एकेएस वि.वि. सतना के संरक्षित क्षेत्र में इन्फिन्टिी नामक खीरे के फलो का उत्पादन एक पौधे से मिलती है 30 कि.ग्रा.तक उपज -ड्रिप सिंचन विधि से सींचकर इसे दिया जाता है पानी व उर्वरक सामान्य खीरे से ज्यादा है चमकदार और जल तत्व से भरपूर
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एकेएस वि.वि. सतना के उद्यनिकी विभाग ने अनूठी नस्ल के इन्फिनिटी खीरे का 384 स्क्वेयर फीट क्षेत्र में रोपित करके उत्पादन का अच्छा प्रतिमान दिया है ड्रिप सिंचन विधि से सींचकर पानी व उर्वरक इसे प्रदान किया जाता है इन्फिनिटी खीरे का उत्पादन 30 कि.ग्रा. तक प्रति पौधा है। शानदार, चमकदार इन्फिन्टिी खीरे की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा रही है।पाॅली हाउस में खेती के इस उन्नत तरीके से आफ सीजन में भी सब्जियाॅ और फूलों की खेती आसानी से की जा सकती है। यह तकनीक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में भी असरकारक हो रही है सब्जियों का चुनाव बाजार की माॅग और कीमत पर निर्भर करता है घटती जोत और अधिक मुनाफे के कारण इस तरह की खेती की तरफ किसानों का रुख बढ रहा है। एकेएस वि.वि. के संरक्षित कृषि क्षेत्र के 16’24 के क्षेत्र में इसे पैदा किया जा रहा है जो उन्नत किस्म के हैं इसका उपयोग सलाद,सब्जी के साथ सामान्य खीरे की तरह किया जाता है। एक्सपेरीमेंट लर्निग प्रोग्राम के तहत वि.वि. के एग्रीकल्चर संकाय में अध्ययनरत विद्यार्थी सब्जी और फलों को उगाने और पैदावार की यह विधि सीखकर औद्योगिक कृषि के बारे मे विस्तार से जानकारी भी कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्राप्त कर रहे हैं। वि.वि. के उद्यनिकी विभागाध्यक्ष डाॅ.अभिशेक ने बताया कि विगत नवंबर 2020 से 30 से 45 दिनों में इससे 30 कि.ग्रा. प्रति पौधे उत्पादन भी हुआ है। जिन्हे बाजार में बिक्री हेतु भेजा जाता है इसी के साथ क्षेत्र के किसानों को भी संरक्षित खेती के गुर सिखए जाने के प्रयास वि.वि. द्वारा किए जा रहे हैं सरकारों के द्वारा इसे लगाने के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है जो 47 से 67प्रतिशत तक होती है सरकार 500 से 4000 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए यह आर्हता प्रदान करती है। पाॅली हाउस स्टील के स्ट्रक्चर से बनता है और प्लास्टिक सीट से ढंका जाता है जो 200 माइक्रान मोटाई वाली पारदर्शी एवं पराबैगनी किरणों से प्रतिरोधी पाॅलीथीन चादर होती है।एक हजार वर्ग मीटर के लिए 10 लाख रुपये तक का खर्च आता है जिसमे नाबार्ड द्वारा लोन भी प्रदान किया जाता है। पाॅली हाउस के फायदे बताते हुए विभागाध्यक्ष ने बताया कि पाॅली हाउस के अंदर लगी फसलों से जैविक और प्राकृतिक झंझावतों से बचाया जा सकता है,पाॅली हाउस में वर्ष भर उत्पादन लिया जा सकता है, बेमौसम फसलें उगाने क ेसाथ कीटनाशक खर्चो में कमी आती है और उत्पादन सामान्य की तुलना में 3 से 4 गुना ज्यादा होता है।प्रतिदिन 300 से ज्यादा एग्रीकल्चर छात्र पाॅली हाउस के क्षेत्र में प्रायोगिक ज्ञान भी प्राप्त कर रहे हैं। एकेएस वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी, प्रतिकुलपति डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी, डाॅ. हर्षवर्धन, डायरेक्टर अमित सोनी, विपिन व्यवहार, पूर्व चेयरमैन, एमपीपीएससी, इंजी.आर.के.श्रीवास्तव, प्रो.जी.पी.रिछारिया ओएसडी प्रो.आर.एन.त्रिपाठी नेे इसे उद्यनिकी विभाग की उपलब्धि निरुपित किया है। वि.वि. परिवार के सभी संकायों के डीन, डायरेक्टर्स ,फैकल्टी मेंम्बर्स और सभी सदस्य ने भी उद्यनिकी विभाग की सराहना की है।