31-07-14 एकेएस के आई.टी.विभाग में आई.टी. पर परिचर्चा
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किसी भी एजुकेशन प्रोग्राम के तीन मकसद होते हैं, कॉन्सेप्ट की समझ, स्किल डेवलपमेंट और इंफॉर्मेशन, दरअसल,1965 में, अमेरिका के संयुक्त राज्य में आब्रजन कानून में बदलाव के कारण, कई भारतीय आईटी को अनुसंधान और विकास के कार्यो के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका ने चुना था, भारत, अमेरिका तथा अन्य विकासशील देशों में आईटी सेवायें प्रदान करने लगा। भारत में आईटी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न आईटी उदयोग स्थापित की गई, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण आईटी कंपनी है-टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, 1968.विप्रो इन्फोटेक, 1966.पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम, 1972.हिन्दुस्तान कम्प्यूटर लिमिटेड, 1988.इंफोसिस,1981.भारत मेें आईटी सेवायें एवं साफ्टवेयर की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये नेशनल एसोसियेशन आॅफ साॅफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनी की स्थापना सन् 1988 में की गई। यह एक गैर लाभकारी संगठन है, जिसमें 250 देशों के 1500 सदस्य है।सन् 1991 के बाद भारत सरकार को अनुसंधान और विकास तथा अन्य आईटी सेवाओं को लिए लाखों आईटी पेशावर की आवश्यकता हैं, जो भारत में बडी संख्या में है। भारत में आईटी को 60 वर्ष हो गए है। और 2014 तक आईटी सेवाओं का निर्यात लगभग 90 विलियन डाॅलर तक हो जाएगा। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत है जो 30 लाख आईटी साफ्टवेयर इंजीनियर को रोजगार प्रदान करता है। सरकारी संगठन में काम कर रहे है जैसे - एमआईएस समन्वयक, डाटा एंट्री आॅपरेटर, कम्प्यूटर आॅपरेटर, कम्प्यूटर इंजीनियर, नेटवर्किंग इंजीनियर, डाटाबेस प्रशासक,प्रोग्रामर, आई प्रशासक,यहां तक की विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षकों की अतिआवश्यकता है।अनेक आईटी प्रशिक्षण केन्द्र नई पीढ़ी आईटी पेशावर को विभिन्न टेनिंग के माध्यम से प्रशिक्षित कर रहे है जैसे प्रोग्रामिंग, इंजीनियरिंग, साफ्टवेयर टेस्टिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, डाटाबेस मैनेजमेंट, नेटवर्किंग इत्यादि।सन् 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव किये गये जिससे आई टी उद्योग को बढ़ावा मिला। आईटी उदयोग के अनुसार 2017 तक भारत में 40 लाख साॅफ्टवेयर इंजीनियर की आवश्यकता हैं।चर्चा में सी.एस के सभी फैकल्टीज उपस्थित रहे।