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एकेएस वि.वि. के जैविक खाद, अमृत पानी से फसल उत्पादन बढा अमृत पानी से लागत घटी ,खेती की क्षमता बढ़ी और अमृत पानी ने किया बीजो को रक्षित

Posted by on in Daily University News in Hindi
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सतना। एकेएस वि.वि. सतना में आए महाराष्ट्र,हिंगोली जिले के दो किसानों स्वामी जनार्दन स्वामी और सीताराम ने एकेएस वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी और अमित कुमार सोनी से सौजन्य मुलाकात करते हुए एकेएस वि.वि. का आभार जताया। उन्हांेने बताया कि एकेएस वि.वि. की जैविक फसल संजीवनी और अमृत पानी की बदौलत वह अब समृद्व किसान की श्रेणी में आ चुके हैं और लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वि.वि. के चेयरमैन को भेट किए गए केले और आम के फल उनके अपने खेतों के हैं और उसमें एकेएस वि.वि. का विशेष आभार है। अपने खेतों में जैविक विधि से उत्पादन बढाया जैविक खेती पूर्ण रूपेण की जा रही है। जैविक खेती से वि.वि. में ब्रोकली, टमाटर, आलू, मटर, दलहन, तिलहन, धान, गेहूं, अलसी, सरसों की फसलों पर जैविक खाद अमृत पानी अमृत की तरह कार्य कर रहे हैं। जैविक लिक्विड अमृत पानी फसलों में लगने वाले कीटों के लिये फसल संजीवनी, गौमूत्र जड़ी-बूटी द्वारा जैविक विशेषज्ञ वैद्य अब्दुल वारसी द्वारा निर्मित किया गया। इस खाद का उपयोग पिछले डेढ़ वर्षों में सफलतापूर्वक किया गया और इसके परिणाम काफी सकारात्मक आये। शासकीय कृषि विभाग द्वारा एकेएस युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक अब्दुल वारसी को रावे के किसानों के कार्यक्रम में विशेष रूप से बुलाया जाता है। एकेएस वि.वि. का उद्देश्य है कि शासन की योजनाओं को किसानों तक पहुचाया जाय। इसी कड़ी में किसानों की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर और किसानों के विकास के लिये लगातार कार्ययोजना पर वर्क करना है। केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार जैविक खेती पर विशेष बल दे रही हैं। लागत कम हो और उत्पादन ज्यादा हो। महाराष्ट्र हिंगोली जिले के दो किसान एकेएस वि.वि. आये और उन्होंने फसल उत्पादन की जैविक विधि देखी, समझी और उसे खेत में प्रयोग किया। किसानो ने अपने खेत की फसल कपास, गन्ना, केला, अरहर, उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों पर अमृत पानी का सफल प्रयोग किया। फसलों की लागत बुवाई में घटी और उत्पादन बढ़ा। दोनों किसानों ने एकेएस वि.वि. के एग्रीकल्चर प्रक्षेत्र एवं पाॅलीहाउस में फसल रक्षक कीट नियंत्रण प्रशिक्षण प्राप्त किया और उनका कहना है कि अमृत पानी से उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने वि.वि. का धन्यवाद दिया और अपने अंचल के अन्य किसानों को भी इस विषय पर जागरुक करने का कार्य लगातार कर रहे हैं कई किसान उससे लाभन्वित भी हो रहे हैं।

 

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Guest Saturday, 16 November 2024