एकेएस वि.वि. के एग्रीकल्चर संकाय में उन्मुखीकरण कार्यक्रम रावे के छात्र जाकर करेंगें गाॅवों में कार्यभ्यास-सीखेंगें कृषि,सिखाऐंगें किसानों को नवीन तकनीकें
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सतना। एकेएस वि.वि. सतना के बी.एससी. एग्रीकल्चर सातवें सेमेस्टर के 400 विद्यार्थियों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम 19 व 20 जून को आयोजित किया गया। रावे के महत्व पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम अधिकारी सात्विक सहाय विसारिया ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि की उन्नत तकनीकें जानना, परम्परा खेती के विषय में भी जानकारी प्राप्त करना और कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए किसानों को जानकारी देना रावे के प्रमुख उद्देश्य होते हैं। द्विपक्षीय कार्यप्रणाली से जिसमें वि.वि. के विद्यार्थी अध्ययन की हुई जानकारियों को कृषकों से साझा करते हैं वहीं उनसे कई विषयों में जानकारी भी प्राप्त करते हैं। वि.वि. के विद्यार्थियों की 30 टीमें बनाकर उसमें बराबर संख्या में छात्र रखे गये हैं जो सतना जिले के 4 ब्लाक और 30 गावों में जाकर मृदा परीक्षण, बीज की गुणवत्ता, कौन से खेत में कौन सी फसल ज्यादा प्रभावी होगी इत्यादि जानकारी अन्य अधिकारियों संतोष कुमार, डाॅ. डूमर सिंह, अखिलेश जागरे, डी.पी. चतुर्वेदी, अभिषेक सिंह के मार्गदर्शन में कृषकों के बीच जाकर शेयर करेंगे। उल्लेखनीय है कि रबी की फसल में शामिल धान, सोयाबीन, उर्द, मूंग, अरहर, और अन्य दलहनी फसलें किसान के खेतों में होंगी। इन कार्यक्रमों में क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिक वि.वि. के एक्सपर्ट, सम्बंधित विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक ट्रेनिंग प्रदान करेंगे। छात्रों के सभी समूह पूरे कार्यक्रम की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी बनायेंगे, ये कुल 5 विषयों में निर्धारित 100-100 अंकों के लिए रिपोर्ट शामिल करेंगे जिसमें क्राप प्रोडक्शन, फसल सुरक्षा, ग्रामीण अर्थशास्त्र, प्रसार कार्यक्रम, ट्रेनिंग और विजिट्स शामिल हैं। उन्मुखीकरण कार्यक्रम के दौरान एकेएस वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने कहा कि व्यवहारिक पहलुओं पर छात्रों को जानकारी मिले और वो बेहतर तरीके से संवाद करके किसानों को जानकारी दें और उनसे भी जानकारी प्राप्त करें। डाॅ. एस.एस. तोमर ने कहा कि यह एग्रीकल्चर के विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन मौका है जहां वह प्रेक्टिकल नाॅलेज ग्रहण करके इसे अपने कॅरियर की उन्नति में उपयोगी जानकारी के रूप इकट्ठा करेंगे। 12 हफ्ते तक लगातार चलने वाले कार्यक्रम के दौरान सभी समूह 22 जून से नवम्बर तक कार्य करते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि आईसीएआर द्वारा प्रस्तावित चैथी डीन कमेटी की रिपोर्ट के अनुरूप प्रत्येक कृषि वि.वि. एवं ऐसे वि.वि. जहां स्नातक स्तर की पढ़ाई एग्रीकल्चर संकाय में की जाती है। वहां रावे की प्रायोगिक जानकारी छात्र छात्राओं को होनी चाहिए। इस कार्यक्रम में 240 छात्र और 64 छात्राएं शामिल हो रहे हैं। एग्रीकल्चर विभागाध्यक्ष डाॅ. नीरज वर्मा ने बताया कि रावे प्रायोगिक पहलू है जो छात्र 3 वर्षों के दौरान क्लासरूम्स में पढ़ते हैं उन्हें ग्रामीण कृषि क्षेत्रों में जाकर समझते हैं। इस मौके पर बी.एसससी. एग्रीकल्चर संकाय के समस्त फैकल्टीज और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।