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22-08-14 एकेएसयू में दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

Posted by on in Daily University News in Hindi
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‘‘आधुनिक समय में अपशिष्ट के सदुपयोग पर ध्यान केन्द्रित
सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी सतना के सभागार में पर्यावरण विज्ञान विभाग, फैकल्टी आॅफ लाइफ साइंस एवं टेक्नालाॅजी एवं इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वेस्ट मैनेजमेंट भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय नेशनल वर्कशाप एण्ड कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम आॅन ‘‘वेस्ट टू वेल्थ’’ का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने की एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्रीकृष्ण माहेश्वरी ने मुख्य अतिथि के रूप के उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा में सप्तऋषि का अंकन किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. एम.पी. सिंह (प्राध्यापक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय), डाॅ.आर.एस. परिहार (म.प्र. प्रदूषण इकाई सतना), डाॅ. एस.एस. मालवीय (एक्सक्यूटिव इंजीनियर म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण हेड आॅफिस भोपाल) एवं डाॅ. वर्षा निगम गौर (कार्यक्रम समन्वयक, अंतर्राष्ट्रीय अपशिष्ट प्रबंधन संस्थान, भोपाल) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ
दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मां वीणापाणि की सस्वर वंदना एवं पुष्पमाल की अर्चना से हुआ तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया गया। इसी तारतम्य में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीकृष्ण माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में बताया कि हमें समाज का कल्याण करना है तो अपनी प्राचीनतम परम्पराओं का ध्यान रखकर अपनी जीवन शैली में उचित परिवर्तन करने होंगे एवं अपशिष्ट उत्पादन के शोध पर ही उसका निवारण करना होगा। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलाधिपति बी.पी. सोनी ने कहा कि आज के समाज में हमारी युवा पीढ़ी को मुख्य रूप से यह चिंतन करने की नितांत आवश्यकता है कि किस प्रकार से हम अपशिष्ट को व्यर्थ न समझ कर मानव जाति के कल्याण हेतु मूल्यवान बना सकते हैं उन्होंने अपशिष्ट की उपयोगिता के संबंध में प्रकाश डालते हुए विभाग को इस क्षेत्र में सक्रिय सहभागिता निभाने का संदेश दिया।
तकनीकी सत्र में हुए विशेषज्ञों के व्याख्यान
कार्यशाला के तकनीकी सत्र में डाॅ. वर्षा निगम गौर ने प्रतिभागियों को अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न तरीकों अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन की विभिन्न तकनीकी, इंडस्ट्रीयल स्केल में बायो गैस उत्पादन, ई-वेस्ट एवं वेस्ट पर केन्द्रित सारगर्भित व्याख्यान दिया तथा एस.एस. मालवीय ने म.प्र. शासन एवं भारत सरकार द्वारा जारी अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित कानून एवं नियम, सीमेन्ट उद्योगों में वेस्ट मटेरियल का उपयोग एवं वेस्ट मैनेजमेंट एवं वेलुएडेड प्रोडक्ट्स से संबंधित दिशा-निदेशों एवं अधिनियमों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विषय के संबंध में ज्ञानवर्धक वक्तव्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कमलेश चैरे ने किया एवं आभार प्रदर्शन (पी.ओ अंतर्राष्ट्रीय अपशिष्ट प्रबंधन संस्थान, भोपाल) गिरिराज मंडोली ने किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र कुमार तिवारी , सुमन पटेल, नीलाद्रीशेखर राॅय डाॅ. दीपक मिश्रा, कान्हा सिंह तिवारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर समस्त विभागों के विभागाध्यक्ष, फैकल्टीज एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
दूसरे दिन के कार्यक्रम
कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों को क्षेत्र की इकाइयों का भ्रमण भी कराया जायेगा एवं औद्योगिक इकाइयों द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट में उपयोग लाई जाने वाली विधियों एवं अन्य गतिविधियों के बारे में प्रायोगिक जानकारी दी जायेगी।

‘‘बाॅयोटेक पाॅप्यूलर लैक्चर सीरीज-2014’’ में डाॅ. एम.पी. सिंह,

सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना के सभागार में (इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक) डाॅ. एम.पी. सिंह, ने बाॅयोटेक क्षेत्र में विश्वभर में मशरूम की उपयोगिता के बारे में विस्तृत व्याख्यान दिया। इन्होने बताया कि मशरूम भोजन और औषधि दोनों ही रूपों में उपयोगी होने के साथ पोषण का भरपूर स्रोत हैं। इसे खाने से हृदय रोग होने का खतरा कम हो जाता है, क्योंकि मशरूम में कोलेस्ट्रोल कम करने की क्षमता है. यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और कैंसर रोगियों की कीमोथेरेपी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को भी कम करता है. व्यवसायिक मशरूम उत्पादन तकनीक के जरिए ओएस्टर, बटन, मिल्की, पैडी स्ट्रा, शिटेक और रेशी आदि किस्मों के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है इस दौरान बाॅयोटेक, फार्मेसी एवं एग्रीकल्चर विभाग के प्रोफेसर्स एवं सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

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