राष्ट्रीय शिक्षा नीति के task force सदस्यों ने की Virtual platform चर्चा
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के task force सदस्यों ने की Virtual platform चर्चा
सतना। नवीन शिक्षा नीति की क्रियान्वयन समिति के task force समिति के 23 सदस्यों की बैठक में कई मुददो पर गहन चर्चा हुई। प्रदेश के माननीय शिक्षा मंत्री श्री मोहन सिंह यादव की अध्यक्षता में नवगठित समिति के सदस्यों ने म.प्र. में अगामी वर्षों में नवीन शिक्षा कैसे होगी इस पर विस्तार से चचा्र हुई। माननीय मंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों तथा वर्तमान वातावरण के देखते हुए क बेहतर एवं सुनियोजित तरीके से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित किए जाने की महती आवश्यकता है भारत के पारंपरिक ज्ञान के साथ नवाचार का समन्वय करने की आवश्यकता है। इस दिशा में स्वशासी,निजी व शासकीय वि.वि. को उपर्युक्त तरीकेे से सामंजस्य कर शोध को बढावा देना होगा। श्री यादव ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व और देश के शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी द्वारा प्रस्तुत नवीन शिक्षा नीति के दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त होंगे। इस मौके पर म.प्र. शासन के प्रमुख सचिव श्री अनुपम राजन ने सदस्यों का स्वागत किया। और नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नवीन शिक्षा नीति के अंतर्गत 8 प्रमुख बिन्दुओं पर प्राथमिकता से चर्चा होगी। कार्यक्रम में एकेएस वि.वि. के प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवध्रन जो समिति के सम्मानित सदस्य है ने कहा कि आज आवश्यकता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिदृष्य में Grass enrollment ratio एवं व्यावसायिक शिक्षा को प्रमुखता देने के दृष्टिकोण से प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में Skill Development Center विकसित करने में शासन सहयोग करे।जिन विश्वविद्यालयों में आई.टी.की अच्छी अधोसंरचना उपलब्ध है उन वि.वि. को व्यापक हित में Open distance learning व Online पाठ्यक्रमों को आयोजित करने की अनुमति दी जाए।उन्होंने आगे कहा कि बेहतर होगा कि Public व Private Universities का भेद समाप्त करते हुए अधोसंरचना विकास हंतु World bank ओर रुसा के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के विकास हेतु अनुदान उपलब्ध कराया जाए और समस्त वि.वि. को University के नाम से संबोधित किया जाए जैसा कि विश्व के र्वििभन्न देशों में प्रचलन है,Liberal arts और value based education की महती आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कतिपय विसंगतियों एवं बुराइयों को खत्म करने के लिए इन पाठ्यक्रमों का भी समावेश स्नातक स्तर पर किया जाना चाहिए। डाॅ.हर्षवध्रन ने industry-academia interactions, internships,बहुअयामी रिसर्च के आधार पर उत्पादन में श्रेष्टता प्राप्त करने ओर रोजगार उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण पर व्यापक विचार रखे। कार्यक्रम में प्रो.एडीएन बाजपेयी,प्रो.कपिलदेव मिश्रा,एस.एन.मिश्रा,वरुण गुप्ता,रघुराज तिवारी,उमाशंकर पचैरी,उमेश हुलानी,डाॅ.अशोक ग्वाल,डाॅ.एस.के.जैन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन धीरेन्द्र शुक्ला ने किया।