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कार्यक्रम में महिला बालविकास पर्यवेक्षक साधना श्रीवास्तव, रंजना मिश्रा एवं वन्दना मिश्रा ने छात्राओं को स्तनपान से सम्बन्धित जानकारी देते हुए बताया कि माँ के दूध में ऐसा तत्व होता है जो बच्चे की आँत में लौह तत्व को बाँध लेता है और लौह तत्व के अभाव में आँत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध में तत्व होते है। जो उन रोगाणु विषेष के खिलाफ प्रतिरोधात्मक तत्व बनाते है। जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से माँ का दूध नहीं मिलता उन्हें बचपन में  होने वाले डायबिटिज की बीमारी अधिक होती है। उनमें अपेक्षाकृत बुद्धि विकास कम होता है इसलिए 6-8 महीने तक बच्चे के लिए माँ का दूध श्रेष्ठ ही नहीं जीवन रक्षक भी होता है। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत का वह पहला टीका है जो बच्चे की सुरक्षा करता है। इस अवसर पर छात्राओं के लिए क्विज कन्टेस्ट आयोजित किया गया जिसमें इनसे स्वास्थ्य एवं कल्याण से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान के सामान्य ज्ञान के सवाल किये गये। और विजेता टीम को पुरस्कार स्वरूप समृति चिन्ह प्रदान किये गये। इस अवसर पर समस्त विभागों के फैकल्टी एवं छात्राऐं उपस्थित रही। b2ap3_thumbnail_unnamed-2.jpg

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के सभागार में “बायोटेक्नालाॅजी एवं माइक्रो बायाटकनोेलाॅजी”विभाग द्वारा विद्यार्थियों के लिए प्रवेषोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थियों को बाॅयोटेक्नालाॅजी क्षेत्र के महत्व एवं कॅरियर से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठजनों माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर दीप प्रज्जवलन किया गया। तत्पाष्चात् अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डाॅयरेक्टर अमित कुमार सोनी ने यूनिवर्सिटी आकदमिक ष्षैक्षणिक व्यवस्था पर चर्चा करते हुए छात्रों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को जैव प्रौद्योगिकी के बारे मे बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा नया और उदयीमान अध्ययन क्षेत्र है जिसमें भविष्य में विकास की असीम संभावनाएं हैं। कार्यक्रम में डाॅयरेक्टर अमित कुमार सोनी, बाॅयोटेक डीन डाॅ. आर.पी.एस. धाकरे, डीन बेसिक सांइस प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, इंजी. आर.के. श्रीवास्तव, डाॅ. शेखर मिश्रा, डाॅ. कमलेश चैरे मंचासीन रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. कमलेश चैरे ने बायोटेक्नालाॅजी कोर्स में जाॅब की संभावनाओं पर बाॅयोटेक्नालाॅजी विभाग का मिशन और विजन बताते हुए संक्षिप्त विवरण दिय

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के बीकाॅम आनर्स सीएसपी के विद्यार्थियों की दूसरे चरण की आॅडिट टेªनिंग सतना स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखाओं में प्रारंभ हुई। एसि. प्रो.विपुल शर्मा ने बताया की पहले चरण में विद्यार्थियों ने नागपुर के यवतमाल को-आपरेटिव बैंक की 82 शाखाओं में आॅडिट टेªनिंग का विस्तृत तकनीकी ज्ञान अर्जित किया था। इसी तरह अब दूसरे चरण में सतना स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखाओं में बीकाॅम सीएसपी के विद्यार्थियों का चयन आॅडिट टेनिंग के किया गया है। जिसमें विद्यार्थियों को तीन महीने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस दौरान विद्यार्थियों को बैंक खातो की जांच एवं बैंक से संबंधित दस्तावेजो का अध्ययन करवाया जायेगा। इसका कार्यभार चार्टेड एकाउन्टेड अतुल साडा के मार्गदर्शन मेें होगा। जिससे विद्यार्थी बैंक की कार्यप्रणाली को आसानी से समझ सकेगें।

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना में संचालित शिक्षा विभाग द्वारा तुलसीदास जंयती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित विभिन्न ग्रंथों में कही गई समायोपयोगी एवं मर्यादित बातों को आज के जनमानस में प्रासांगिकता हेतु चर्चा की गई। इस संदर्भ में विभागाध्यक्ष डाॅ. आरएस मिश्रा एवं फैकल्टी बीडी पटैल, शिखा त्रिपाठी, नीतासिंह, ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर सभी विभागों के फकल्टीज एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित रहंे। 

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सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के कृषि एवं प्रोद्योगिकी विभाग के फैकल्टी अभिषेक सिंह एवं आशुतोष कुमार मौर्य ने भोपाल में  ”राष्ट्रीय हिन्दी विज्ञान सम्मेलन “ में एम.पी.सी.एस.टी मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सम्मेलन में “मधुमक्खी पालन, भारतीय ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का मिठास भरा रास्ता” विषय पर अपना पेपर प्रजेंट किया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि (विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री मध्यप्रदेश शासन) भूपेन्द्रसिंह ठाकुर एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.के.बी पाण्डेय(पूर्व कुलपति महात्मागांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय)ने की। इस अवसर पर  (एम.पी.सी.एस.टी के डायरेक्टर जनरल) प्रो.पी.के.वर्मा एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो.अखिलेश पाण्डेय की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सम्मेलन में देश की ख्यात्नाम यूनिवर्सिटी से आये विषय विशेषज्ञों ने हिन्दी भाषा को विज्ञान से जोडकर कैसे आगे बढाया जाये इस बात पर जोर दिया। यहां मध्यप्रदेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी से आये लगभग 145 वैज्ञानिक रिसर्चस ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। 

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