एकेएस वि.वि. में प्रारंभ होगा ब्राह्मी लिपि पर सर्टिफिकेट कोर्स: अवनीश सोनी, डायरेक्टर एकेएस युनिवर्सिटी
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सतना। एकेएस विश्वविद्यालय सतना के सभागार में वि.वि. के डायरेक्टर अवनीश सोनी ने जैन साध्वी सुश्री साश्वत् पूर्णा श्रीजी (सारिका) विंध्य चेम्बर्स आॅफ काॅमर्स के पूर्व अध्यक्ष गिरीश शाह, जैन साध्वी सुश्री दिव्या पूर्णा, वि.वि. के प्रतिकुलपति डाॅ. हर्षवर्धन, डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी और प्रो. आर.एन. त्रिपाठी के साथ वि.वि. के फैकल्टी और छात्र छात्राओं के बीच कहा कि एकेएस वि.वि. में ब्रह्मी लिपि पर सर्टिफिकेट कोर्स प्रारम्भ किया जायेगा जो आमजन और विद्यार्थियों के लिये होगा। एकेएस वि.वि. मे आयोजित बृहद कार्यक्रम मे जैन साध्वी सुश्री साश्वत्् पूर्णा श्रीजी ने कहा कि भारतवर्ष की प्राचीन संस्कृति को यदि ब्राह्मी लिपि के माध्यम से समझा जाय तो भारत की बहुत सारी उपलब्धियों विज्ञान, कला और साहित्य को और करीब से समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत प्राचीनकाल से विज्ञान एवं वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोगकर्ता रहा है जिसके कारण इन पद्धतियों का ज्ञान सम्पूर्ण विश्व को कालांतर में प्राप्त हुआ है। ब्राह्मी लिपि जो लगभग 400 बीसी से पांचवीं शताब्दी तक अपने विकास की दृष्टि से समृद्धि की ओर अग्रसर रही वह ज्ञान धीरे धीरे विलुप्त हो जाने के कारण हमने अपनी राष्ट्रीय अस्मिता, धरोहर, प्राचीन वास्तुशिल्प में क्षरण महसूस किया। ब्राह्मी लिपि का विकास मूल रूप से सम्राट अशोक के राज्य में हुआ। ब्राह्मी लिपि को समझने वाले बहुत कम लोग हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हमारी युवा पीढ़ी अपने इतिहास और दर्शन को समझने के लिये ब्राह्मी लिपि का भी अध्ययन करें तो हम बहुत सारे विषयों के समाधान अपने अतीत के आधार पर भी पा सकते हैं। सुश्री साश्वत् ने आगे कहा कि विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास एवं कार्यक्षमता वृद्धि में लिपियों की बनावट व उसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिये क्योंकि हमारे बहुत सारे विचार जो हमारे सबकांसियस माइंड में रहते हैं वह अक्षरों के माध्यम से प्रस्फुटित होते हैं। यदि हमारी लेखनी सही नहीं होती तो वह कहीं न कहीं हमारे मानसिक धरातल की अभिव्यक्ति को सही स्वरुप में व्यक्त नहीं कर पाती है। उन्होंने व्यक्तित्व विकास के संदर्भ में छात्रों को बहुमूल्य सुझाव भी देते हुए कहा कि हमें लिपियों के अध्ययन से समझना होगा कि वह किस प्रकार मनुष्य के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में सहायक सिद्ध होती हैं। कार्यक्रम का संचालन ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने किया। सभागार में उपस्थित सभी जनों ने ब्राह्मी लिपि पर सर्टिफिकेट कोर्स की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की।