एकेएस वि.वि. में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा वृक्षारोपण दंगल हो रहा अखाडे में,च्ंदन चाचा के बाडे में,नागपंचमी पर गोष्ठी,तत्पष्चात वृक्षारोपण
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सतना। यह ढोल-ढमाका ढम्मक,ढम, मल्लेां की जब टोली निकली, यह चर्चा फैली गली गली, दंगल हो रहा अखाडे में, च्ंदन चाचा के बाडे में, नागपंचमी पर गोष्ठी के बाद बृक्षारोपण किया गया। बच्चों को वृक्षों पर चहचहाते पक्षियों का कलरव कितना सुखद लगता है, नानी के घर जाते समय सडक पर जाती बस के दोनो तरफ पेडों का घना आच्छादन और चलते प्रतीत होते पेंड, रंग बिरंगें पुष्पों की हवाओं के साथ नाक में प्रवेष करती पुरवइया के साथ खुष्बू, संग हवा के गाते पेंड, पत्ते-फूल लुटाते पेंड,चिडियों के हैं इन पर घर,डाले बंदरों का बिस्तर,काम सभी के आते पेंड,फल देते हरसाते पेंड,सूखें तब लकडी होकर,बनते ईधन फर्नीचर,आधी से घवराते पेंड,पानी से लहराते पेंड,गरमी मे छाया देकर,सुख पहुॅचाते डगर-डगर,है बसंत को भते पेंड,पतक्षड में झड जाते पेंड ऐसी कविताओं और कहानियों के साथ एकेएस विष्वविद्यालय सतना के प्रांगण में नागपंचमी के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा के द्वारा वृक्षारोपण किया गया। कम्प्यूटर संकाय के फैकल्टीज और विद्यार्थियों ने इस अवसर पर नीम,तुलसी,बरगद,आवला के पौधे रोपे। वृक्षारोपण के इस पुनीत मौके पर एकेएस वि.वि. के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रमुख महेन्द्र तिवारी,अखिलेष बाउ,मदन मोहन मिश्र,बी.टेक,सीएसई पाॅचवें, ,बी.टेक,सीएसई,सातवें,बीसीए,आनर्सओर बीएससी,आईटी.के विद्यार्थी खास तौर पर उपस्थित रहे।मौके पर सभी ने पेंडों को लगाने और उनकी रक्षा सुरक्षित करने का वचन भी दिया। वो कदंब का पेड कविता भी स्टूडेन्टस ने गुनगुनाई।