किसी भी एजुकेशन प्रोग्राम के तीन मकसद होते हैं, कॉन्सेप्ट की समझ, स्किल डेवलपमेंट और इंफॉर्मेशन, दरअसल,1965 में, अमेरिका के संयुक्त राज्य में आब्रजन कानून में बदलाव के कारण, कई भारतीय आईटी को अनुसंधान और विकास के कार्यो के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका ने चुना था, भारत, अमेरिका तथा अन्य विकासशील देशों में आईटी सेवायें प्रदान करने लगा। भारत में आईटी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न आईटी उदयोग स्थापित की गई, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण आईटी कंपनी है-टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, 1968.विप्रो इन्फोटेक, 1966.पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम, 1972.हिन्दुस्तान कम्प्यूटर लिमिटेड, 1988.इंफोसिस,1981.भारत मेें आईटी सेवायें एवं साफ्टवेयर की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये नेशनल एसोसियेशन आॅफ साॅफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनी की स्थापना सन् 1988 में की गई। यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जिसमें 250 देशों के 1500 सदस्य है।सन् 1991 के बाद भारत सरकार को अनुसंधान और विकास तथा अन्य आईटी सेवाओं को लिए लाखों आईटी पेशावर की आवश्यकता हैं, जो भारत में बडी संख्या में है। भारत में आईटी को 60 वर्ष हो गए है। और 2014 तक आईटी सेवाओं का निर्यात लगभग 90 विलियन डाॅलर तक हो जाएगा। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत है जो 30 लाख आईटी साफ्टवेयर इंजीनियर को रोजगार प्रदान करता है। सरकारी संगठन में काम कर रहे है जैसे - एमआईएस समन्वयक, डाटा एंट्री आॅपरेटर, कम्प्यूटर आॅपरेटर, कम्प्यूटर इंजीनियर, नेटवर्किंग इंजीनियर, डाटाबेस प्रशासक,प्रोग्रामर, आई प्रशासक,यहां तक की विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षकों की अतिआवश्यकता है।अनेक आईटी प्रशिक्षण केन्द्र नई पीढ़ी आईटी पेशावर को विभिन्न टेनिंग के माध्यम से प्रशिक्षित कर रहे है जैसे प्रोग्रामिंग, इंजीनियरिंग, साफ्टवेयर टेस्टिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, डाटाबेस मैनेजमेंट, नेटवर्किंग इत्यादि।सन् 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव किये गये जिससे आई टी उद्योग को बढ़ावा मिला। आईटी उदयोग के अनुसार 2017 तक भारत में 40 लाख साॅफ्टवेयर इंजीनियर की आवश्यकता हैं।चर्चा में सी.एस के सभी फैकल्टीज उपस्थित रहे।

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सतना। एकेएस विष्वविद्यालय, सतना के बाॅयोटेक्नालाॅजी, माइक्रोबाॅयोलाॅजी विभाग एवं ‘‘सेंटर फाॅर रिसर्च स्किल्स डेवलेपमेंट’’ के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय ‘‘राष्ट्रीय सिम्पोजियम एवं हैन्डस आॅन टेनिंग’’ का आयोजन 11 और 12 अगस्त को यूनिवर्सिटी प्रांगण में किया जाएगा। जिसकी थीम ‘‘वर्तमान में बाॅयोटेक्नालाॅजी रिसर्च’’ रखी गई है। इसमें विंध्य क्षेत्र के सतना, रीवा के साथ-साथ देष के सभी बाॅयोटेक्नालाॅजी एवं माइक्रोबाॅयोलाॅजी विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं प्राध्यापकों को आमंत्रित किया गया है। आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में (मध्यप्रदेष प्राइवेट रेग्यूलेटरी कमीषन, भोपाल मध्यप्रदेष षासन के चेयरमैन) प्रो. डाॅ. अखिलेष पाण्डेय एवं (डिपार्टमेंट आॅफ बाॅयोटेक्नालाॅजी, भारत सरकार, नई दिल्ली के एडवाइजर) डाॅ. राजेश कपूर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत कर बाॅयोटेक क्षेत्र में हो रही उन्नति रिसर्च एवं डेवलेपमेंट में उपस्थित अवसरों की महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत करेंगे। अन्य आमंत्रित वक्ताओं में देष के प्रतिष्ठित संस्थाओं आई.आई.टी. नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स एवं वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है। जो बाॅयोटेक क्षेत्र में हो रही नवीनतम रिसर्च पर अपना मार्गदर्शन देगें। इस अवसर पर प्रतिभागियों के लिए दो दिवसीय हैन्डस आॅन टेनिंग का आयोजन किया जाएगा। जो कि जिनोमिक्स, फरमेटेषन, प्लांट टिष्यू कल्चर पर होगी। यह टेनिंग बाॅयोटेक विभाग की आधुनिक प्रयोगषाला में कराई जाएगी।
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में फार्मेसी विभाग द्वारा वल्र्ड हेपेटाइटिस डे के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया नेषनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2012 में वायरल हेपेटाइटिस के लगभग 1लाख 19 हजार केस सामने आए थे और 2013 तक यह संख्या 2 लाख 90 हजार तक पहुंच गई थी। हेपेटाइटिस ‘ए’ और ‘ई’ प्रदूषित पानी और गंदगी की वजह से होता है। भारत में हेपेटाइटिस ‘ए’ का अनुपात वयस्कों में थोड़ा कम है, ये बच्चों को थोड़ा ज्यादा होता है। वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस ‘ई’ का विस्तार वयस्कों में 25 प्रतिशत तक ही है जबकि भारत में वयस्कों में इसके वायरस 40 प्रतिषत तक फैल चुके हैं। भारत मे हेपेटाइटिस ‘ई’ के मरीज सबसे ज्यादा हैं और गर्भवती महिलाएं इससे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। इसके अलावा संक्रमित रक्त और असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से हेपेटाइटिस ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ होता है। इस अवसर पर समस्त विभागों के फैकल्टीज और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

सतना.एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष इंजी. पंकज श्रीवास्तव की मोतीलाल नेहरू नेषनल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी इलाहाबाद से ‘‘ए स्टडी आॅन इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज अब्रेषिव ग्रांइडिंग यूजिंग इंजीनियर्स एक्सपेरीमेंटल सेट अप’’ विषय पर पीएचडी अवार्डेड हुई है। इस उपलब्धि पर एकेएस विष्वविद्यालय परिवार ने बंधाई दी है।
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में भारत की नामचीन कम्पनी (एडेको मैन पावर प्लेसमेंट कम्पनी) ने कैम्पस ड्राइव का आयोजन किया जिसमें लगभग 150 विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई। कम्पनी के अधिकारियों ने विद्यार्थियों के इनोवेशन, मोटीवेशन स्किल्स, इंटरपर्सनल स्किल्स, लर्निंग स्किल्स, क्रिएटिव थिंकिंग एवं प्राबलम साल्विंग स्किल के नाॅलेज को परखा एवं तहेदिल से सराहना की।
3 चरणों से हुआ सलेक्शन
कम्पनी के एचआर मैनेजर ने विद्यार्थियों का 3 चरणों से सलेक्शन किया जिसमें विद्यार्थियों का एपटीट्यूड एवं ग्रुप डिस्कशन के साथ पर्सनल इंटरव्यू लिया गया। कैम्पस ड्राइव में एकेएसयू एवं आरजीआई के एमबीए, बीबीए, बी.काॅम, बीसीए, बी.एससी. आईटी, डिप्लोमा मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल के लगभग 150 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
कैम्पस ड्राइव सम्पन्न होने पर कम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि जिन विद्यार्थियों का चयन किया गया है उन्हें आयशर मोटर्स पीथमपुर, गोदरेज लिमि. मुम्बई, कोकाकोला नई दिल्ली, शार्ट फारमेट इन्दौर, बक्स गेनर इन्दौर, आर्टेच, मृदुला गारमेन्ट्स (आदित्य बिरला ग्रुप) शेयर ब्रोकिंग कम्पनी की विभिन्न शाखाओं मे विभिन्न पदों पर रिक्रूट किया जायेगा। चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने चयनित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए चयन के लिये शुभमाकनाएं दी हैं। चयनित विद्यार्थी एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के एमबीए एवं राजीव गांधी काॅलेज की विभिन्न संकायों के विद्यार्थी हैं।