बेटियों की सुरक्षा समय की माॅग-बी.पी.सोनी,कुलाधिपति एकेएस वि.वि.,सतना
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यह गारन्टी से कहा जा सकता है कि भारत में बेटियाॅं सुरक्षित नही हैं । सरकारी आकड़े बताते है कि हर घण्टें 5 से 8 बेटियों के साथ ज्यादती होती हैं, परन्तु इनका षोर नही मचता । जब कभी पढ़ी लिखी बेटी के साथ ज्यादती के साथ हत्या कर दी जाती हैं, तब सभी का ध्यान ज्यादती पर जाता हैं । गरीब बेटियाॅं हमेषा पिसती रहती हैं । थाने मे रिपोर्ट होती है और भारत के कानून केे मुताबिक 10-20 वर्श केस चलता रहता हैं । भारतीय न्यायालय जघन्य अपराधी को भी अपराधी नही मानता थाने में प्रकरण दर्ज होने के बाद थानेदार की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रकरण इस प्रकार तैयार करें कि जुर्म अदालत मे सिद्ध किया जा सके । न्यायालय में अपराधी को पूरा अधिकार होता है कि वह अच्छा से अच्छा वकील लगाकर अपने को निर्दोश सिद्ध करें । भारत के वकील यह मानते हैं कि उनके पास कोई भी जघन्य अपराधी उनकी सेवा माॅगने आता हैं उसका प्रकरण अवष्य ले और हर सम्भव अपने मुव्वकिल को जितायें । यह जानते हुये भी कि इसने बहुत बड़ा अपराध किया है, फिर भी उसे बचायेगें और इसी को अपना कर्तव्य मानते हैं ।अगर किसी अपराधी को कोई वकील नही मिलता तो उसे सरकारी वकील दिया जाता हैं । ऐसे कानून ऐसे न्यायालय, ऐसे वकीलों से आप क्या आषा करते हैं । आप जघन्य अपराध होने पर संवेदना दिखाना चाहते है, प्रदर्षन करना चाहते हैं या 7 दिन में फाॅसी माॅगते है, सब बेकार की बातें हैं । मामला न्यायालय में जायेगा और 10-20 साल केस चलेगा । निचली अदालत सजा देगी, फिर प्रकरण दूसरे न्यायालय में जायेगा । उच्च न्यायालय में जायेगा । उच्चतम न्यायालय में जायेगा । इसके बाद क्षमा याचना के लिये राश्ट्रपति के पास जायेगा । कुल मिलाकर 10-20 साल लग जायेगें ।भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है कि अपराधी को पकड़कर तुरन्त फाॅसी दे दो । आप सब माॅग करते है के अमुक अपराधी है, उसने अपराध किया है इसे पकडा़ें और सजा सुना दो । न्यायालय कहता है कि वह निर्दोश है सिद्ध करिये कि अपराधी है । बेटियों को षक्तिषाली बनना पड़ेगा । सभी जानते है कि बड़ा से बड़ा पुलिस आफिसर बिना षस्त्र नही चलता । प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्री बिना सुरक्षा नही चलते । फिर बेटियाॅं बिना सुरक्षा क्यों चलती हैं।प््राष्न यह उठता है कि बेटियों को कैसी सुरक्षा दी जाये । यह सम्भव नही है कि पुलिस विभाग सभी बेटियों के लिये गार्ड मुहैया करायें । यह कहना भी कोई मायने नही रखता कि सरकार सुरक्षा की गारन्टी दे या कड़ा कानून बनाये । न्यायालय को सरकार निर्देष नही दे सकती कि षीघ्र फैसला सुनाये । न्यायालय अपराधी मानकर किसी पर प्रकरण नही चलाता और ऐसा कानून नही बनाया जा सकता कि किसी व्यक्ति को पहले से ही अपराधी मान लिया जाये।सरकार क्या कर सकती है इस पर विचार किया जावे । सरकार प्रत्येक मिडिल स्कूल से लेकर उच्च षिक्षा तक बेटियों को कराटे का प्रषिक्षण दे सकती है जिससे बेटियों मे अपराधी से निपटने की हिम्मत आये ।बेटियों को आत्मरक्षा हेतु एन.सी.सी. की ट्रेनिग दे जिसमे बन्दूक चलाना, पैलेटगन चलाना सिखाया जावे । अगर बेटियाॅं कराटे सीख लेती है और एन.सी.सी. लेकर बन्दूक चलाना, पैलेटगन चलाना सीख लेती है तो उनमे आत्म विष्वास जागृत होगा ।जिन बेटियों को अकेले आना-जाना पड़ता है तो उन्हे लाइसेन्सी पैलेट गन सरकार दिलाये । गरीब बेटियों को पैलेट गन खरीदने हेतु 50 प्रतिषत अनुदान दे । यह ध्यान रखने की जरुरत है कि कोई बेटी पैलेट गन का दुरुपयोग न करें । लाइसेन्स देने के पूर्व पुलिस विभाग बेटी के स्वभाव आदि की जानकारी प्राप्त कर लें । बेटियों की सुरक्षा इसी प्रकार से हो सकती हैं ।अपराधी किसी न किसी का बेटा होता है किसी न किसी का भाई होता हैं । अगर माता-पिता चाहते है कि उनकी बेटी सुरक्षित रहे तो अपने बेटे को बचपन से अच्छी षिक्षा दे तथा बेटे को बताये कि संसार की सभी बेटियाॅं आपकी बहन है । आप जिस नजर से अपनी बहन को देखते है ऐसे ही नजर से सब बेटियों को देखे । अगर आप दूसरे के बहन-बेटी को बुरी नजर से देखेंगे तो आपकी बहन को भी दूसरा बुरी नजर से देखेगा और आपकी बहन सुरक्षित नहीं रहेगी।इस सुझाव से सरकार का खर्च बढ़ेगा परन्तु आधी आवादी षक्ति षाली होगी । राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार से मदद लेकर प्रत्येक स्कूल मे कराटे एवं एन.सी.सी. प्रषिक्षण चालू कराये । कराटे एवं एन.सी.सी. लेना प्रत्येक बालिका के लिये अनिवार्य करें इस योजना से बेटियाॅ षक्तिषाली भी होगी और अनुषासित भी होगी ।