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एकेएस वि.वि. के इलेक्ट्रिकल संकाय में ‘‘स्मार्ट फार्म फार स्मार्ट सिटी’’ की अवधारणा पर प्रोजेक्ट-हाइड्रोफोनिक्स विधि पर हो रहा कार्य

Posted by on in Daily University News in Hindi
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सतना। ‘‘स्मार्ट फार्म फार स्मार्ट सिटी’’शहरों की जरुरत है ऐसा कहना है एकेएस वि.वि. के इलेक्ट्रिकल संकाय के फैकल्टी और छात्रों का।
यह कारक है पर्यावरण के प्रदूषण-जलवायु परिवर्तन के
आज के दौर में बढ़ती हुई जनसंख्या तथा उसके लिए भोजन की व्यवस्था एक बड़ी समस्या है तथा यह समस्या और ज्यादा विकराल तब हो जाती है जब आधुनिकीकरण के कारण कृषि योग्य भूमि का लगातार अधिग्रहण, किसानों का नौकरी के लिए कृषि से पलायन तथा पर्यावरण प्रदूषण के कारण जलवायु में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, इसके साथ ही कम भूमि में उच्च पैदावार करने के लिए रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है जिसके कारण ये रसायन खाद्य श्रंखला में आ जाते हैं तथा स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। अगर हम नगरों तथा महानगरों की बात करें तो प्रदूषण का असर खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है तथा स्वच्छ भोजन व पानी न मिलने के कारण इसके गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम देखने को मिलते हैं।
समस्याऐं हैं तो समाधान खोजना ही होगा-हाइड्रोफानिक्स है विधि
इन सभी समस्याओं से निपटने तथा स्मार्ट सिटी सतना के प्रत्येक कोने को हरा भरा रखने के उद्देश्य से एकेएस युनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत अच्युत पाण्डेय तथ बी.टेक इलेक्ट्रिकल 8वें सेमेस्टर के छात्रों ने मिलकर ‘‘स्मार्ट फार्म फार स्मार्ट सिटी’’की अवधारणा पर कार्य करना प्रारंभ किया।इस प्रोजेक्ट में एक कृषि पद्धति पर कार्य किया गया जिसे हाइड्रोफोनिक्स कहते हैं। हाइड्रोफोनिक्स एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें फसल तथा पौधों के उत्पादन के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। अगर पौधों की संरचना तथा उनके बायोलाॅजिकल सिस्टम को देखें तथा पौधे मिट्टी का प्रयोग खड़े रहने तथा पानी व आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए करते हैं। इसके अलावा मिट्टी की उनके लिए कोई आवश्यकता नहीं। अतः अगर हम चाहें तो पौधों को बिना मिट्टी का प्रयोग किए केवल पानी तथा आवश्यक पोषक तत्वों की सहायता से भी उगा सकते हैं। हाइड्रोफोनिक्स तकनीक में पौधों को सामान्यतः एक जालीदार कप में उगाया जाता है
ये आवश्यक तत्व हैं विधि को चलाने के लिए
जिसमें पौधों को खड़ा रखने के लिए छोटी गिट्टी, रेत, नारियल की जटा व स्पंज का प्रयोग किया जाता है तथा पौधें की जड़ें कप के छिद्रों से बाहर निकली हुई होती है इन कपों को एक पाइप में छेद करके उनमें लगाया जाता है तथा इन पाइपों में शुद्ध जल जिसमें आवश्यक पोषक तत्व मिले होते हैं प्रवाहित किया जाता है जिससे वे वृद्धि कर सकें। विद्यार्थियों ने जो सिस्टम बनाया है वो एक स्मार्ट हाइड्रोपोनिक सिस्टम है जिसमें पौधों के स्वास्थ्य तथा वृद्धि दर को मेंटेन करने के लिए एक इलेक्ट्रानिक सिस्टम लगाया है यह इलेक्ट्रानिक सिस्टम विभिन्न प्रकार के सेंसर्स जेसे टैम्प्रेचर सेंसर, ह्युमिडिटी सेंसर तथ पीएच सेंसर से जुड़ा रहता है। ये इलेक्ट्रानिक सिस्टम जीएसएम मोड्यूल के द्वारा इन सभी डाटा को स्मार्ट फोन के एक ऐप में भेजा जाता है जिसे हम कहीं से  देख सकते हैं। इसके अलावा इस हाहड्रोपोनिक सिस्टम में हमने एक विशेष प्रकार के एलईडी बल्ब का प्रयोग किया है जो लाल तथ नीले रंग का प्रकाश देता है जो पौधों के प्रकाश संस्लेषण क्रिया के लिए आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि इस सिस्टम को कमरे के अंदर रख कर भी पौधे उगाये जा सकते हैं इसके कई लाभ हैं जैसे हाइड्रोफोनिक तकनीक के द्वारा की गई खेती में 90 प्रतिशत पानी कम खर्च होता है क्योंकि इसमें पानी को बार-बार रीसाइकल कराया जाता है,उत्पादन मिट्टी की तुलना में अधिक होता है, विपरीत वातावरण से बचाव किया जा सकता है,किसी भी प्रकार के हानिकारक कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता, पैदावार में अपेक्षाकृत अधिक पोषक तत्व होते हैं।

 

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Guest Saturday, 16 November 2024