वो बदलाव खुद में लाइए जो आप दुनिया में लाना चाहते हैं-तुषार गाॅधी एकेएस वि.वि. में महात्मा गाॅधी पर विचार गोष्ठी और चिंतक तुषार का व्याख्यान
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राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी की 150वीं पुण्य तिथि और उसके उपलक्ष्य में आयोजित विचार प्रधान कार्यक्रम, वक्ता यथार्थवादी चिंतक महात्मा गाॅधी के प्रपौत्र जिन्होंने गाॅधी के विचारों को देखा, पढा, समझा, जो गाॅधी को सुनते हुए प्रखर हुए, मौका भावपूर्ण भी था और विचारों की श्रंखला को उच्चमत श्रेष्ठता तक महसूस करने का भी। एकेएस वि.वि. सतना के केन्द्रीय सभागार में एक स्वर्णिम पृष्ट तब जुड गया जब यथार्थवादी चिंतन और सामयिक दृष्टिकोंण की नई आवृत्तियाॅ निर्मित करते हुए तुषार सभागार में उपस्थित हुए। प्रासार में चिंतकों, सुधीजनों, विद्यानों,एकेएस के फैकल्टीज और विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए तुषार गाॅधी ने व्याख्यान के दौरान कहा कि बंधुवर, वो बदलाव आप खुद में लाइए जो आप दुनिया में लाना चाहते हैं, तालियों की गडगडाहट में गाॅधी जी के प्रति उमडा अटूट सम्मान था जिन्हे हम पाठ्यपुस्तकों में पढते आए हैं वह साकार रुप से हम सुन रहे थे, और गाॅधी को महसूस करते समूचे लम्हें भी थे। दीवार पर महात्मा गाॅधीं की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में लगा जीवंत पोस्टर और उनके विचारों को सुनने के लिए खचाखच भरा एकेएस वि.वि. का कलामंच। कारण था गाॅधी के आॅगन का वह फूल जिसे तुषार गाॅधी कहते हैं वह हमारे बीच उपस्थित थे, उन्होंने मोहन के बारे में बताया, महात्मा बनने की दास्तां बयाॅ की। मोहनदार की करुणा, मानवीय मुल्यों और उनकी सोच पर प्रकाश डाला। उनका कहना था मोहनदास को दुनिया मानवीय रुप में समझे,जिन्होंने मानवीय कमजोरियों को दूर कर बेहतर इंसान बनना सीखा, उन्होंने पूर्ण स्वराज्य का संदेश देते हुए कहा कि जब तन,मन,और आत्मा स्वतंत्र हो जहाॅ विचारों पर पाबंदियाॅ न हों तब शिक्षा स्वतंत्र है। शिक्षा में आदर्श निर्मित कीजिए तब प्रासंगिक हो जाऐंगें महात्मा गाूधी और भगत सिंह जिन्होने भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। भारतवर्ष के प्रखर चिंतक एवं गाॅधी शांति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी श्री तुषार गाॅधी एकेएस वि.वि. परिवार और उपस्थित अन्य विद्यजनों से संवाद कर रहे थे। उन्होनें कहा कि अंदर की शक्ति को पहचानिए और आप वह कर जाऐंगें जो कल्पनातीत होगा। गाॅधी को जब आप और हम मानवीय स्वरुप में देखेंगें और दैवीय मुलम्मा न चढाऐंगें तो हमें गाॅधी प्रासंगिक लगेंगें। माननीय श्री तुषार गाॅधी महात्मा गाॅधी के दर्शन एवं वर्तमान परिवेश में उनकी प्रासंगिकता के साथ देश की शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करते हुए उन्होने कहा कि शिक्षा प्रणाली में प्रजातंत्र होना चाहिए,न कि गुलामी, आज न शिक्षक स्वतंत्र हैं न विद्यार्थी और न ही संस्थान, स्टूडेन्टस मैकेनिकल रोबोट हो गए हैं।मुल्क का विकास तभी होता है जब क्रांति आती है क्रांति यानी नवरचना की लहर, नवपल्लव और विचारों के कोपलों को फूटने का वक्त मिले। शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य अगर सिर्फ नौकरी प्राप्त करना हो तो स्टूडेन्ट कमोडिटी बन जाता है। उन्होंने देश के स्वच्छता अभियान की सराहना की पर इसमें नागरिक सहयोग की कमी की भी बात की। उन्होने इंगित किया कि प्रकाश पुंज आप खुद बनिए वि. वि. के कुलाधिपति श्री बी.पी.सोनी जी ने उनका शॅाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह से सम्मान किया अैोर अपने संवेदनात्मक उदृबोधन में उन्हांेने कहा कि महात्मा गाॅधी के कुल और उनके प्रपौत्र के आने से वि.वि. परिवार धन्य महसूस कर रहा है और उनके विचारों की सरलता और सूक्ष्मता, समग्र को सूक्ष्म में देखने की दृष्टि से हम आभारी हैं और उनके विचारों ने हमें नई उर्जा का सूत्रपात किया है। वि.वि. के प्रोचासलर अनंत कुमार सोनी ने उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि गाॅधी और उनके यथार्थ विचार, सत्य शेाधक विचार एक बहुमूल्य धरोहर हैं भारतवर्ष की सम्पूर्ण विश्व कांे दी गई अमूल्य निधि है गाॅधी। जिनके विचारों से संसार सदियों तक रोशन होता रहेगा। ज्ञातव्य है कि इस वर्ष सम्पूर्ण भारत में महात्मा गाॅधी की 150वीं जयंती का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है इसलिए यह आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है इसी कडी में यह आयोजन गाॅधी को समझने का अत्यंत महत्वपूर्ण पल साबित हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रो.आर.एन त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि वि.वि. में 11 संकाय,40 कोर्सेस और 8500 स्टूडेन्टस है ओर यह वि.वि. इकलौता वि.वि. है जहाॅ स्प्रिच्युअल स्टडीज एक जरुरी विष के रुप में स्टूडेन्अस को पढाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान वि.वि. के प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवध्रन,डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी,सुधीर जैन और अरुण भारती जी उपस्थित रहे।