वसुधैव कुटुम्बकम अवधारणा-बुद्धं शरणं गच्छामि-गांधी शरणं गच्छामि से संभव -बी.पी. सोनी, चांसलर, एकेएस विश्वविद्यालय, सतना
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सत्य अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का 150वां जन्मदिवस भारत सरकार बड़े धूम-धाम से मनाने जा रही है। आज दुनिया बड़ी तेजी से विकास एवं साथ ही विनाश की ओर भी बढ़ रही है। मनुष्य की पहुँच जल-थल-नभ तीनों में है। वह तीनों से सुविधायें पा रहा है लेकिन उसी तरह जल, थल, नभ में वह कहीं सुरक्षित नहीं है।दुनिया में 20 हजार से ज्यादा परमाणु बम, हाईड्रोजन बम तैयार हैं। लाखों टन रासायनिक हथियार जैविक हथियारों का भंडारण है। विनाश की लीला में सिर्फ बटन दबाने की देरी है। बटन दबते ही परमाणु बम से लैस मिसाइलें सक्रिय हो जायेंगी, ऐसा लगेगा कि पृथ्वी पर हजारों सूर्य उतर आये। पाँच मिनट के अन्दर पृथ्वी के सारे जीव, जन्तु, मानव समाप्त हो जावेंगे। सोचने का समय न मिलेगा। अभी समय है, हम परमाणु युद्ध की विभीषिका से बचने, वर्तमान सभ्यता को कायम रखने एवं विकास की ओर बढ़ते जाने का उपाय सोचें यदि, आप बुद्धिजीवी हैं और विनाश से बचना चाहते हैं तो अपने मोबाइल में देखें वल्र्डजीओबीटी (ूूूण्ूवतसकहवअजण्वतह ) विस्तार से पढ़िये विश्व सरकार कैसे बनेगी।अब बुद्ध और गांधी की शरण में चलें, दोनों से शक्ति प्राप्त करें। सोचें कौन सा सार्थक उपाय है जिससे युद्ध में पूर्ण विराम लग जाये। लाखों वर्ष से युद्ध होते आ रहे हैं परन्तु विनाश कभी नहीं हुआ। आज का युद्ध सम्पूर्ण विनाश की ओर है।कोई भी उपाय ऐसा नहीं दिखता जो पूरी तरह से युद्धों को रोक सके। परंतु एक ऐसा उपाय है ‘‘शक्तिशाली संप्रभुता सम्पन्न जनतान्त्रिक, लोक कल्याणकारी विश्व सरकार’’। विश्व सरकार युद्धों पर पूर्ण रोक लगायेगी तथा संसार का सम्पूर्ण विकास करेगी।वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा साकार होगी, यही होगी गांधी जी को 150वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि।