एकेएस विश्वविद्यालय में भूमिगत जल की उपलब्धता पर एक दिवसीय कार्यशाला केंद्रीय भूमिजल बोर्ड उत्तर-मध्य क्षेत्र भोपाल का आयोजन
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सतना। भूमिगत जल की उपलब्धता के मामले में सतना जिला अब सेमी क्रिटिकल जोन में जा पहुंचा है, वहीं कुछ ब्लाक ओवर एक्सप्लाॅइटेड जोन में तब्दील होते जा रहे हैं। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा आयोजित कार्यशाला के दौरान सामने आए यह आंकड़े इस ओर स्पष्ट इशारा कर रहे हैं, कि यदि हम अभी नहीं चेते तो भविष्य में केवल श्याह पक्ष ही नजर आएगा।
स्थानीय एकेएस विश्वविद्यालय में केंद्रीय भूमिजल बोर्ड उत्तर मध्य क्षेत्र भोपाल की ओर से प्रशिक्षण सत्र व कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के सिविल, माइनिंग व एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के 130 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुए वैज्ञानिक डाॅ. वी.पी. सिंह ने जानकारी दी कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा 52 एक्सप्लाॅइटी बोरवेल और 37 माॅनिटरिंग स्टेशनों के माध्यम से जिले के अलग-अलग स्थानों पर वर्ष में 4 बार जल स्तर का सर्वे किया जाता है। इसके साथ ही मई माह में प्री मानसून व नवंबर माह में पोस्ट मानसून सर्वे के जरिए भूमिगत जल की उपलब्धता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अलावा वर्ष में एक बार भूमिगत जल का रसायनिक विश्लेषण भी किया जाता है। भू-जल बोर्ड द्वारा किए गए मूल्यांकन व विश्लेषण में जो जानकारी निकल कर सामने आई है वह जिले के लिए काफी चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। जिसमें अनुसार जिले का जल स्तर हर वर्ष 0.1 से लेकर 0.6 मीटर तक पाताल की ओर जा रहा है। जिले का रामपुर बाघेलान क्षेत्र तो ओवर एक्सप्लाॅइटेड जोन में पहुंच चुका है। यानी यहां पर भूमिगत जल स्तर का दोहन सौ फीसदी से अधिक हो रहा है। इसके बाद क्रिटिकल जोन में मौजूद सोहावल ब्लाक का नंबर आता है जहां पर भूमिगत जल का 90-100 फीसदी दोहर कर लिया जा रहा है। वहीं अमरपाटन, मैहर व नागौद ब्लाक के साथ ही जिले के विभिन्न स्थानों पर भू-जल का 70-90 फीसदी दोहन होने के कारण वे सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच चुके हैं। चिंताजनक हालात का दूसरा पहलू भू-जल की गुणवत्ता को लेकर भी सामने आया। जिसके अनुसार जिले के रामपुर बाघेलान, सोहावल व मझगवां ब्लाक में भूमिगत जल में नाइट्रेट व सल्फेट की पाई जाने वाली मात्रा निर्धारित मानकों से काफी आगे निकलती जा रही है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से कतई उचित नहीं है। एकेएस विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रो. पी.के. बनिक शामिल हुए जबकि विशिष्ट अतिथि की भूमिका अनंत कुमार सोनी ने निभाई। वहीं केंद्रीय जल कोर्ड की ओर से डाॅ. पी.पी. सिंह, डाॅ. एम.सी. परांजपे, डाॅ. राकेश सिंह व आर.के. मिश्रा ने तकनीकी सत्र के दौरान सभागार में मौजूद छात्र-छात्राओं व प्राध्यापकों के समक्ष महत्वपूर्ण जानकारी साक्षा की।