एकेएस वि.वि.के में नाटक‘‘गुरुदक्षिणा‘‘का होगा 26 जून को रंगमंच पर प्रदर्शन द्वापर युग के एकलव्य, अर्जुन और द्रोणाचार्य प्रसंग का होगा मंचन
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सतना। जीवन और वचनों के दंश को झेलता द्वापर युग का एक ऐसा सजीव नजारा जिसमें होगा महाभारत कालीन प्रसंग। वक्त के तकाजें को मुल्क, अल्फाजों और यादों के बीच चलती जददोजहद और स्मृतियों का हिरण जब अतीत की झाडियों में कुलाॅछे मारता है तो वर्तमान की परिधि और भविष्य का ताना बाना उभरता तो है पर धुॅधलका कायम करता हुआ।
26 जून को रंगमंच पर उतरेगें कलाकार
जी हाॅ, 26 जून को अपरान्ह दो बजे से, मंच पर पेश होगा पीरियड ड्रामा गुरुदक्षिणा। एकेएस वि.वि. के कलामंच पर एक खास प्रस्तुति उकेरेगी समय की परत और कलावीथिका में कला के अनकहे, अकाटय सत्येां से परिचित होगें हम, विंध्य क्षेत्र के शैक्षणिक गौरव एकेएस विश्वविद्यालय सतना में रंगकर्मी सविता दाहिया द्वारा ड्रामा विधा केे तहत रंगमंच से लेकर नेपथ्य तक की सभी बारीकियाॅ 30 प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क प्रदान की गई। एकेएस वि.वि. के कल्चरल डायरेक्टोरेट विभाग द्वारा निःशुल्क कार्यशाला में विद्यार्थियों को विविध रंगमंचीय कलाओं का ज्ञान दिया गया। प्रस्तुति अभ्यास में अब नाटक गुरुदक्षिणा का मंचन कराया जाएगा। और अब उम्मीदों वाली धूप खिल उठी है प्रतिभागियों के मन मे प्रस्तुति को लेकर जो पूर्ण हो रही है नाटक में पात्र पाकर और कार्यशाला में अभिनय विधा मे दक्षता प्राप्त करने वाले छात्र ही अब कलाकार के रुप में अपनी प्रस्तुति देंगें।
नाटक के पात्र करेगें पात्रों की देशकालिक मंचना
नाटक के पात्र अब मिलाऐंगें नजरें खिडकी, दरवाजों की दरारों से झांकती, झरोखों से छनकर आती रोशनी से रुबरु मिलाऐंगें आखें,नायक वह जो उम्मीदों के पार उतर जाए ऐसी ही एक महाकथा केा कहेंगें सभी पात्र जिसमें द्वंद होगा भील पुत्र एकलव्य, द्रोण पुत्र अर्जुन और गुरु द्रोणाचार्य के बीच हुए संवाद के प्रसंग का। गुरु पर अगाध आस्था रखते हुए भील पुत्र एकलव्य की गुरु द्रोण की प्रतिमा के समक्ष धनुर्विद्या का अनवरत अभ्यास, गुरु द्रोण की धर्मनिष्ठता के बीच अर्जुन को दिए वचन की पूर्णाहुति के लिए एकलब्य से अगूठा मांगने का दृष्य और उपस्थित होने वाला विरल और करुणामयी दृष्य, सीमाओं, दायरों और बाडों से मुक्त नवीन शिक्षा प्रणाली का साक्षादत्कार और वर्ण विसंगति के साथ देशकाल, वातावरण और परिस्थिति का भी भान कराया जाएगा। परिधानों की बानगी,प्राचीन अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग,पूर्ण मानक ऐतिहासिक परिवेश से ओतप्रोत भाषा मौखिक और सांकेतिक भाषा के साथ नेत्रों की पूर्ण परिष्कृत भाषा का अहम दृष्य,बहुलतावादी संस्कृति वाले देश की पहनावे,खानपान,वोली,जीवनपद्वति भी उभरेगी। जहाॅ उपस्थित होगा द्वापर युग का महान पल, क्षण और सांस्कुतिक विरासत की वीथिका।
यह सीखा प्रतिभागियों ने अब तक
इसके पूर्व प्रतिभागियों को प्रकाश संयोजन एक्टिंग बेसिक्स, एक्टिंग एण्ड इंप्रोवाइजेशन, व्याइस ओर स्पीच टेक्नीक्स,थिएटर गेम्स एण्ड एक्सप्रेशंस,फिजिकल मूवमेंटस,थाॅट प्रोसेस एण्ड इमैजिनेशन,बिल्डिंग ए कैरेक्टर,टाइप्स आफ एक्टिंग,मास्क्स एण्ड हेड गियर्स,कास्टयूम डिजायनिंग एण्ड कैरेक्टर मेकअप,ड्रामा परफार्मेंस प्रमुख रुप से सिखाया गया । नाटक को डायरेक्शन दिया है सविता दाहिया ने और सहायक निदेशक की जिम्मेदारी है अमित शुक्ला के रचनात्मक कंधे पर जिसे ध्वनि और रंगों से सॅवारेंगें कलाकार और प्रस्तुत करेंगें बहुप्रर्तीिक्षत नाटक गुरुदक्षिणा।
ये भाग होगें प्रमुखता से शामिल
इस मौके पर कला के विविध आयामों और प्रस्तुति में शामिल हर्ष,दुःख,अतिरेक,विषाद,प्रेम,घृणा,वीरता,शेाक,रुग्णता को देखने के लिए आमंत्रित भी है आप सब वि.वि. के सभागार में खास प्रस्तुति एकेएस वि.वि. कल्चरल डायरेक्टोरेट द्वारा।