AKS University
AKS University, Satna M.P.
प्रथम तीन छात्राऐं हुई पुरस्कृत
सतना। एकेएस वि.वि. मे स्तनपान सप्ताह के तहत कार्यक्रम के आयोजन की रुपरेखा डाॅ दीपक मिश्रा बायोटेक के फैकल्टी ने रखी तत्पश्चात आयोजन के मौके पर अनामिका सिंह ने कहा कि संरक्षण एवं विटामिन प्रोवाइड करना ही स्तनपान कहलाता है। बच्चे के संरक्षण के लिए आवश्यक होता है। स्तनपान,टीकाकरण भी है। इसमे कैलोरी ज्यादा मिलती है। स्तनपान कराने सेबच्चे को कैंसर से सुरक्षा मिलती है बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है।रोशनी सिंह ने अपने उदबोधन मे बताया कि स्तनपान कराने के लिए बच्चे को संरक्षण ही नहीं मिलता बल्कि बीमारियों से भी रक्षा होती है। रश्मि सिद्दीकी का कहना था कि स्तनपान में कई प्रकार के विटामिन होते है 6 माह तक स्तनपान कराना चाहिए।अराधना मौर्य ने कहा माँ का दूध अमृत के समान होता है। बाहर का दूध से माता का दूध अधिक अच्छा होता है। सारे विटामिन माता के दूध से मिलता है। स्तनपान से माँ और बच्चे दोनों को लाभ होता है। बच्चे का इमूनो पावर बढ़ता है।अल्पना चतुर्वेदी ने अपने व्याख्यान मे कहा कि स्तनपान अमृत के समान होता है। माँ के दूध से बच्चा हैल्दी रहता है। बिमारियों से बचाता है। बच्चे और माँ दोनों के लिए आवश्यक होता है। कैंसर का खतरा नहीं होता स्तनपान कराने से।अन्नपूर्णा तिवारी ने कहा कि स्तनपान में सभी विटामिन मौजूद होते है।ममता सरोज का कहना था कि गांव में अभी भी शहद देने का प्रचलन होता है परन्तु ऐसा नहीं माँ का दूध ही महत्वपूर्ण होता है। लगातार 6 माह तक दूध पिलाया।रेनी निगम ने कहा कि माँ स्वयं यदि अपनी जन्मदाता होने के साथ-साथ अपने बच्चे की जिम्मेदारी सम्भालना एवं देखभाल करना उनका दायित्व है। ताकि वह अपने बचचे का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य बना सकें।इस मौके पर वि.वि. के प्रतिकुलपति प्रो.हर्षवर्धन श्रीवास्तव,ओएसडी प्रो. आर.एन.त्रिपाठी के साथ रेनी निगम, पूनम द्विवेदी, दीपा कोटवानी, अश्वनी वाऊ, रेनू शुक्ला की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।अपुपमा एजुकेशन सोसाइटी कार्यक्रम प्रभारी निशा खरे उन्होने कहा की जन्म के तुरंत बाद माँ का दूध हर बच्चे को देना अति आवश्यक है। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है। माँ के दूध पीने से बच्चे और माँ के आभात्य का अदान-प्रदान स्थापित होता है। माँ के दूध में सभी पोषक तत्व होते है। अनुपमा स्कूल की आभा गुप्ता ने कहा कि कैंसर न हो इसलिए भी माँ का दूध देना अति आवश्यक है। माँ के दूध में सभी तत्व पाये जाते है।कार्यक्रम में छात्राओं के लिए भाषण प्रतियोगिता की गई। जिसमें प्रथम स्थान रिया खिलवानी, द्वितीय स्थान अनामिका सिंह एवं तृतीय स्थान पर आराधना मौर्य रही।
गत वर्षो में बड़ी मात्रा में प्याज को सड़ने व उससे करोड़ो रूपयो का नुकसान होने के समाचार अखबारो में छपते रहते है। तमाम संसाधनो के बावजूद प्याज को संरक्षित रखने की कोई कारगर विधि संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाई है। इसी तथ्य को सामने रखते हुए एकेएस विश्वविद्यालय, सतना मे फूड टेक्नोलाॅजी विभाग के निदेशक डाॅ. सी.के. टेकचन्दानी ने ऐसा भण्डार बिन विकसित किया है जिसमें प्याज 10 महीने तक सुरक्षित रखी जा सकती है। इसमे किसी प्रकार की बिजली का उपयोग नहीं किया गया। इस तकनीक के अंतर्गत आयताकार आकार में लोहे की पाली से बने भण्डार बिन बनाये गये जिनमें बिन की मोटाई 4 से 12 इन्च तक रखी गई। इस तरह इन प्याज से भरे भण्डार बिन को टीन की छत के नीचे खुले में रखा गया। यहां प्याजों को हवा बराबर मिलती रही जिससे वे 10 माह तक सुरक्षित रहे। प्रयोगो में 20,30,50,70 एवं 125 किलो क्षमता वाले जालीदार बिन में प्याजो को संरक्षित रखा पाया गया। आवश्यकतानुसार भिन्न क्षमता वाले जालीदार बिन बनाये जा सकते हैं जिनका उपयोग छोटे-बड़े भण्डार गृहों एवं घरेलू स्तर पर किया जा सकता है। इस भण्डार बिन को एकेएस प्याज भण्डार बिन का नाम दिया गया है। अधिक जानकारी के लिये डाॅ. टेकचन्दानी से एकेएस विश्वविद्यालय, सतना अथवा मोबाइल नं. 7693007776 पर संपर्क किया जा कसता है।
सतना,विन्ध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस विश्वविद्यालय, सतना को म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा मोस्ट इनोवेटिव युनिवर्सिटी एवार्ड इन म.प्र. प्रदान किया गया हैं। एकेएस विश्वविद्यालय के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने यह एवार्ड 1 अगस्त 2017 को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के हाथों ग्रहण किया। विश्वविद्यालय को यह एवार्ड म.प्र. की युनिवर्सिटीज के बीच से चयनित करके दिया गया। उल्लेखनीय है कि एकेएस विश्वविद्यालय को अब म.प्र. के साथ-साथ भारत वर्ष में भी शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में जाना जाने लगा हैं। एकेएस वि.वि. अपनी विशिष्ट शैक्षणिक प्रणाली, इण्डस्ट्री ओरिएंटेड पाठ्यक्रम, एक्सीलेंस और इनोवेटिव सोच एवं कार्यशैली की वजह से महज 5 वर्षाे के अल्प अंतराल में विशिष्ट शैक्षणिक केन्द्र के रूप में विकसित हुआ हैं। जिसकी भविष्य में रिसर्च एवं नवाचार के क्षेत्र में भी अहम भूमिका होगी। कार्यक्रम के दौरान म.प्र. के शिक्षा के क्षेत्र के विद्वान और विशिष्टजन उपस्थित रहे। वि.वि. को मिली इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय को शुभकामना संदेश प्राप्त हो रहे है। गौरतलब है, कि इसके पूर्व विश्वविद्यालय को नेशनल एज्युकेशन एक्सीलेंस एवार्ड 2017, वेस्ट युनिवर्सिटी इन रूरल एरिया एवार्ड 2016 के साथ लगातार दो वर्षो से एज्युुकेशन नेशनल एक्सीलेस एवार्ड भी प्रदान किया गया है। वि.वि. के कुलाधिपति वी.पी. सोनी एवं कुलपति प्रो. पारितोष के बनिक ने सभी फैकल्टीज के डीन,डायरेक्टर्स एवं फैकल्टीज के अथक प्रयास को इस एवार्ड का क्रेडिट दिया है।
गाॅव मे जागरुकता के साथ दिया उन्नत जीवन का मंत्र
सतना। एकेएस विश्वविद्यालय के बीएससी, एग्रीकल्चर सातवें सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं ने रावे के तहत उल्लेखनीय कार्य करते हुए कई गाॅवों मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है इसी कडी में वि.वि. के छात्र-छात्राओं ने ग्राम जाखी,शासकीय विद्यालय,भटवा टोला मे पौधरोपण किया जिसमे छात्र टारसन,संजय,राकेश,हनुमान आदि शामिल रहे। वृक्षारोपण कार्यक्रम स्कूल के प्राचार्य की उपस्थिति मे संपन्न हुआ। इसी कडी मे सभी कार्यक्रम रावे के समन्यवयक सात्विक बिसारिया के मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक आयोजित किए गए।वि.वि. के छात्रों का कहना है कि उन्हें गाॅवों में जाकर कार्य करने से विविधता के दर्शन होते है और उन्हे कार्यअनुभव भी प्राप्त हो रहे हैं।
गाॅव मे पशु टीकाकरण के साथ जागरुकता की पहल
सतना। एकेएस विश्वविद्यालय के बीएससी, एग्रीकल्चर सातवें सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं ने रावे के तहत उल्लेखनीय कार्य करते हुए कई गाॅवों मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है इसी कडी में वि.वि. के छात्र-छात्राओं ने ग्राम जाखी,शासकीय विद्यालय,भटवा टोला मे पौधरोपण किया जिसमे छात्र टारसन,संजय,राकेश,हनुमान आदि शामिल रहे। वृक्षारोपण कार्यक्रम स्कूल के प्राचार्य की उपस्थिति मे संपन्न हुआ। इसी कडी मे छात्र अविनाश के साथ अन्य छात्रों ने ग्राम कुलगढी मे पशु टीकाकरण का आयेाजन किया। कार्यक्रम मे एकेएस वि.वि. के डाॅ तोमर ,के.पी.मिश्रा,सुनील केवट ने सहभागिता दर्ज कराई। कार्यक्रम रावे के समन्यवयक सात्विक बिसारिया के मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक आयोजित किए गए। वि.वि. के छात्रों का कहना है कि उन्हें गाॅवों में जाकर कार्य करने से ग्रामीण संस्कृति के साथ सहजीवन के दर्शन होते है और उन्हे कार्यअनुभव भी प्राप्त हो रहे हैं।