एकेएस वि.वि. में कथकली की अद्भुत प्रस्तुति से बंधा समाॅ मंत्रमुग्ध हुई कला दीर्घा में तालियों ने तोडी तंद्रा -विद्यार्थियों ने जाना भारत का वैभव और सांस्कृतिक विविधता
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सतना। एकेएस वि.वि. के सभागार में सोमवार को सोसायटी फाॅर द प्रमोशन आॅफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एण्ड कल्चर अमंग यूथ के सौजन्य से कथकली नृत्य का एक अनछुआ,अलौकिक एहसास विद्यार्थियों और उपस्थित जनों को हुआ। कथकली की अलौकिक प्रस्तुति से सम्पूर्ण सभागार कला के रंग में डूब गया कथकली को रंगवेदी या कलियरंगु भी कहते हैं इसकी प्रस्तुति अदृभुत रही। उल्लेखनीय है कि एकेएस वि.वि. में विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों को भारत की सांस्कृतिक विविधता, देशकाल और भारत की प्राचीनता और अनेकता से परिचय करवाने हेतु इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं। इसके पूर्व अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती और नटराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद दीप प्रज्जवलन किया गया। तत्पश्चात् देवार्चन करके देवाशीष लिया गया मंगल आरती की गई। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथकली कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकदीर्घा को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर बताया गया कि कथकली का इतिहास केरल के राजाओं के इतिहास के साथ जुड़ा है। भारतीय क्लासिकल परिकल्पना के अनुसार नवरसों की नाट्य प्रस्तुति कथकली में प्रमुखता से होती है। कथकली संगीत के आधार पर ही नट अभिनय करते हैं। कथकली संगीत को मूड म्यूजिक भी कहा जाता है। कथकली संगीत पर कर्नाटक संगीत का भी प्रभाव है। कुछ विशिष्ट राग जैसे कि पाटि पुरनिरा आदि रागों का प्रयोग केवल कथकली में ही होता है। सर्वाधिक प्रसिद्ध आट्ट कथाओं में उण्णायि वारियर का नल चरितम्, कोट्यम तम पुराण का कल्याण सौगंधिकम् इत्यादि प्रसिद्ध आट्ट कथाएं हैं। कथकली की शैली में जो छोटे छोटे भेद होते हैं उन्हें चिट्टकल कहते हैं। कथकली के विकास के लिये महाकवि वल्लतोल नारायण मेनन द्वारा स्थापित केरल कला मंडलम् और अनेक केन्द्र प्रशिक्षण देते हैं। इसी कड़ी में दूसरी प्रस्तुति कुट्टी किशन द्वारा दी गई। विदेशों में सैकड़ों प्रस्तुति दे चुके गुरु सदानन कुट्टी औरी कुट्टी किशन ने कथकली पर अपने विचार भी व्यक्त किये और वि.वि. के सभागार में विद्यार्थियों को कला के कई आयामों से परिचय कराया। कथकली का समापन धनाशि अनुष्ठान के साथ हुआ कथकली के कलाकारों में कलामंडलम श्रीकुमार,कलानिलयम विनोद,कलामंउलम देवराजन,कलानिलयम पद्मनाभम,सदानम धनीष, इत्यादि को सम्मानित किया गया। एकेएस वि.वि. की तरफ से कुलपति प्रो. पारितोष के. बनिक, प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डायरेक्टर अमित सोनी, इंजी. आर.के. श्रीवास्तव,प्रो. जी.पी. रिछारिया,नीलम तिवारी, कमलाकर सिंह उपस्थित रहे। जबकि सोसायटी फाॅर द प्रमोशन आॅफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एण्ड कल्चर अमंग यूथ की ओर से स्पिक मैके के अध्यक्ष डाॅ. हेमंत कुमार डेनियल, सचिव प्रशांत श्रीवास्तव, वीरेन्द्र सहाय सक्सेना, प्रतीक अग्रवाल,श्रीराम अग्रवाल, राज गुप्ता, रंजना सोनी और राहुल जैन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।