोग करें एवं इस प्रक्रिया हेतु जरूरी वस्तुएं, साइज, लागत एवं एरिया के विषय पर अपने विचार व अपनी राय दी। कार्यशाला में भारतवर्ष से 7 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया वहीं नेपाल के छात्र छात्राओं के साथ विषय विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।
विषय पर रखी अपनी राॅय
श्रेयांश पारसाई कार्यशाला में अपनी राॅय रखते हुए कहा किएन एनोरोबिक डाइजेशन के द्वारा गैस का उत्पादन किया जाता है जो कि घरेलू उपयोगों के लिये आवश्यक है। अब यह सारी प्रणाली एकेएस वि.वि. के छात्रों को समझाई जायेगी जिससे विंध्य क्षेत्र में साॅलिड वेस्ट को कैसे उपयोग करें जिससे यह वेस्ट हमारे लिये उपयोगी साबित हो वेस्ट को डायजस्टर में उपयोग करके गैसों का उत्पादन किया जायेगा। गौरतलब है कि उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाउसहोल्ड वेस्ट को व्यवस्थित करने हेतु इस प्रणाली का उपयोग सुचारू रूप से बायोगैस उत्पादन के लिये किया जा सकता है जो एलपीजी से 70 प्रतिशत कम खर्चीली होती है।

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Guest Sunday, 17 November 2024