एकेएस वि.वि. में अंतर्रराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कार्यक्रम सम्मान है हिन्दी,अभिमान है हिन्दी, भारतीय होने की पहचान है हिन्दी-अनंत सोनी
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सतना। एकेएस वि.वि. सतना में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में बताया गया कि यूनेस्को ने 1999 में इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रुप में मनाने की शुरुआत की थी और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2008 मे स्वीकृति दी। इस मौके पर वि.वि. के सभागार में वि.वि. के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी ने मातृभाषा का महत्व बताते हुए कहा कि सम्मान है हिन्दी,अभिमान है हिन्दी, भारतीय होने की पहचान है हिन्दी-माॅ की भाषा के साथ-साथ बच्च् का शैशव जहाॅ बीतता है उस माहौल में ही जननी भाव है जिस परिवेश में बच्च् पलते हैं वहाॅ जो भाषा वह सीखता है वह भाषा उस बच्चे की मातृभाषा कहलाती है। उन्होंने इस दिवस की सभी को शुभकामनाऐं दीं। प्रतिकुलपति डाॅ.हर्षवर्धन ने हिन्दी को और ज्यादा प्रसार करने की प्रेरणा दी उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा बच्चे को रटटू बनाती है वह सृजन में भी ज्यादा सहायक नहीं होगी। डाॅ.आर.एस.त्रिपाठी ने मातृभाषा की शिक्षा पर जोर दिया उन्होने कलाम के कथन का उदाहरण देते हुए कहा कि कलाम का कहना था कि मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना क्योंकि मैने गणित ओर विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की। डाॅ.आर.एन त्रिपाठी ने हिन्दी को वैश्विक भाषा बनाने की बात कही। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डाॅ.जी.पी.रिछारिया ने कहा कि अब कार्य व पत्र की भाषा हिन्दी होनी चाहिए। कार्यक्रम में डाॅ. मिर्जा समीउल्ला बेग, मो. आमिर हसीब, डाॅ.महेन्द्र तिवारी, डाॅ.दीपक मिश्रा,राजीव बैरागी,बीएड विभागाध्यक्ष डाॅ.आर.एस.मिश्रा के साथ विभिन्न संकाय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस मौके पर वि.वि. के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों ने निबंध लेखन, गायन, वाद-विवाद, नाटक आदि में अपने हुनर का प्रदर्शन बढचढ कर किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.डी.पी.मिश्रा ने कलात्मक और रचनात्मक शैली मे ंकिया और हिन्दी की महत्ता भी रेखांकित की। कार्यक्रम के अंत में भारत की विविधता,अनेकता में एकता और सांस्कृतिक वैभव की सराहना के साथ हिन्दी की जै का उच्चार हुआ।