ऐकेएस विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा संचालित Webiner का चोथा दिन
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ऐकेएस विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा संचालित Webiner का चोथा दिन
ऐकेएस विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित 6 दिवसीय Webiner श्रंखला के चोथे दिन श्री आकाश चैरसिया ने multi-layer farming विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। आकाश चोरसिया ने कहा, मेरा बचपन से सपना था कि बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा और लोगों का इलाज करूंगा लेकिन जैसे - जैसे मैं बड़ा हुआ मुझे समझ में आया कि ज्यादातर बीमारियां खराब खान - पान की वजह से होती हैं।इसकी वजह जाननी चाही तो पता चला कि लोगों को शुद्ध अनाज और सब्जियां खाने को नहीं मिल रही हैं जिसकी वजह से वो बीमार हो रहे हैं। आजकल किसान सब्जियों और अनाज में इतने कीटनाशक और रसायनिक उवर्रक इस्तेमाल करते हैं कि लोगों को इससे तमाम तरह की बीमारियां हो जाती हैं। मुझे लगा डॉक्टर बनकर इलाज करने से अच्छा है कि मैं खेती करके इन्हें शुद्ध भोजन उपलब्ध कराऊं जिससे ये बीमार ही न पड़ें और इलाज की नौबत ही न आए। ये तरीके अपनाते हैं आकाश जब आकाश किसानों से मिले तो किसानों ने अपनी कई तरह की समस्याएं बताईं। आकाश ने इन समस्याओं के के समाधान के लिए एक लम्बा शोध किया, जिससे किसानो की समस्याओं का समाधान किया जा सके। आकाश ने बताया, ष्मै एक साथ एक ही जमीन पर चार से पांच फसलें लेता हूं जिससे लागत और समय दोनों की बचत होती है और अच्छा मुनाफा होता है, क्योंकि एक फसल से दूसरे फसल को खाद मिलती रहती है, फसलों में खरपतवार नहीं होता है, कीड़े नहीं लगते हैं। आकाश कहते है खेत का पानी बरसात में बर्बाद न हो इसके लिए खेत में ही पानी रिचार्ज की सुविधा की। 10ध्10 का गढ्ढा खेत के लान वाली खोदतें हैं जिससे पूरा पानी इस गढ्ढे में आता है। इससे एक एकड़ खेत में आठ से 10 लाख लीटर पानी और दो ट्राली मिट्टी को बचाया जा सकता है। इस तरह किसान हजारों ट्राली मिट्टी बचाने के साथ ही करोड़ों लीटर पानी संरक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा मै अपनी खेतों में मल्टीलेयर में खेती करता हु . मसलन- जमीन के नीचे अदरक लगता हु या ऐसी चीज जो जमीन के अंदर उगती है। उसके ऊपर सब्जियां लगाता हु जो जमीन के ऊपर उगती हैं जैसे बैंगन, गोबी. उसके ऊपर झाड़ लगाकर बेल की शक्ल में फलने वाली चीजें लगाता हु जैसे कुंदरी, पान. और चैथी लेयर है पपीते जैसे पेड़ की जो सीधे ऊपर चली जाती हैं. इन फसलों को उगाने के लिए खाद खेत में ही बनाते हैं. गायें पाल रखी हैं। उनके गोबर में रॉक फॉस्फेट मिलाकर केंचुए डाल देता हैं. केंचुओं को एक दर्जन क्लासिकल और इंस्ट्रुमेंटल संगीत सुनाते हैं जिससे केंचुए 60 दिन के बदले 45 दिन में वो खाद तैयार कर देते हैं जो डीएपी का काम करता है. इससे ज्यादा फसल होती है और पैदावार लंबे समय तक होती है। आज के webiner के सयोजक श्री सात्विक बिसारिया ने बताया कि आकाश ने अपने तीन एकड़ खेत को मॉडल फॉर्म के रूप में विकसित किया है। एक साथ चार से पांच फसल लेकर लागत चार से पांच गुना कम करने के साथ ही मुनाफा में भी पांच गुना इजाफा किया है। ये वर्मी कम्पोस्ट से लेकर सभी जैविक खादें, dairy form, multi layer food farming खुद ही करते हैं। हर महीने की 27 और 28 तारीख को पूरे देशभर के कई किसान इनके यहाँ निशुल्क प्रशिक्षण लेने आते हैं। देशभर में अब तक 50 से ज्यादा माडल फॉर्म बना चुके हैं। आकाश ने 42 हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जिसमे 33 हजार किसान और साढ़े सात हजार युवा इनके साथ जुड़े हैं। साढ़े छह हजार किसान और 250 युवा पूरी तरह से आकाश के बताये तौर तरीकों से 18 हजार एकड़ जमीन में खेती कर रहे हैं। श्रोताओ द्वारा श्री आकाश चैरसिया से कई विषय सम्बन्धी प्रश्न पूछे जिनमे इस माडल को कहा व कितने क्षेत्र में उपनाया जा सकता है, सिंचाई की कौन सी पद्यति अपनानी चाहिए व मर्केट से सम्बंधित प्रश्न महत्वपूर्ण रहे। श्री आकाश चैरसिया ने इन प्रश्नों का उत्तर बखूबी दिया साथ ही multi layer के सेटअप व तरीको को भी प्रदर्शित किया।कार्यक्रम की शुरुआत सात्विक बिसारिया के द्वारा श्री आकाश चैरसिया के परिचय व श्रोताओ के स्वागत से किया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के प्रो चंस्लर इं. अनंत कुमार सोनी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रति कुलपति विकास डॉ. हर्षवर्धन, कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. एस. एस. तोमर उपस्थित रहे साथ ही आशुतोष गुप्ता, संतोष कुमार, पंकज कुमार व समस्त कृषि संकाय की फैकल्टी मौजूद रही।