समावेशी विकास का अर्थ है आर्थिक, सामाजिक विकास सर्वहित में-प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, पूर्व कुलपति हिमांचल युनिवर्सिटी, हिमांचल प्रदेश एकेएस वि.वि. में चीन की बनी बस्तुओं के बहिष्कार पर हुई विचार गोष्ठी माॅ वीणपाणि के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई कार्यक्रम की शुरुआत
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सतना। स्वदेशी,स्वाभिमान,स्वावलंबन पर आयोजित विचारगोष्ठी में प्रो. एडीएन बाजपेयी को सुनने के लिए खचाखच भरे सभागार मे शहर के प्रबुद्वजन और विद्यार्थी उपस्थित रहे।उन्होने विचार प्रवाह को चीनी वस्तुओं के बहिस्कार से जोडते हुए कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो.ए.डी.एन. बाजपेयी, पूर्व कुलपति हिमांचल युनिवर्सिटी, हिमांचल प्रदेश ने चेताते हुए कहा कि हमें विकास का एक ऐसा माडल बनाना होगा जिसमें भारतवर्ष के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व शामिल हो, हर इकाई विकास का पर्याय बने, अगर समूचे विश्व के साथ तादात्म्य स्थापित करना है तो एकात्म मानववाद प्रेरणापुंज का कार्य कर सकता है। समावेशी विकास का अर्थ ही होता है कि जब समरूप से सभी वर्ग इसमें शामिल हों और सभी का विकास हो। भारत का विकास भी समावेशी विकास में ही संभव है। उक्त उद्गार एकेएस वि.वि. में आयोजित स्वदेशी, स्वाभिमान, स्वावलंबन पर आयोजित विचारगोष्ठी में प्रो. एडीएन बाजपेयी ने व्यक्त किये।
डाॅ.बाजपेयी ने अन्य विषयों पर भी की बात
डाॅ. बाजपेयी ने कहा कि सही सेवा का अर्थ ही यह होता है कि बदले में निरपेक्ष रहा जाय और कोई उम्मीद न की जाय। देश प्रेम का अर्थ है देश सबसे पहले और स्वार्थ कहीं भी नहीं। स्वदेशी का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रो. बाजपेयी ने बताया कि सवश्रेष्ठ इनोवेशन के साथ जुड़ना और उच्चतम परिणाम प्राप्त करना जिससे देश सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अग्रणी बने और लोगों में स्वदेशी प्रेम एक उत्प्रेरणा की तरह रहे और हमारे देश का हर नागरिक इस बात पर गर्व करे कि भारतवर्ष एक ऐसा देश है जहाँ हर नागरिक भारतवर्ष से प्रेम करता है। उन्होंने चायनीज वस्तुओं के बहिष्कार पर कहा कि अगर भारतवर्ष के हर इंसान ने भारतीयता और स्वदेशी अपना लिया तो विश्व का कोई भी देश भारत के समक्ष चुनौती नहीं पैदा कर सकता। समावेशी विकास सबकी भागीदारी से ही संभव है। पूर्व कुलपति हिमांचल वि.वि. ने कहा कि चीन में साम्यवादी तानाशाही है जिसमें सारी सत्ता कुछ व्यक्तियों पर केन्द्रित होती है, अर्थशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए भारत के संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता पर उत्कृष्ट रूप से वर्णन किया। चीनी यात्री ह्वेनसांग, फाहयान का जिक्र करते हुए बताया कि प्राचीनकाल में भारत विद्या का अहम केन्द्र था और भारत विश्व गुरू था। आज भी भारत में विलक्षण, महान एवं आध्यात्मिक विभूतियाँ मौजूद हैं और भारत एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ बनने की तरफ अग्रसर है, जरूरत है एकात्म मानववाद व समावेशी विकास की। यह विचार एकेएस वि.वि. सतना के सभागार में मनीषी, शिक्षाविद्, एपीएस वि.वि. रीवा एवं हिमांचल युनिवर्सिटी के दो बार कुलपति रहे प्रो. (डाॅ.) ए.डी.एन. बाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वदेशी सुरक्षा अभियान सतना द्वारा आयोजित ‘‘समावेशी विकास के संदर्भ में भारत व चीन’’ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी में व्यक्त किये।
इन्होने भी किया विचार गोष्ठी को संबोधित
विचार गोष्ठी को योगेश ताम्रकार ने संबोधित करते हुए कहा कि चीन व पाकिस्तान भारत के दो दुश्मन है जो लगातार भारत के पेशानी पर बल डाले रहते हैं जबकि उन्होने भारत पर निर्भरता रखी है और भारत अगर इनसे व्यापार ताल्लुक खत्म कर ले तो दोनों देश व्यापारिक रुप से भी कमजोर हो जाऐंगें कमल शर्मा ने उदबोधन मे कहा कि विश्व में भारत की इमेज बडे मुल्क के रुप मे है और यही चीन ी परेशानी का सबब है। भी सम्बोधित किया।
विचार गोष्ठी में ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन वि.वि. के ओएसडी प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने किया। वि.वि. के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने सभागार में प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी एवं अन्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया। विचार गोष्ठी के मौके पर एकेएस वि.वि. के कुलपति प्रो. पारितोष के. बानिक, प्रतिकुलपति डाॅ. आर.एस. त्रिपाठी, डाॅ. हर्षवर्धन, डायरेक्टर अवनीश सोनी, डाॅ. आर.के. जैन, श्री दीपक मिश्रा, भाजपा मीडिया प्रभारी कामता पाण्डेय,आईटी हेड सोनू कुमार सोनी,एडमिनिस्ट्रेटर बृजेन्द्र सोनी के साथ स्वदेशी जागरण मंच के सदस्य एवं एकेएस वि.वि. सतना के समस्त विभागों के डीन, डायरेक्टर्स, विभाग प्रमुख एवं फैकल्टीज की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
प्रो. वाजपेयी को दिया गया मोमेन्टो
विचारगोष्ठी के बाद प्रो.एडीएन वाजपेयी को वि.वि. के कुलपति प्रो. पारितोष के बनिक एवं चेयरमैन अनंत कुमार सोनी ने मोमेन्टो देते हुए उनके उदबोधन के पलों को यादगार बताया एवं उन्हे धन्यवाद दिया