एकेएस वि.वि. सतना में फार्मास्यूटिकल साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी विभाग द्वारा दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन 3 एवं 4 फरवरी 2017 को किया जाना है, इस बारे में जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष डाॅ. सूर्यप्रकाश गुप्ता ने बताया कि कांफ्रेंस ”फ्रंटियर रिसर्च इन नेचुरल प्रोडक्ट अपार्चुनिटीज एण्ड चैलेंजेस (एफआरएनपी-2017)” विषय पर आयोजित है। कांफ्रेंस इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), नई दिल्ली एवं एम.पी. काउंसिल आॅफ साइंस एण्ड टेक्नाॅलाॅजी (एमपीसीएसटी) भोपाल द्वारा स्पांसर्ड है।
मीडिया विभाग,
एकेएस विश्वविद्यालय, सतना

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एकेएस विश्वविद्यालय के ई-ब्लाक के प्रांगण में ‘‘या कुन्देन्दुतुषारहारधवला याशुभ्रवस्थावृता’’ मंत्रोच्चार के बीच सरस्वती पूजन का भव्य आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट विभाग में ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की देवी सरस्वती का पूजन विधि-विधान से करने के बाद हवन हुआ। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य की झोली में आई थी। सनातन मन्यता के अनुसार इसी दिन बच्चों को पहला अक्षर सिखाया जाता है और कहा जाता है कि माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ उससे ”स” शब्द फूट पड़ा यह शब्द संगीत के सात सुरों में प्रथम सुर है। हवाओं को, सागर को, पशु-पक्षियों और वन्य जीवों को वाणी मिली। नदियों से कल-कल की ध्वनि फूटी और माँ सरस्वती को वागेश्वरी नाम दिया गया। मनुष्य ही नहीं देवता और असुर भी भक्ति भाव से माँ सरस्वती की पूजा करते है। एकेएस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. बनिक, चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ,डायरेक्टर अमित सोनी, विभागाध्यक्ष डाॅ. कौशिक मुखर्जी फैकल्टी डाॅ. प्रदीप चैरसिया, चंदन सिंह, प्रमोद द्ववेदी, विजय प्रकाश चतुर्वेदी, प्रकाश सेन, शीनू शुक्ला, श्वैता सिंह एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।
एकेएस विश्वविद्यालय को अपनी स्थापना की अल्प-अवधि में ही ‘‘एसोसिएशन आॅफ इंडियन यूनिवर्सिटीज’’ का सदस्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ है इसी कडी में उल्लेखनीय है कि एकेएस विश्वविद्यालय की महिला खो-खेा टीम ने 29 जनवरी से 1 फरवरी तक बोलपुर शांतिनिकेतन विश्वभारती यूनिवर्सिटी बेस्ट बंगाल में आयोजित ईस्ट जोन इन्टर यूनिवर्सिटी खो-खेा महिला नेशनल गेम्स प्रतियोगिता में अपनी सहभागिता दर्ज की। स्र्पाेट्स आफीसर सुनील पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि छात्राओं ने पहले ही अवसर में उम्दा खेल का प्रर्दशन करते हुए पहला मैच डुमका यूनिवर्सिटी झारखण्ड से जीतकर दूसरे मैच में वी. के. सिंह यूनिवर्सिटी से वाॅकओवर लेते हुए तीसरा मैच आॅल इंडिया क्वाॅलीफाइंग प्री क्वाॅटर फाइनल के लिए खेलेगीं। टीम में पुष्पा चैरसिया, सन्तावना सिंह, कंचन शर्मा, प्रियंका मुर्घी, एकता सिंह, सुिष्मता सोनी, शिवानी श्रीवास्तव, मनू सिंह, दिप्ती शुक्ला, श्रेया सिंह, मेघा सेन, दीक्षा मरावी शामिल है
एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में बुधवार को स्पीक मैके (सोसाइटी फाॅर दी प्रमोशन आॅफ इण्डियन क्लासिकल म्यूजिक एण्ड कल्चर अमंग्स्ट यूथ) के सौजन्य से बंसत पंचमी के अवसर पर कथक नृत्य का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माॅ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवल एवं माल्यापर्ण कर किया गया। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना सुश्री शिवालिका कटारिया ने कथक नृत्य की प्रस्तुति से दर्शक दीर्घा को मंत्रमुग्ध किया। इन्होने ने दिल्ली कथक केन्द्र चाणक्यपुरी से प्रशिक्षण प्राप्त किया है एवं एम.एस. युनिवर्सिटी से मास्टर आॅफ परफारमिंग आर्ट में शिक्षा ग्रहण की है। इन्होने भारत ही नही वरन् अलजीरिया, लंदन, यू.के., टर्की, श्रीलंका में अपनी प्रस्तुतियां दी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. पी.के. बनिक ने सुप्रसिद्ध नृत्यांगना की मनमोहक प्रस्तुती के लिए धन्यवाद देते हुऐ छात्र-छात्राओं को कला के क्षेत्र में अपनी रूचि के अनुसार आगे बढ़ने का संदेश दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. दीपक मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, स्पीक मैके के अध्यक्ष डाॅ. हेमन्त कुमार डेनियल, सचिव प्रशांत श्रीवास्तव, वीरेन्द्र सहाय सक्सेना, प्रतीक अग्रवाल, राज गुप्ता, राहुल जैन उपस्थित रहे।
जीवन में बौद्धिक एवं भौतिक सफलता के लिए प्राणायाम एवं ध्यान की है उपयोगिता
ध्यान वास्तव में गहरी अनुभूति का नाम है जो चमत्कारिक रुप से हमारे जीवन को उजाले प्रदान करती है यह पक्तियाॅ वि.वि. के सभागार मे आयोजित व्याख्यानमाला में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. शिव पूजन सिंह ने ‘‘जीवन में असीम बौद्धिक एवं भौतिक सफलता प्राप्ति के लिए प्राणायाम एवं ध्यान की सरल विधियाँ’’ विषय पर एक प्रायोगात्मक व्याख्यान के दौरान कहीं। । डाॅ. शिवपूजन ने कहा कि मानवीय मस्तिष्क की प्रक्रिया को चार अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है जैैसे-अचेतन मन, चेतन मन, अवचेतन मन एवं अतिचेतन मन। अचेतन मन बेहोशी की अवस्था है, चेतन मन से हम रोजमर्रा की सारी गतिविधियों को सम्पन्न करते हैं, अवचेतन मन की अवस्था को आत्मानुभूति की अवस्था जैसा कहा जा सकता है, और इस अवस्था को प्राणायाम और ध्यान की सरल विधियों से अनुभव किया जा सकता है। अवचेतन मन की गहरी अनुभूति द्वारा हम अपनी सुशुप्त शक्तियों को जागृत कर अपनी सृजनात्मक एवं रचनात्मक शक्ति को मूर्त रूप देकर अपनी बौद्धिक एवं भौतिक उपलब्धियों को चमत्कारिक रूप से बढ़ा सकते हंै। अतिचेतन मन सम्पूर्ण अस्तित्व का एकात्म रूप है।अवचेतन मन को अतिचेतन शक्तियों के द्वार के रूप में प्रयुक्त कर हम अपने जीवन की उपलब्धियों को चमत्कारिक रूप से असीम कर सकते है। महार्षि गोरखनाथ की ध्यानावस्था हंसते खेलते हुए सरल विधियों से होती है अवचेतन को जागृत कर अतिचेतन से जुड़कर जीवन में बड़ी सफलताओं को सृजित किया जा सकता है। ध्यानावस्था या समाधि की अवस्था को इलेक्ट्रो इनसेफेलोग्राफ मशीन समाधि की अवस्था को अल्फा स्टेट आॅफ माइंड के नाम से वर्गीकृत एवं मेजरमेंट करती है। प्रो. सिंह ने कपालभाती, सक्रिय-कपालभाती,विपस्यना और योगनिन्द्रा विधियों का क्रियान्वित रूप प्रस्तुत किया। व्याख्यान के दौरान इमोशनल क्वोशन और स्पिरिचुअल क्वोशन का भी वर्णन किया गया, इमोशनल क्वाॅशन एवं स्पिरिचुअल क्वाशन हमारी जीवन में सफलता के लिए इंटेलिजेन्स क्वाशन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। सभागार में विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,डाॅ0 आर.एस. पाठक, प्रो. आर.एन. त्रिपाठी, आर.के. श्रीवास्तव, स्वामी भूमानन्द के साथ सभी संकाय के छात्र-छात्राओं को प्राणयाम और ध्यान के लिए प्रेरित किया गया।