एकेएस वि.वि. में आत्म निर्भर भारत पर एक दिवसीय webinar
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एकेएस वि.वि. में आत्म निर्भर भारत पर एक दिवसीय webinar
सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना में आत्म निर्भर भारत विषय पर एक दिवसीय webinar कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका मूल आधार Industry academia relation रहा। कार्यक्रम के प्रारंभ में वि.वि. के प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने अतिथियों का परिचय दिया, विषय प्रवर्तन किया और वेबिनार की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मध्यप्रदेश के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दास ने कहा कि आज के दौर में विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार की आवश्यकता है अतः उद्योगों की आवश्यकताओं को समझने के लिये उद्योग एवं एकेडेमिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों में परस्पर सम्बन्ध मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि एक दूसरे की आवश्यकता के अनुरूप वि.वि. में Research and Development को सर्वाधिक महत्व मिले। भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अकादमिक क्षेत्र में पाठ्यक्रमों में आवश्यक बदलाव समय की मांग है। उद्देश्य यह भी होना चाहिये कि समाज की दैनंदिनी समस्याओं को समझकर उसका निदान शैक्षणिक जगत करे। इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिये कि सफलता मिलेगी या असफलता, छात्रों को जिज्ञासापूर्ण सवालों के लिये तैयार करना होगा, Global Knowledge बढ़े और Teaching module विकसित किया जा सके जिससे विद्यार्थी अधिक से अधिक लाभांवित हों। अगली कड़ी में Trifed के Managing Director Jones Kinsley IAS ने इस बात पर जोर दिया कि औद्योगिक जगत को चाहिये कि वह उनकी अपनी जरूरतों से academia को परिचित कराएं साथ ही दोनों के मध्य परस्पर विचार विमर्श होते रहना चाहिये। उन्होंने internship के महत्व को रेखांकित किया, उन्होंने कहा कि समय-समय पर उद्योग के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों को एकेडेमिक क्षेत्र में तथा academia के प्रोफेसनल्स को उद्योगों में जाकर जरूरतों को समझना होगा। Netlink कम्पनी के चेयरमैन अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक क्षत्र में सीखने की प्रवृत्ति विकसित हो, अंकसूची में प्राप्त अंकों का मूल्यांकन न करके उसकी सीख को प्राथमिकता देनी चाहिये और ज्ञान का व्यावहारिक स्तर समझना चाहिये, आज के दौर में टेक्नोक्रेट के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। इन्दौर वि.वि. के School of Economics के प्रोफेसर डाॅ. कन्हैया आहूजा ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रशिक्षण कार्यक्रम की महत्ता को समझना होगा, इससे छात्रों की employability बढ़ेगी और राष्ट्र विकास के नाम पर आगे बढ़ेगा। आकादमिक स्तर पर रिसर्च व नवाचारों को बढ़ावा मिलना चाहिये। धीरे-धीरे इम्प्लायबल लोगों की संख्या में कमी हो रही है इससे बचने के लिये शिक्षण व प्रशिक्षण हेतु बेहतर वातावरण निर्मित करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि म.प्र. में 800 से अधिक औद्योगिक संस्थान जिनमें वृहद, मध्यम व लघु उद्योग सम्मिलित हैं इन सबको शैक्षणिक संस्थानों से लगातार सम्पर्क बनाए रखना चाहिये। इसी तरह Ease of Doing Business की उपयुक्त रणनीति अपनाकर वातावरण निर्मित किया जा सकता है और देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकता है। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास केन्द्र के पूर्व भवन संचालक श्री जी.एन. व्यास ने इस बात पर जोर दिया कि अकादमिक स्तर पर अर्थव्यवस्था, अधोसंचना और अन्य मूलभूत संसाधनों के विकास के संबंध मं विश्वविद्यालय बेहतर भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। इस दिशा में भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने मन की बात और अन्य कार्यक्रमों में इसका जिक्र किया है। उन्होंने partnership model पर कार्य करने, लघु उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित करने, research and development के साथ innovation पर अधिक ध्यान दिये जाने की बात कही। योगेश ताम्रकार, Vice Chairman M.P. The Chamber of Commerce ने उद्यम, साहस व पराक्रम पर विशेष जोर दिया। आभार प्रदर्शन प्रो. आर.एन त्रिपाठी, डीन बेसिक साइंस ने किया। कार्यक्रम के चेयरमैन श्री प्रसन्न दास ने सभी वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और सभी वक्ताओं के सहयोग के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया। वि.वि. के प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी ने इण्डस्ट्री एकेडेमिया विषय पर अपने अनुभव शेयर किये और लगातार हो रहे वेबिनार्स की सार्थकता पर प्रकाश डाला। वेबिनार कार्यक्रम में मैनेजमेंट संकाय के फैकल्टीज और छात्र-छात्राएं जुड़े रहे। वर्चुअल प्लेटफार्म पर कार्यक्रम का संचालन मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष कौशिक मुखर्जी, लवली सिंह गहरवार और धीरेन्द्र ओझा ने किया।