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एकऐस विश्वविद्यालय में इन दिनों 6 फिट के शिशिर व शिवानी का जलवा कायम है। यकीन मानिए ये अति आकर्षक है। ये शिशिर व शिवानी एक किस्म की लौकी की प्रजाति है जिससे वि.वि. के पाॅली हाउस में उगाया गया है। शेरगंज स्थित पाॅली हाउस में नरेन्द्र शिवानी एवं नरेन्द्र शिशिर नामक लौकी की उन्नत प्रजातियाँ हैं। तकरीबन 6 फिट की यह लौकी जहाँ आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। वहीं इसके गुण आने वाले दिनों में जिले में सब्जी किसानों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। मंगलवार को वि.वि. में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उक्त प्रजाति की लौकी के गुण, उपजाने की विधि व इसके फायदे गिनाए गए।
बताया गया कि डाॅ. शिवपूजन सिंह व प्रियंका मिश्रा द्वारा लौकी की बुआई अगस्त के अंतिम दिनों में की गई और अब नरेन्द्र शिवानी के फलों की लम्बाई 6 फिट पार कर चुकी है।
डाॅ. शिवपूजन ने बताया कि लौकी की यह प्रजाति उपर्युक्त रखरखाव के बाद अक्टूबर से फरवरी तक लगभग 5 माह फलती ही रहती है। एकेएस विश्वविद्यालय में यह लौकी किसानों के खेत पर प्रदान करने के लिए एवं शुद्ध बीज के लिए उगाई जा रही है। इन प्रजातियों की पैदावार मचान विधि से मध्य जुलाई में बुआई करके 700 से 1300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर किया गया है। एक पौधे से पौधे के बीच पर्याप्त दूरी एवं उचित देखभाल से 50 से 200 खाने योग्य फल प्रति पौधों प्राप्त किया जा सकता है। लौकी एक अनूठी सब्जी है जो सब्जी के अतिरिक्त अन्य कई रूपों जैसे औषधि, वाद्ययन्त्र, सजावट आदि के रूप में प्रयुक्त होती है। लौकी के कोमल फल मध्य प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत के मैदानी भागों में बाजार मे वर्ष भर उपलबध रहते हैं। लौकी की प्रजातियाँ दो प्रकार की होती हैं - शीत कालीन एवं ग्रीष्म कालीन प्रजातियाँ। इन दोनों प्रजातियों के बीज वि.वि. में किसानों के लिए अगले वर्ष खेती के लिए अप्रैल-मई 2017 में उपलब्ध हो सकेगी।
लौकी में रम कर जाना: डाॅ. शिवपूजन
वि.वि. के एग्रीकल्चर संकाय के प्रोफेसर डाॅ. शिवपूजन सिंह को देश के लौकी पुरुष बताया जाता है। इन्होंने लौकी की कई किस्म की प्रजातियों पर प्रयोग करते हुए अनोखी फसल तैयार करने का दावा किया है। वि.वि. के पाॅली हाउस में उगाई गई 6 फिट की लौकी के बारे में ये कहते हैं कि यह सिर्फ सब्जी बनाने के लिए नहीं वरन् एक दवा भी है व सूखने पर कई प्रकार की चीजें भी तैयार की जा सकती हैं। डाॅ. सिंह ने बताया कि मैंने लौकी पर शोध नहीं किया वरन् इसके साथ नाचा हूँ यानि इन्हीं में रमा रहा। अपने प्रयोग को लेकर ये दावा करते हैं कि आने वाले दिनों में यह किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होने वाली है।
खोलेंग गौ अमृत चिकित्सा केन्द्र: अनंतसोनी चेयरमैन एकेएसयू
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने बताया कि वि.वि. में एक गौ अमृत चिकित्सा केन्द्र खोला जाएगा जहाँ थायराइड, गठिया, माइग्रेन आदि रोगों से ग्रसित लोगों को कम खर्चे में इलाज की सुविधा विशेषज्ञों द्वारा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि वि.वि. में एक्यूपंक्चर सेंटर बनाया जाएगा। यहाँ पढ़ाई के साथ ही हर विभाग के छात्रों के लिए शोध कार्य चल रहे हैं और पाॅली हाउस इसकी एक कड़ी है। प्रेस कांफ्रेंस में वि. वि. के वरिष्ठजन उपस्थित रहे।


मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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एकऐस विश्वविद्यालय सतना के सभागार में नगर पालिक निगम की महापौर ममता पाण्डेय ने छात्रों एवं विश्वविद्यालयीन स्टाफ को भारत सरकार द्वारा जारी स्वच्छता अभियान श्एप्पश् की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए अपेक्षा व्यक्त की कि इस नवीन स्वच्छता अभियान एप्प का उपयोग करते हुए अपने बहुमूल्य सुझाव अवश्य देंए साथ ही यदि कहीं सतना शहर में आसपास आपको गंदगी अथवा अव्यवस्था दिखे तो उसकी फोटो लेकर इस एप पर भेजा जा सकता है।महापौर ने आगे बताया कि विगत 2 वर्षों में सतना शहर में जलावर्धन योजनाए अमृत योजना एवं गरीबों की आवास योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने में हम कामयाब हुए हैं। इसके अतिरिक्त हमारी आगामी योजना पूरे शहर में सीवर लाइन बिछाने की हैए उसे भी आगे आने वाले वर्षों में क्रियान्वित कर लिया जावेगा।कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वच्छता अभियान से जुड़े वरुण शर्मा ने समस्त जनों को एप्प के बारे में विस्तार से जानकारी दी और सम्पूर्ण प्रक्रिया से छात्रों को अवगत कराया और यह अपेक्षा की कि अधिक से अधिक छात्र इस एप्प का उपयोग कर अपने सुझाव अवश्य भेजें ताकि सतना को स्मार्ट सिटी बनाने में वांछित सफलता प्राप्त की जा सके।इस अवसर पर विण्विण् के कुलपति डाॅण् पीण्केण् बनिकए ने भी छात्रों से एप का अधिकाधिक उपयोग करने की सलाह दी। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन प्रतिकुलपति डाॅण् हर्षवर्धन ने किया एवं कार्यक्रम का सफल संचालन डीन प्रोण् आरण्एनण् त्रिपाठी जी द्वारा किया गया।

मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालयए सतना

 

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सतना। एकेएस वि.वि. सतना के कृषि संकाय की फैकल्टी रमा शर्मा की पीएचडी ‘‘स्टडीज आॅन द डायवर्सिटी आॅफ फिश फाना इन रिलेशन टू फिजिको केमिकल पैरामीटर्स आॅफ अप स्ट्रीम आफ टोन्स रिवर’’ विषय पर डाॅ. शिवेश प्रताप सिंह (विभागाध्यक्ष, प्राणी शास्त्र, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सतना) के निर्देशन में पूरी हुई है। डाॅ. रमा शर्मा ने अपने इस शोध कार्य का विश्लेषण करते हुए बताया कि टमस नदी का पानी पूर्णतः पीने योग्य और सुरक्षित है। इस नदी में उन्होंने 39 किस्म की मछलियाँ खोजी हैं जिससे बेरोजगार युवक मत्स्य उत्पादन को अपने व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं। एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, प्रो.आर.एन.त्रिपाठी,डाॅ. आर.एस.पाठक,डाॅ. नीरज वर्मा एवं समस्त एग्रीकल्चर संकाय की फैकल्टीज ने बधाइयाँ दी हैं।


मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

 

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सतना। एकेएस वि.वि. सतना के पाॅच वर्ष पूर्ण होने की खुशी में 31 दिसम्बर 2016 को वि.वि. के सभागार में एक भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रफुल्लित एवं गौरव का एहसास लिए हुए पाॅच वर्ष का अतीत लिए वि.वि. हमेशा नए विचारों एवं उर्जा के साथ आगे बढा है। इस मौके पर प्रो. पारितोष के. बनिक ने एकेएस विश्वविद्यालय को अगले पाँच वर्षों में रिसर्च एरिया में आगे बढ़ाने की बात कही। चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने वि.वि. की स्थापना के सिद्वान्तों, मूल उद्येश्यों, भविष्य के उच्चकोटि के शैक्षणिक मापदण्डों पर पे्ररक एवं सारगर्भित बातें की। प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने भी संबोधित किया। वरुण चमड़िया (प्रेरक वक्ता) ने एक अच्छे शिक्षक बनने के गुणों के संबंध में चर्चा की। डाॅ. प्रदीप चैरसिया, चाहना देसाई एवं प्रमोद शर्मा ने सांस्कृतिक प्रस्तुति से मोके को खास बनाया। पाँचवें स्थापना दिवस के मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वि.वि. के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, विशिष्ट अतिथि प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने की। इस गौरवमयी एवं पुनीत मौके पर वि.वि. के डीन, डायरेक्टर्स, विभागाध्यक्ष, फैकल्टीज एवं समस्त सदस्य एकेडमिक एवं एडमिनिस्ट्रेटिव सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में वि.वि. परिवार की तरफ से सभी नागरिकों एवं वि.वि. के छात्र-छात्राओं और उनके परिजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं देते हुए बधाई दी गई।


मीडिया विभाग
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

 

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क्लाउड कम्प्युटिंग आई.टी. सेक्टर का अहम क्षेत्र है। क्लाउड कम्प्युटिंग इण्टरनेट आधारित प्रक्रिया है। जिसमें कम्प्यूटर एप्लीकेशन का इस्तेमाल लिया जाता है। जैसे गूगल ड्राइव एवं ड्राप बाॅक्स जो व्यवसायिक क्षेत्र में आॅनलाइन उपलब्ध कराया जाता है। वेब ब्राउजर का इस्तेमाल कर इस तक पहुंचा जा सकता है। क्लाउड कम्प्यूटिंग तकनीक समय की बचत, डाटा भण्डारण में सुगमता, एप्लीकेशन प्रबंधन खर्च आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्लाउड कम्प्युटिंग का माॅडल काफी सुविधाजनक है जिसे हम कुछ घंटो के लिए भी किराए से ले सकते है। कार्यशाला के बाद छात्रों में उत्साह रहा और उन्होने इसे काफी लाभप्रद बताया। कार्यशाला मे सीएस विभाग के छात्र तुषाराद्रि सिंह चंदेल, सुभाषीश दास, (बी.टेक कम्प्यूटर सांइस) तथा फैकल्टी सुभद्रा शाॅ ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में क्लाउड कम्प्यूटिंग विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यशाला मंे सहभागिता दर्ज की। गौरतलब है कि कार्यशाला में विश्व के जाने-माने वक्ता प्रो. राजकुमार बुइया (मेलबर्न युनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया, प्रो. देबाशीष शाहा (आई.आई.एम. कलकत्ता) प्रो. सतीश नारायण श्री रामा (टार्टू विश्वविद्यालय, एस्टोनिया), कार्तिक भारद्वाज (मेघ सेवा प्रा.लि., सिडनी), करन मित्रा (लूलिया विश्वविद्यालय, स्वीडन) ने विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया।

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