भारतीय चिंतन दर्शन के अनुसार समाज विज्ञान के विषयों का पुनरावलोकन एवं पुनर्निमाण आवश्यक:प्रो. ए.डी.एन. वाजपेयी
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सतना। प्रो. ए.डी.एन. वाजयेपी (महासचिव, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद एवं पूर्व कुलपति एपीएस वि.वि. रीवा तथा हिमांचल यूनि. शिमला) ने एकेएस वि.वि. में एक गोष्ठी में कहा कि समाज विज्ञान के क्षेत्र में अभी हाॅल में एक परिषद का गठन दिल्ली में कराया गया है जिसमें समाज विज्ञान के क्षेत्र में भारतवर्ष में स्वयं के देशज ज्ञान, भारतीय जीवन, मूल्य, दर्शन एवं संस्कृति के अनुरूप आवश्यकतानुसार संबंधित विषयों के पाठ्यक्रमों में आवश्यक परिवर्तन किया जा सके। इस दिशा में राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद भारतीय चिंतन दर्शन के अनुसार समाज विज्ञान के विषयों का पुनरावलोकन एवं पुनर्निर्माण की दशा में मार्ग प्रशस्त करेगा।श्री वाजपेयी ने आगे कहा कि परिषद के गठन के पश्चात् अब तक कई परिसंवाद एवं अधिवेशन आयोजित किए जा चुके हैं। इसी कड़ी में पाटलिपुत्र वि.वि. में आगामी 30 नवंबर से 2 दिसम्बर 18 तक पटना में तीसरा विशाल राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। जिसमें भारतीय साहित्य, दर्शन और आध्यात्म पर भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान के भारतीय संदर्भ में विभिन्न वि.वि. के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं चिंतक गहन विचार-विमर्श हेतु आमंत्रित किए गए हैं। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय पुनरुत्थान एवं समाज विज्ञान में स्वतंत्रता के पूर्व पश्चिम के विद्यानों द्वारा भारतीय परिवेश एवं संस्कृति को ध्यान में न रखते हुए जिस तरह पाठ्यक्रमों की रचना में पश्चिमी सभ्यता के भोगवादी स्वरूप को विषयों में अंगीकार किया उसकी समीक्षा के लिए और साथ ही भारतीय संस्कृति एवं परिप्रेक्ष्य में विद्यानों द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए जाऐंगे जिसके आधार पर आगे चलकर समाज विज्ञान से जुड़े हुए विभिन्न विषयों जैसे अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र साहित्य तथा अन्य विषयों में मौलिकता पर जोर दिया जाएगा। साथ ही भारतीय चिंतक एवं मनीषियों के विचारों की उपादेयता के आधार पर विद्वानों द्वारा विचार विमर्श कर पाठ्यक्रमों में आवश्यक बदलाव का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। इससे हमारे विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं समाज की मूल समस्याओं पर प्रकाश डाला जा सकेगा और समास्याओं के समाधान हेतु भारतीय परिवेश में उनके हल पर भी विशेष जोर दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि डाॅ. ए.डी.एन. वाजपेयी जब एपीएस युनिवर्सिटी रीवा में पदस्थ थे तो उनके कार्यकाल में रीवा वि.वि. में नकल की प्रवृत्तियों पर रोक के साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट के लिए उन्होंने अथक प्रयत्न किये थे। श्री वाजपेयी म.प्र. आर्थिक परिषद के अध्यक्ष के अतिरिक्त भारतवर्ष में वि.वि. के शीर्ष संगठन आल इंडिया युनिवर्सिटी एसोसियेशन के महासचिव एवं आर्थिक चिंतक के रूप में ख्याति प्राप्त हैं। डाॅ. वाजपेयी के एकेएस वि.वि. में आगमन पर वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी, कुलपति प्रो. पारितोष के. बनिक, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने डाॅ. वाजपेयी का स्वागत किया एवं उनको वि.वि. की वर्तमान उपलब्धियों से अवगत कराया। इस अवसर पर डाॅ. वाजपेयी ने वि.वि. की उपलब्धियों को गौर से सुनकर उनकी प्रशंसा की और कुछ अमूल्य सुझाव भी दिये।