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b2ap3_thumbnail_unnamed-8_20150619-060625_1.jpgकेन्द्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भारत सरकार के मंत्री प्रकाश जावडेकर से एकेएस अधिकारियों की सांसद आदर्श ग्राम पालदेव चित्रकूट में मुलाकात कई मायनों में अहम रही।
राष्ट्रीय सेमिनार में आऐंगें जावडेकर
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विश्वविद्यालय कीे इस सहयोगात्मक पहल की सराहना की इसके अतिरिक्त प्रकाश जावडेकर नेे विश्वविद्यालय द्वारा अगस्त माह में “जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता् पर प्रभाव” विषय पर प्रस्तावित राष्ट्रीय सेमिनार के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण स्वीकार किया है। केंद्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालय की विगत् वर्षों की उपलब्धियों व संचालित पाठ्यक्रमों की प्रगति के प्रति प्रसन्नता व्यक्त की।
इन्होने की मुलाकात
इस मुलाकात के दौरान एकेएस विवि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ हर्षवर्धन, एग्रीकल्चर डीन डाॅ. आर.एस.पाठक, प्रो. आर.एन.त्रिपाठी, डाॅ महेन्द्र तिवारी नें कृषि एवं फसल के समग्र उत्पादन एवं विकास में अपना सहयोग देने के लिए लिखे पत्र की स्वीकृति के पश्चात मुलाकात की।चर्चा में चयनित ग्राम के समुचित विकास के लिए कृषि कार्यक्रमों के क्रियान्यवयन के लिए कार्ययोजना तैयार कर विश्वविद्यालय द्वारा पहल की जाएगी।
जाएगा छात्रों का दल-प्राप्त करेगा प्रषिक्षण
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के निर्णय के अनुसार कृषि संकाय के छात्रों का दल चयनित आदर्श ग्राम पाल देव की विभिन्न कृषि योजनाओं में सक्रिय योगदान देगा एवं कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के समन्वयक नेगी के निर्देशन में प्रशिक्षण भी प्राप्त करेगा।
इन कार्यक्रमों में मृदा परीक्षण के अतिरिक्त सभी फसलों के उत्पादन के निर्धारण पर भी कार्य किया जाएगा। यह कार्य विश्वविद्यालय के कृषि संकायाध्यक्ष डाॅ. आर. एस. पाठक के निर्देशन मे होगा।

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b2ap3_thumbnail_unnamed-5_20150615-050304_1.jpgयू.जी.सी का स्वायत्तशासी इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर है इन्फ्लिबनेट

इक्कीसवीं सदी की शिक्षा जरूरतों के मद्देनजर एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना ने इन्फ्लिबनेट सेंटर, गाँधीनगर, के साथ एम. ओ. यू पर हस्ताक्षर किए है। वृहद शोध गंगा एवं शोध गंगोत्री प्रोजेक्ट रिपाॅजिटरी सेंटर है। गौरतलब है कि इन्फ्लिबनेट यू.जी.सी का सेंटर है। शोध, थीसिस, डिजर्टेशन रिपाॅजिटरी के क्षेत्र में एम.ओ.यू. काफी अहम है इसमें जिम्मेदारियां, उत्तरदायित्व, वचनबद्धता शामिल होगी। इन्फ्लिबनेट सेंटर के पास कम्प्यूटर नेटवर्क, साॅफ्टवेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर और इलेक्ट्रानिक वर्जन की थीसिस और डिजर्टेशन के लिए रिपाॅजिटरी है। एकेएस यूनिवर्सिटी, एम. ओ. यू. के बाद पुरानी रिसर्च थीसिस और डिजर्टेशन का भी डिजिटाइजेशन करंेगी। एकेएस विश्वविद्यालय के एम.फिल और पी.एच.डी के एनरोल्ड विद्यार्थी भी इन्फ्लिबनेट की रिपाॅजिटरी में अपने शोध अपलोड कर सकेंगे। इन्फ्लिबनेट यू.जी.सी. को शोध हेतु फाइनेन्सियल असिस्टेन्स के लिए भी सिफारिशें करती हैं। इसके अलावा इन्फ्लिबनेट एकेएस यूनिवर्सिटी द्वारा नामांकित कर्मचारी को लाइब्रेरी फील्ड में टेªनिंग प्रोवाइड करेगी। मेमोरेन्डम आॅफ अन्डरस्टैण्ंिडग पर एकेएसयू की तरफ से हस्ताक्षर अंनत कुमार सोनी चेयरमैन, एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना एवं डाॅ. जगदीश अरोऱा डायरेक्टर, इन्फ्लिबनेट संेटर गाँधीनगर, गुजरात ने 1 जून 2015 को परस्पर मुददों पर सहमति के पश्चात किए । शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में यह एम. ओ. यू. मील का पत्थर साबित होगा । विश्वविद्यालय के चेयरमैन, अंनत कुमार सोनी एवं प्रतिकुलपति हर्षवर्धन ने शोधार्थियों से इसका अधिक से अधिक लाभ लेने कि अपील की है।

मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

 

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b2ap3_thumbnail_unnamed_20150611-091015_1.jpgइनोवेशन-चैलेंजिग फार इन्टरप्रिन्योरशिप पर व्याख्यान

एकेएसयू के मैनेजमेंट फैकैल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. प्रदीप ने इन्टरनेशनल कांन्फ्रेस आॅन रिसेन्ट इनोवेशन इन साइंस विषय पर वाईएमसीए नई दिल्ली में 30 मई 2015 को आयोजित इंजीनियरिंग एण्ड मैनेजमेंट के एक दिवसीय कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए। उनका ये पेपर काफी सराहा गया। डाॅ. प्रदीप चैरसिया नेे कांन्फ्रेस में लीडर और फालोवर मे अंतर बताते हुए बताया कि कुछ बिन्दु है जो इन्टरप्रिन्योरशिप को सफल बनाते है। नवाचार के साथ रिस्क फैक्टर विकास के रास्ते प्रसस्त करता है। इसी के साथ एनजीओज मे इन्टरप्रिन्योशिप मे फेस की गई प्राब्लम्स भी साझा की गई है। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अगर कुछ नया करना है तो पुराने तरीके छोड़कर नये तरीके इजाद करने होगें ।
मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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b2ap3_thumbnail_unnamed-1_20150612-063251_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-2_20150612-063253_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-3_20150612-063255_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-4_20150612-063256_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-5_20150612-063258_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-6_20150612-063259_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed-7_20150612-063300_1.jpgb2ap3_thumbnail_unnamed_20150612-063302_1.jpg

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b2ap3_thumbnail_unnamed-2_20150611-053703_1.jpgएकेएस विश्वविद्यालय के बाॅयोटेक विभाग के प्रोफेसर डाॅ0 मुकेश अवस्थी का दो वर्ष के लिये हांगकांग की नार्थ ईस्ट यांगलिंग एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, चाइना के डिपार्टमेंट आॅफ बाॅयोटेक्नालाॅजी में प्रोफेसर चैंग के रिसर्च लैब में, पोस्ट डाॅक्टरल फैलो के रूप में चयन हुआ है। वहां पर डाॅ0 मुकेश इंनवार्यनमेंटल बाॅयोटेक्नालाॅजी में नवीनतम तकनीकी का उपयोग करके “वेस्ट मैनेजमेंट का एग्रीकल्चर “ में उपयोग पर विशेष रिसर्च के साथ माडर्न आधुनिक रिसर्च प्रोजेक्ट में योगदान देगें। डाॅ0 अवस्थी यूरोपियन देशों स्वीडन, स्पेन, जर्मनी, ग्रीस एवं फ्रांस में दो महीने तक रिसर्च वर्क करेंगें एवं डेव्हलप्ड् टेक्नालाॅजी द्वारा विदेशी रिसर्चरर्स को “वेेस्ट यूटिलाइजेशन“ इन एग्रीकल्चर विषय पर व्याख्यान भी देगें।
इसके पूर्व डाॅ0 मुकेश हांगकांग की वापिस्ट यूनिवर्सिटी में दो वर्षीय पोस्ट डाॅक्टरल रिसर्चर के तौर पर कार्य कर चुके है। बायोटेक संकाय के साथ एकेएसयू के सभी संकायों माइनिंग, सीमेंट, फार्मेसी, मैनेजमेंट के फैकल्टी भी अंतरराष्ट्रीय ज्ञान से विद्यार्थियों को रूबरू कराते है। जिससे वि. वि. के विद्र्यािथर््ायों को बेहतर कॅरियर अवसर प्राप्त होते है। डाॅ. मुकेश की इस उपलब्धि पर वि. वि. प्रबंधन के साथ बायोटेक डीन डाॅ. आर. पी. एस. धाकरे , विभागाध्यक्ष डाॅ. कमलेश चैरे,, रवीश द्विवेदी, रेनी निगम, डाॅ. दीपक मिश्रा, कीर्ती समदरिया, नाहिद उस्मानी ,संध्या पांडे, प्रीती गर्ग, के साथ ईस्ट मित्रों ने बधाईयां एवं शुभकामनायें दी है।

मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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b2ap3_thumbnail_unnamed-11_20150609-093749_1.jpgसतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने इण्डिया इन्टरनेशनल सेन्टर नई दिल्ली में ”सेन्टर फार फ्लाई ऐश रिसर्च एण्ड मैनेजमेंट” (सी.फार्म) नई दिल्ली द्वारा आयोजित सेमिनार में माइनिंग डीन प्रो. (डाॅ.) जी.के. प्रधान के नेतृत्व में चल रहे विभिन्न रिसर्च कार्यों जैसे वटीवर ग्रास का विभिन्न माइनिंग क्षेत्रों एवं ढलान वाले क्षेत्रों में रोपण एवं उसमें विभिन्न मात्रा में फ्लाई ऐश का उपयोग मृदा में पोषक तत्वों के रूप में और मृदा गुणवत्ता सुधार, अपरदन एवं क्षरण को कम कर स्थायित्व प्रदान करने, एवं वि.वि. में संचालित डिप्लोमा एवं बी.टेक माइनिंग, सीमेन्ट, सिविल, पर्यावरण विभाग, एग्रीकल्चर साइन्स एवं टेक्नाॅलाॅजी विभाग के छात्रों को फ्लाई ऐश का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग जैसे सीमेन्ट मैन्युफैक्चरिंग, माइन फिलिंग एवं रीम्लेमेशन ब्रिक्स निर्माण एवं खेतों मंे विभिन्न मात्रा मंे फ्लाई ऐश के उपयोग पर रिसर्च एवं डेवलपमेन्ट पर अपना प्रेजेन्टेशन दिया।
विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून के अवसर पर डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी ने क्लाइमेट चेन्ज रिसर्च इन्स्टीट्यूट (सीसीआरई) नई दिल्ली द्वारा आयोजित ईसीसी लेक्चर सीरिज एवं सेमिनार आन कार्बन डाई आक्साइड सबस्ट्रेक्शन एवं क्लाईमेट चेन्ज मंे शिरकत की एवं अपना प्रेजेन्टेशन दिया, इस सेमिनार में प्रो. जी.डी. शर्मा पूर्व सचिव यूजीसी, प्रो. जावेद अहमद डीन जामिया हमदर्द वि.वि., प्रो. देसाई जेएनयू, डाॅ. मालती गोयल लार्नर एडवाइजर एवं इमरिटस साइन्टिस्ट एमएसटी देलही प्रो. वी.एस. वर्मा, प्रो. एस अहमद उपस्थित रहे।

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