AKS University
AKS University, Satna M.P.
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना में ‘‘राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई’’ द्वारा मतदाता ‘‘जागरूकता अभियान’’ के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यार्थियांे ने शपथ ली की ‘‘हम लोकतंत्र के निर्माण एवं इसे मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निर्वाहन करते हुए अपने मत का प्रयोग करके मतदान करेंगे एवं अपने आस-पास के लोगों को भी मतदान करने के लिए प्रेरित करेंगे।’’ इस अवसर पर विभिन्न संकायो के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
एकेएस में ‘‘नशामुक्ति अभियान ’’पर संगोष्ठी का आयोजन
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में कृषि विज्ञान एवं ्र प्रौद्यौगिकी संकाय द्वारा ‘‘नशा मुक्ति जागरूकता अभियान’’ के तहत् संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी थीम ‘‘यू आर ईट टोबैको/स्मोकिंग आर टोबैको ईटस् यू ’’ रखी गई। संगोष्ठी में डाॅ मयूरी सिंह (दंत रोग विशेषज्ञ) ने विद्यार्थियों को तम्बाखू एवं धूम्रपान से होने वाली कैंसर जैसी घातक बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण,उपचार एवं सावधानियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी । उन्होने बताया कि हम इन जानलेवा बीमारियों से अपना एवं अपने आस-पास के लोगो का बचाव कैसे कर सकते है। इस दौरान एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के कृषि विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी संकाय के फैकल्टीज् एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
एकेएस विश्वविद्यालय,सतना में ”¬विश्व नाट्य दिवस” की पूर्व संध्या पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रकोष्ठ द्वारा विश्व नाट्य दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं को नाट्य कला से जुड़ी हुई बारीकियों से अवगत करवाया गया। इस अवसर पर उपस्थित प्रबु˜ जनो ने नाट्य कला के शीर्षस्थ एवं विश्व ख्याति प्राप्त नाटककारो यथा मुंशी प्रेमचंद , शेक्सपीयर, भारतेन्दु हरिश्चंद्र आदि का संस्मरण किया एवं छात्रों के द्वारा कुछ प्रसिद्व नाट्य अंशेंा का मंचन भी किया गया जिससे सम्पूर्ण सभागार तालियों की गडगडाहट से गूॅज उठा एवं दर्शक दीर्घा ने नाट्य रसेंा का रसास्वादन किया । कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अधिकारियों के साथ छात्र-छात्राऐं भी उपस्थित रहे।
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना में 24 मार्च वल्र्ड टी.बी. डे - 2014 के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा किया गया। इस वर्ष ‘‘वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन’’ ने ‘‘वल्र्ड टी.बी. डे की थीम’’ ’’रीच द थ्री मिलियन‘‘ रखी है। जिसका मतलब 30 लाख लोगो तक इसका इलाज पहुंचाना है जो इस बीमारी से बच नही पाते गौरतलब है कि प्रतिवर्ष यह बीमारी लगभग 17 लाख लोगों की मौत का कारण बनती है। डाॅ. राबर्ट काॅक ने 24 मार्च सन् 1982 को सबसे पहले टी.बी. के बैक्टीरिया के बारे मे बताया था इसलिये इस दिन को ‘‘वल्र्ड टी.बी. डे’’ के रूप मे मनाया जाता है। इस अवसर पर छात्रों को टी.बी. की बुनियादी आवश्यक जानकारियां, बचाव, सावधानियां एवं इस जहरीले मानव संक्रामक क्षय रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, कि किस प्रकार हम अपने आस-पास के लोगों को इस क्षय रोग के निदान एवं इलाज के लिए प्रेरित करें।
एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में ‘‘23 मार्च को वल्र्ड मेट्रोलाजिकल डे 2014’’ के अवसर पर पर्यावरण विभाग द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस वर्ष डब्ल्यू.एम.ओ (वल्र्ड मेट्रोलाजिकल आर्गेनाइजेशन) द्वारा युवाओं को जलवायु प्रणाली के बारे में जागृत एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इसकी थीम ‘‘वेदर एण्ड क्लाइमेट इंगेज्ड यूथ’’ रखी गई है। गौरतलब है कि वल्र्ड मेट्रोलाजिकल आर्गेनाइजेशन द्वारा वल्र्ड मेट्रोलाजिकल डे 23 मार्च 1950 से मनाया जाना नियत किया गया था जो 23 मार्च 1961 के बाद प्रतिवर्ष इसी दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर वर्तमान समय में वातावरण, मौसम, जलवायु एवं जलचक्र में हो रहे परिवर्तनों के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग, मौसम संबंधी पूर्वानुमान, पृथ्वी के वायुमंडल व्यवहार पर भी विस्तार से गहन चर्चा की गई , कि किस प्रकार हम अपने युवा विद्यार्थियों में मौसम और जलवायु को समझने एवं उनमें पूर्वानुमान करने की क्षमता का विकास करें।
एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में पर्यावरण विभाग द्वारा ‘‘वाटर एंड एनर्जी - 2014’’ थीम पर ‘‘विष्व जल दिवस’’ के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमंे जल के संरक्षण, महत्व एवं उपयोग के कम होने के कारणों जैसे मुद्दों पर विस्तार से गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलन से हुई। यूनाईटेड नेषन्स की सामान्य सभा ने 1992 में एजेन्डा 21 में 22 मार्च को विष्व जल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यह दिवस 1993 से लगातार मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि ‘‘वर्ष 2014 के विष्व जल दिवस की थीम वाटर एंड एनर्जी’’ है क्योंकि जल और ऊर्जा एक दूसरे से अन्तः सम्बन्धित एवं परस्पर निर्भर है। ऊर्जा उत्पादन ,संचरण एवं वितरण के लिए जल संसाधन का उचित उपयोग किया जाना आवष्यक है। ऊर्जा उत्पादन का लगभग 80 प्रतिषत भाग विभिन्न उपभोक्ताओं द्वारा पार्पिग, ट्रीडिंग एवं ट्रांसपोटेषन के लिए उपयोग किया जाता है। अतः हम सभी को जल की उपयोगिता एवं मूल्य को समझते हुए जल संरक्षण की विभिन्न विधियों का उपयोग कर जल संरक्षण करना चाहिए। इस अवसर पर विष्वविद्यालय के बायोटेक विभाग के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहें।