सतना के विभिन्न संकायों में सरस्वती पूजन का उत्सव धूमधाम से मनाया गया जिसमें माॅ की प्रतिमा के समक्ष या देवी सर्वभूतेषु, भक्ति रुपेण संस्थितः,नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मंत्रोच्चार के साथ आराधना की गई। बसंत पंचमी में सरस्वती पूजन का महत्व बताते हुए डाॅ.शेखर मिश्रा ,परीक्षा नियंत्रक एकेएस वि.वि. ने कहा कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी माॅ सरस्वती की विशेष आराधना का दिन है अर्थात माॅ वीणापाणि शिक्षा,नृत्य,साहित्य कला की देवी हैं जो इस तिथि को विद्यारंभ करता है उसकी विद्या पूर्ण मानी जाती है। बसंत पंचमी चैत्र और बैसाख के आगमन की सूचक है विभिन्न संकायों में भी माॅ की आराधना विधि विघान से की गई, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर देवी सरस्वती की पूजा का विधान है इसे ही वसंत पंचमी पर्व के रुप में मनाया जाता है। जिसमें Management, कामर्स, इंजीनियरिंग, Agriculture प्रमुख रहे। माॅ को पीले वस्त्रों से सजाया गया वास्तव में पीला वस्त्र बृहस्पति यानी गुरु का प्रतीक है सरस्वती आराधना बिना गुरु के संभव ही नहीं है।वास्तव में बसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यो के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। कडकडाती ठंड के बाद वसंत ऋतु में प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। पूजन के बाद प्रसाद वितरण कार्यक्रम में मिठाइयाॅ बाॅटी गई। वि.वि. प्रबंधन ने सभी को बसंत पंचमी की शुभकामनाऐं दीं हैं।